: चार महीने बीत गए, भाजपा सांसद ब्रजभूषण सिंह पर दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की : सरकार चुप, सुप्रीम कोर्ट खामोश, नाक कट गई देश की : 4 महीने से फ्री-स्टाइल खेल रहे ब्रजभूषण : जब-तब रो पड़ती हैं पीड़ित कुश्ती खिलाड़ी :
कुमार सौवीर
लखनऊ : महिला कुश्ती एक दिलचस्प खेल है, जहां स्टेडियम में बिछे गद्दों पर खिलाड़ी आपस में दांव-पेंच, उठा-पटक और एक-दूसरे को चित्त करने में ही अपना सारा बल, दिमाग और तकनीकी का इस्तेमाल करती हैं।
लेकिन भारत में इस खेल में नियम-कानून बदल दिए जाते हैं। यहां खिलाड़ी का कौशल या उनका खेल नहीं, बल्कि उसका यौवन और उसकी देह-यष्टि ही सर्वोच्च हो जाती है। खिलाड़ी जिस परिश्रम से अपने जीवन के संकल्प, सपनों और भविष्य को संजोने में जुटती हैं, और अपनी सफलता के पायदानों पर चढ़ने की कोशिश करती हैं, उसके सारे मार्ग के मूल्य ही बदल जाते हैं।
आइए, आपको ले चलते हैं भारत के खेल स्टेडियम की ओर, जहां भारत में महिला कुश्ती खिलाड़ियों के भविष्य, उनकी भावनाएं, उनका कठोर परिश्रम और उनकी अस्मिता और जीवन के साथ ही देश में महिला खेल जगत की किस तरह सरेआम नाक काटी जा रही है। इसमें सरकार, पुलिस एक हो कर खिलाड़ियों की इज्जत के साथ खुल कर खेलते हैं, और न्यायपालिका हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है।
ठीक उसी तरह द्वापर में स्त्री को सरेआम नंगा करने की साजिशें होती रहीं। कौरव के धृतराष्ट्र की राजसभा में दुर्योधन के निर्देश पर दुःशासन ने द्रोपदी को नंगा करने की साजिश की थी, ठीक उसी हादसे का दोहराव अब कुश्ती में महिला खिलाड़ियों के साथ हो रहा है।
भाजपा के सांसद बृजभूषण सिंह पर अनेक महिला खिलाड़ियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। करीब चार महीने पहले भड़के इस विवाद को थामने के लिए किसी ने भी कोई कोशिश नहीं कि, और तो और ओलंपिक संघ भी इस मसले पर खामोश है। नतीजा दिल्ली के जंतर मंतर पर यह खिलाड़ी भाजपा सांसद पर मोर्चा खोले हैं। लेकिन दिल्ली पुलिस ने दुराचार के अनेक आरोपों के आरोपित भाजपा सांसद पर कोई भी कार्रवाई नहीं की है। अब हालत यह कि स्टेडियम के बजाय यह दर्जनों महिला खिलाड़ी अब जंतर मंतर पर न्याय के लिए आंसू बहा रही हैं।
आज कौरव सभा में संसद, सरकार, पुलिस और न्यायपालिका भी खामोश है। कानून लागू करने के लिए कार्यपालिका को बाध्य करने वाली सुप्रीम कोर्ट भी खामोश है। उसने भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सात महिला पहलवानों की शिकायत पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि ये गंभीर आरोप हैं।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने मंगलवार को इससे जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 यानी पुलिस अफसरों की संज्ञेय मामलों की जांच करने की शक्ति के तहत पुलिस से संपर्क करने का उपाय उपलब्ध है। पीठ ने पूछा, आरोप क्या हैं? पीडि़तों की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया, ऐसी शिकायतों में प्राथमिकी दर्ज नहीं करने पर पुलिसकर्मियों पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है। शीर्ष कोर्ट ने सहमति जताई।
सवाल यह है कि जब सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर मुकदमा चलाने के तर्क पर सहमत है, इतने लम्बे वक्त तक कोर्ट को दिक्कत क्या रही है? महिला खिलाड़ियों के भविष्य और जीवन के साथ पिछले 4 महीने से फ्री-स्टाइल खेल रहे हैं ब्रजभूषण सिंह। लेकिन कानून मखौल बन चुका।
गनीमत है कि आज सुप्रीम कोर्ट ने साफ आदेश जारी कर दिया कि इस मामले में तत्काल मुकदमा दर्ज कर लिया जाए।
नि:संदेह… एक ओर जहां हमारे देश की पहलवान बेटियां सड़कों पर हैं तो वहीं दूसरी ओर मुझे ऐसा लगता है 👉स्मृति ईरानी अपने बन्द कमरे में आराम फरमा रही होगी … घोर आपत्तिजनक स्थिति!