बड़ा पत्रकार ही दिखा सकता है बड़प्पन। जैसे विनोद कापड़ी

बिटिया खबर

: रजत शर्मा के इंडिया टीवी में दूसरा स्थान पर थे कापड़ी। बाद में नौकरी-चाकरी छोड़ी, फ़िल्म बनाने लगे : जो लिखा, वह एक विशाल और खुले दिल-दिमाग वाले इंसान के बस की ही बात है : अजीमुश्शान शख्सियत का लोगों से तार्रुफ़ करने की कोशिश :

कुमार सौवीर

लखनऊ : मैं इस शख्स से कभी नहीं मिला। लेकिन अब इसके बारे में शायद पर्याप्त जानकारी हासिल कर चुका हूं। इसके अन्तस तक झांक चुका हूं, जहाँ विद्रूप पूर्वाग्रहों से कोसों-योजनों दूर निर्मल, निष्पाप और प्रभावी गंगा की लहरें उछलती हैं।
नाम है विनोद कापड़ी। रजत शर्मा के इंडिया टीवी में दूसरा स्थान पर थे विनोद कापड़ी। बाद में नौकरी-चाकरी छोड़ दी, और फ़िल्म बनाने लगे।
मेरे सम्बन्ध न के बराबर ही थे। पत्रकारिता में कापड़ी का कद मुझसे बड़ा था। हालांकि उसका जिक्र बाद में कभी करूँगा जरूर।
फिलहाल, पहले असल मुद्दे पर बात तो कर लूं। ढाई बरस पहले हाथरस में 19 वर्षीय एक युवती को लोगों ने सामूहिक दुराचार के बाद मार डाला ही नहीं, बल्कि यूपी पुलिसवालों ने उसकी लाश को बिना पोस्टमार्टम के केरोसिन डाल कर फूँक डाला था। इस हादसे की खबर लेने जब दिल्ली का पत्रकार सिद्दीक कप्पन पहुंचा, तो पुलिस ने उसे देशद्रोह, अलगाववादी और मनी-लॉन्ड्रिंग के आरोप में 850 दिनों तक जेल में सड़ा डाला। जबकि कप्पन को अपनी रिपोर्ट लिखने तक का मौका ही नहीं दिया था यूपी पुलिस ने।
कप्पन पर बड़े-बड़े आरोप लगाए गए थे। डेढ़ महीना पहले सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गयी थी कप्पन को। देश की सबसे बड़ी अदालत से राहत मिलने के बावजूद बड़े दिग्गज लोग भी सिद्दीक कप्पन की जमानत लेने में मुंह बिचका रहे थे। सब के मन में भारी भय था। कोई साहस दिखाता भी तो कैसे? लेकिन जब मैने कप्पन की जमानत दी, तो देश-विदेश की मीडिया ने मेरे फैसले पर भूरि-भूरि प्रशंसा की, मुझे हाथोंहाथ ले लिया।
द वीक मैगजीन की पूजा अवस्थी ने तो मुझ पर एक जबरदस्त रिपोर्ट लिखी, जिसे रवीश कुमार समेत अनेक बड़े दिग्गज पत्रकारों ने सोशल मीडिया में बाकायदा शेयर किया। इनमें सुकुमार जैसे बेशुमार लोग भी शामिल थे।
मगर ऐसे ही मौके पर विनोद कापड़ी ने बिना किसी लाग-लपेट के मुझ पर जो लिखा, वह एक विशाल और खुले दिल-दिमाग वाले इंसान के बस की ही बात है। कापड़ी ने जो ट्वीट किया, उसे करीब सात सौ लोगों ने रि-ट्वीट कर डाले। पाठकों की संख्या 52 हजार तक पहुंच गई।
यकीन मानिए, मैं यहां विनोद कापड़ी की तारीफ करने के लिए नहीं, बल्कि एक ऐसे अजीमुश्शान शख्सियत का आम लोगों से तार्रुफ़ करने की कोशिश कर रहा हूँ।

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