एनकाउंटर। असद-गुलाम ने प्राण तो दिया, पिस्तौल नहीं

दोलत्ती

: “वापसी” के बाद अनंतदेव की पहली सफलता, “एनकाउंटर” के तहत झाड़ी में मार गिराया असद और गुलाम : कोर्ट में खबर मिलते ही गश खा गया अतीक : गिरी बाइक से अगल-बगल गिरे दोनों का अंदाज़ सवालों पर : गिरते वक्त बेसुध होता है शख्स, पिस्तौल मरते वक्त भी थामे रहे :

कुमार सौवीर

लखनऊ : बचकानी सफलता के दौरान यूपी के एसटीएफ ने झांसी की झाड़ियों में अतीक के तीसरे बेटे असद और उसके साथी गुलाम को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया है। इस घटना की खबर मिलते वक्त बाहुबली अतीक अहमद पेशी के दौरान कोर्ट में था। खबर है कि इस एनकाउंटर की खबर सुनते ही अतीक कोर्ट में गश खा कर गिर पड़ा।
बहरहाल, बिकरुकाण्ड के बाद हुए उठापटक के चलते सस्पेंड हुए डीआईजी अनंतदेव तिवारी को वापस ड्यूटी में इलाहाबाद जीआरपी में तैनात लिया गया था। लेकिन उसके चंद बाद ही बाद उमेश पाल हत्याकांड हो गया। इसके फौरन बाद फिर अचानक अनंत देव को एसटीएफ का क्षेत्रीय प्रभारी बना दिया गया। इसके बाद यह उनकी पहली सफलतापूर्ण कार्रवाई मानी जा रही है।
आपको बता दें कि इलाहाबाद में उमेश पाल हत्याकांड जिस तरह पिछले दिनों हुआ था, उसने पूरे उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल उठा दिया था। उसके बाद से ही साफ होने लगा था कि अतीक और उसके गिरोह के खिलाफ सरकार का रवैया सख्त होना शुरू हो जाएगा। यह भी चर्चाएं शुरू हो गई थी कि अतीक अहमद के खिलाफ जो पुलिस और सरकारी कार्रवाई होगी उसमें अतीक अहमद का पूरा कुनबा भी शामिल हो सकता है।
और अब अतीक के तीसरे बेटे असद और उसका एक साथी गुलाम झांसी में झाड़ियों में जिस तरह मार गिराया गया, उसने इस एनकाउंटर और उसके तौर-तरीकों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
आपको याद होगा कि बिकरु वाले विकास दुबे को कुछ इसी तरह गाड़ी बदल कर एनकाउंटर में मौत के घाट उतारा गया था और जिस तरह कई अन्य एनकाउंटर पर भी ऐसी कार्रवाई हुई, ठीक उसी तरह सवालों में घिर गई अब यह घटना। ठीक उसी तरीके से अतीक के बेटे असद और गुलाम के एनकाउंटर का तरीका भी काफी कुछ वैसा ही रहा है।
इस एनकाउंटर से मिली फोटो को गौर से देखिए जिसमें एक मोटरसाइकिल पर दाहिने-बाएं पड़े हुए हैं दोनों लाशें। एक अतीक है और दूसरा है असद। लेकिन ऐसे दोनों ही के हाथ में घटनास्थल में भी पकड़ी हुई है रिवाल्वर।
एसटीएफ का दावा है कि असद और गुलाम एसटीएफ और पुलिस से बचने के लिये भाग रहे थे। लेकिन फिर सवाल ये है कि अगर भाग रहे थे सड़क के बजाय झाड़ी में क्यों चले गए। यह बात भी समझ में आती है कि गाड़ी के पीछे बैठा व्यक्ति ने रिवाल्वर पकड़ रहा होगा, लेकिन जब गाड़ी नीचे गिरी होगी तब बाइक पर सवार व्यक्ति अपना बचाने की कोशिश करेगा या रिवाल्वर को पकड़ेगा।
इतना ही नहीं, मौत हो जाने के बाद भी इन दोनों के हाथों में रिवाल्वर पकड़े रखना आश्चर्य का सवाल है। एनकाउंटर के वक्त पर जब कोई अभियुक्त बाइक पर सवार है, झाड़ी में कैसे चला गया, जहां बाइक को चलाना तो दूर उसे संभालना तक मुश्किल हो जाता है। और अगर ऐसा हुआ भी है तो इन दोनों को उनके पैर पर गोली मारकर बहुत आसानी से घायल किया जा सकता था।
ऐसे कई सवाल एनकाउंटर को लेकर लगातार उठते ही रहेंगे, लेकिन उनका जवाब कब और कैसे दिया जाएगा यह तो वक्त में छिपा होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *