बहराइच के डीएम निकालेंगे सरकारी विद्यालयों का जनाजा

दोलत्ती

: बहराइच के फखरपुर में बीएसए ने बच्चों को सिखाया अशिष्टता का सबक : दम्भ, अशिष्ट व गुरुर में सौंपा गया तीसरी बच्ची को उपहार : जब तीन बच्चों को सम्मान देना था, तो तीसरा गिफ्ट कहाँ गया : मत भूलो कि तुम किसी मेधावी छात्र को सम्‍मानित करने जा रहे हो :

कुमार सौवीर

लखनऊ : यह किस्सा बहराइच के फखरपुर स्थित एक स्कूल का है। हालांकि यह घटना गत गांधी जयंती की है, लेकिन इससे गैर-जिम्मेदार सरकारी सिस्टम को बेहद आसानी से देख, समझ कर उसकी भयावहता का जायजा लिया जा सकता है।

तो, पूरी घटना तो आप इस खबर को पढ़ कर समझ ही सकते हैं। लेकिन शर्मनाक तो है अफसरों की करतूत, जो बाल हृदय को इतना फोड़ सकती है, जिससे पूरा समाज ही घायल हो जाये। सच बात तो यही है कि यह फोटो अफसरों के घमंड, स्वयं को परमेश्वर, परम् अधिकार-सम्पन्न, सर्वोच्च व्यक्ति, गुरुर, और घमंड से लिथड़ी है।
इस बच्ची को दिए गए इस पुरस्कार के दौरान प्रदाता अधिकारी बीएसए बीएस तिवारी में उस बच्ची की सफलता, उसके श्रम, उसकी निष्ठा का प्रतीक होने के चलते उस बच्ची के प्रति आत्मीय, सम्मान और स्वयं गर्व के भाव को प्रदर्शित करता होना चाहिए। इसमें प्रदाता का विनीत भाव आवश्यक होता है।
लेकिन इस फोटो में तो बीएसए बेहद गुरूर, दम्भी, और अशिष्ट भाव में हैं। होना चाहिए कि वह गिफ्ट देते वक्त दोनों हाथों का इस्तेमाल करते और उस बच्ची के सामने अपनी शक्ल विनीत भाव में रखते।
लेकिन शर्म की बात तो यह है कि डीएम द्वारा दिये गए इस सम्मान को उस बच्ची तक पहुंचने और सौंपने के दौरान बीएसए इस फोटो में यह गन्दा, बदतमीज, घमंडी, अभद्र और निरा मूर्ख जैसा दिख रहे हैं। ठीक उस कालिदास की तरह, जिसे विद्योत्तमा ने पहली ही रात उसके पिछवाड़े पर लात मार कर घर से भगा दिया था।
इसके बावजूद। हां, हां, इसके बावजूद बीएसए ने कम से कम इतना तो किया ही, कि वह इस बच्ची के घर पहुंचा, और उसे गिफ्ट भी दिया। वैसे इस घटना से इतना तो साबित हो ही गया है कि वह बीएसए बीके तिवारी मूलतः और जन्मना अशिष्ट, संस्कारहीन और बकलोल तो है ही, लेकिन अपने शासकीय दायित्व का निर्वहन तो कर रहा है। यह उसकी व्यक्तिगत ईमानदारी का प्रमाण है, जो आम तौर पर सरकारी अफसरों में तीव्र गति से लुप्त होती जा रही है।
अगर वह इतना गम्भीर न होता, तो वह गिफ्ट अपने ही घर ले जाता, और अपने घर जाकर अपनी बीवी-बच्चों के साथ खटिया-सोफा पर विश्राम करने लगता।
अब तनिक सरकारी अफसरों की मूर्खता और नीचता का आलम यह है कि जब इस समारोह में तीन पुरस्कार थे, तो बीईओ ब्रजलाल वर्मा क्या चिलम पर गांजा फूँक रहे थे। तीसरा गिफ्ट क्यों नहीं तैयार किया गया बीईओ ब्रजलाल ने और बीएसए बीएस तिवारी ने कार्यक्रम में तैयारियों की निगरानी क्यों नहीं की?
मौके पर मौजूद तत्कालीन जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने ब्रजलाल वर्मा और बीके तिवारी की खिंचाई क्यों नहीं की?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *