हॉकी से सास की कई हड्डियां तोड़ चुकी है सलोनी

: ये कैसी क्रूरता, सास की हडि्‌डयां तोड़ने के बाद पति ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया तो उसने उसने लगायी अर्जी डायवोर्स की : ससुराल में बिताए साढ़े तीन सालों में वो घर से तीन बार भागी : पेशी के लिए आए पति पर करवाया जानलेवा हमला : कलम में छिनरपन- नौ : दोलत्‍ती […]

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कई मित्रों की बातचीत और न्‍यूड-वीडियो भी तैयार किये है सलोनी

: क्रिमिनल माइंडेड महिला या ममतामयी मां : सलोनी से जानकारियां उगलवाने में पुलिस के पसीने छूट रहे हैं : टे को लेकर जब उस पर इमोशनली दबाव डाला गया, तभी सलोनी टूटी : कलम में छिनरपन- दस : दोलत्‍ती संवाददाता इंदौर : (गतांक से आगे) सलोनी के मामले में एक कमाल की बात यह […]

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पांच को फांसी। कुकर्म तो नृशंस है, लेकिन फांसी इलाज नहीं

: क्‍या आप जानते हैं कि रंगा-बिल्‍ला, गावरी शंकर या धनन्‍जय चटर्जी कौन था, उसने क्‍या किया था : दिल्‍ली में मारी गयी बच्‍ची को मैं मेरी बिटिया मानता-पुकारता हूं, हर देशवासी में भी यही भाव है : ताजा हालातों में गुंजाइश नहीं है कि राष्‍ट्रपति उसकी दया-याचिका पर हस्‍तेक्षप कर पायेंगे : बच्‍चों की […]

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पत्‍नी के पति की हत्‍यारोपित की पत्‍नी, पटरानी और “रेपिस्‍ट” में होगा दिलचस्‍प मुकाबला

: सौतनों में आज ही होगा चकाचक चुनावी झोंटा-नुचव्‍वर : बड़े लोगों के यौन-अपराधों का अड्डा है अमेठी : गायत्री की बढ़त पर मुकदमे से गरिमा का पलड़ा भारी हो गया : कुमार सौवीर अमेठी : होशियार, खबरदार, होशियार। खास-ओ-आम को इत्तिला और ताईद की जाती है कि अमेठी राजघराने समेत सभी ऐरे-गैरे-नत्‍थू-खैरों की प्रतिष्‍ठाओं […]

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सचिवालयकर्मी थी कल्‍पना, 1090 से गुहार करती रही, मार डाली गयी

: वीमन हेल्‍पलाइन 1090 के भरोसे में ही आत्‍महत्‍या पर मजबूर हो चुकी है एक मेडिकल छात्रा : पिछले बरस इसी पखवाड़े 1090 की उदासीनता ने छीन ली दो युवतियों के जान : राजधानी की युवतियां तक असुरक्षित, बाकी जगह हालत भयावह : कुमार सौवीर लखनऊ : सचिवालय की एक कर्मचारी कल्‍पना की लाश बरामद […]

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एक शिक्षक था डॉ अजीत सिंह, और एक तुम हो लढऊ-जगधर

गुरूजी ! पानी लाया हूं, अब तो मुंह धो लो – चार : अपनी जान दे दी उस जांबाज शिक्षक ने, पर दायित्व नहीं छोड़ा : पूर्वांचल में शिक्षा जगत की सबसे समृद्ध थी चक्के कालेज की लैबोरेट्री : हत्यारे को एक मंत्री ने बचाया, शिक्षक, नेता, वकील, जनता सब खामोश : कुमार सौवीर लखनऊ :– […]

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तबाह मुखबिर-तंत्र ने अफसरों को मालामाल और समस्या को विषम बनाया

सुल्तानपुर में पत्रकार व लखनऊ की बच्ची की हत्या के खुलासे में तंत्र विफल वारदात के बाद हफ्तों बाद अंधेरे में ही भटकते रहे हैं पुलिसवाले, निदान शून्य(नृशंसता के साथ मार डाली गयी लखनऊ की बेटी- 4 ) कुमार सौवीर लखनऊ : जरा कोई बताएगा कि जब सुल्तानपुर के पत्रकार करूणा मिश्र की हत्या की साजिश, उसके […]

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जो रकम मुखबिरों के हिस्से की थी, अफसरों ने डकार लिया

अब सिर्फ मोबाइल सर्विलांस तक ही सिमटे हैं ”नयनसुख” अफसर सीक्रेट फण्ड का फण्डा औंधे मुंह गिरा, तो तंत्र जमीन सूंघ गया (नृशंसता के साथ मार डाली गयी लखनऊ की बेटी- 3 ) कुमार सौवीर लखनऊ : किसी भी अपराध का खुलासा करने के लिए जिन एकाधिक आधारों की जरूरत होती है, वह है कम से कम […]

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उन्नति के लापता होने के पांच दिन तक आप आखिर क्या करते रहे दारोगा जी

मेरी बेटियों की बलात्काार और हत्या के बाद ताजा कड़ी है उन्नति विश्वकर्माएसटीएफ न होती तो, आप खुर्राटे ही लेते रहते। गजब राजधानी पुलिसबहुत बर्दाश्त किया, बताओ कि पांच दिनों तक रोजनामचा में क्या लिखा तुमने पुलिस व समाजिक दरिंदों से त्रस्त, बच्चिों को मैं पूरे गर्व से मेरी बेटी कहता हूं( बहुत नृशंसता के साथ […]

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अखिलेश सरकार की महिला उपलब्धियों पर केंद्रित है आज का यह बुलेटिन

यह रेडियो मेरी बिटिया डॉट कॉम हैआप कुमार सौवीर से खबरें सुन रहे हैं कुमार सौवीर लखनऊ : यह रेडियो मेरी बिटिया डॉट कॉम है। आप कुमार सौवीर से दिल थाम कर खबरें सुनिये। आंकड़े बताते हैं कि देश के दीगर प्रदेशों के मुकाबले उप्र की समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव सरकार ने कार्यकाल में […]

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न कोई प्रमाण, न कोई गवाह। मगर रेणुका व्यभिचारी करार दी गयी

सहस्राब्दियों पुराना मामला निपटाने को मैं गारा-ईंटा जुटाने में जुटा हूं

: अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष मेरा उपन्यास खण्ड-परशु : आइये, एक अनोखे नजरिये के साथ देखिये महिला की हालत (5) :

मैं समझता हूं कि प्रत्येक मानव ऐसे भीषण दण्ड का विरोधी होगा। तब तो और भी जब अभियुक्त सिरे से ही निर्दोष हो। रेणुका की हत्या मात्र इस शक पर कर दी गयी कि उसने व्यभिचार किया था। न कोई कोई प्रमाण और न कोई गवाह। बस सन्देह हुआ और फैसला हो गया।

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एक स्त्री के लिए तो यह कैपिटल पनिश्मेंट ही हुआ ना

पहले अपने पति-पत्नी के रिश्ते को निर्वस्त्र करके देखिये ना

: अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष मेरा उपन्यारस खण्ड-परशु : आइये, एक अनोखे नजरिये के साथ देखिये महिला की हालत (4) :

कुमार सौवीर

रेणुका का वध नहीं, वह हत्याकाण्ड ही था। रेणुका-हत्याकाण्ड प्रकरण-प्रहसन के पात्र भी यदि आज साक्षात उपस्थित होते तो वे भी इस पर अलग-अलग मत ही प्रकट करते। उनमें से कोई एक बार भी आज तक अपनी गलती स्वीकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। लेकिन हम हमेशा से ही निर्बलों की सुरक्षा-संरक्षा के हामी रहे हैं। हालांकि अतीत में इन दावों को प्रत्यक्ष रख कर उसकी आड़ में ठीक उसका उल्टा ही हुआ है। परन्तु अब आज और अभी से ही न्याय की शुरुआत कर लेने में आखिर क्या हर्ज है। देर आयद, दुरूस्त आयद।

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फिर तो हम पहले आसाराम, तेजपाल और गांगुली को बरी करें

हमारे हाड़-मांस, रक्त, संस्कृति, शास्त्र व भावनाओं में रचे-बसे हैं परशुराम

: अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष मेरा उपन्यास खण्ड-परशु : आइये, एक अनोखे नजरिये के साथ देखिये महिला की हालत (3) :

कुमार सौवीर

हैरत की बात यह है कि पत्नी हत्या का फरमान यमदग्नि सरीखे ज्ञानी ने जारी किया था। और तब वह व्यक्ति यह तथ्य कैसे भूल गया कि किसी भी दशा में पत्नी की हत्या करने का अधिकार पति को नहीं होता है और यह भी कि पत्नी की हत्या करना ब्रह्म हत्या और गोहत्या के तुल्य महापाप तथा अ-प्रायश्चित अपराध है।

मै जानता हूं कि कई लोग रेणुका-हत्याकाण्ड प्रकरण पर मेरी व्याख्या से सहमत होते हुए भी यही दलील प्रस्ततु करेंगे कि ‘अब इस विषय पर इससे अधिक चर्चा पांचवें सप्तर्षि महर्षि यमदग्नि के शेष जीवन के पुण्य कृत्यों और समाज को समर्पित उनके जीवन पर कीचड़ उछाल देगी। और यह भी तर्क देने लगेंगे कि जीवन की केवल एक घटना मात्र से ही पूरे जीवन की व्याख्या नहीं की जानी चाहिए।

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चलो, मान लिया कि रेणुका ने व्यभिचार किया। तो ?

आरोप लगाने से पहले बेहतर है हम अपने गांव-मोहल्ले को खंगालें

: अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष मेरा उपन्यास खण्ड-परशु : आइये, एक अनोखे नजरिये के साथ देखिये महिला की हालत (2) :

कुमार सौवीर

परशुराम को जानने के लिए पहले उनके पिता, पितामह, नाना, मामा, चाचा, भाई और इन सबसे बढ़ कर उनकी माता रेणुका को जानना-समझना मुझे अनिवार्य प्रतीत हुआ। आखिर प्रचलित मान्यता के अनुसार उन्होंने अपने पिता के आदेश पर माता रेणुका का शिरोच्छेद किया था। पिता को विश्वास था कि रेणुका ने व्यभिचार किया है।

चलिए, मान लिया कि रेणुका ने व्‍यभिचार किया था। मान लेने में वैसे तो कोई बुराई है नहीं। हमारे-आपके आसपास ऐसी घटनाएं रोजमर्रा की बात भी तो हैं।

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परशुराम की मां निष्पाप है, उसे अब रिहा कर दें

सामाजिक वकीलों से एक अपील, आओ कुछ नया सोचा-किया जाए

: अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष मेरा उपन्यास खण्ड-परशु : आइये, एक अनोखे नजरिये के साथ देखिये महिला की हालत (1) :

कुमार सौवीर

अपनी जिन्दगी में मैंने वह हर कार्य किया है जिसे सामान्य या असामान्य तौर पर कमोबेश हर कोई बेहद साहसी व्यक्ति कर सकता है। अक्सर तो बिलकुल अभिमन्यु की तरह मैं चक्रव्यूह में घुस गया। आप कुछ भी कहिये, लेकिन केवल अभिमन्यु के मजबूत जिगर का काम ही था यह साहस। यह जानते हुए भी कि मुझे सातवें चक्रव्यूह को बेधना नहीं आता। लेकिन बेधडक और बेहिचक। सो, कई मौकों पर मैं बुरी तरह फंसा।

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