महाग्रंथ के महानायक थे परशुराम। चरित्र-हनन कर डाला

दोलत्ती

: अक्षय तृतीया-परशुराम पर सवाल उठा तो भागे पूंछ दबाये : धिक्कारा कि ईद पर बधाई क्यों, विक्ट्री का प्रतीक क्यो : कल मित्र थे, अब घिनौने कट्टर हिन्दू : सामाजिक अपराधी फैला रहे मुस्लिम-हिन्दू दिमाग का जहर : परशुराम क्यों हैं महान, अगले अंक में :

कुमार सौवीर

लखनऊ : परशुराम भगवान अब कहाँ? उनके नाम पर लुहलुहा और हुक्का-हुआँ करते अंधभक्तों ने परशुराम के नाम पर एक विद्रूप, घृणास्पद, बदला लेने वाला, क्रूर, नृशंस जातिवादी राक्षस गढ़ लिया है। अपनी इस नई घृणित सोच पर और ज्यादा आग धधकाने के लिए उस परशुराम-नामी दैत्य को पूरे समाज, देश और राष्ट्र तक को जातियों में परस्पर ही नहीं बल्कि खास कर मुसलमानों के विरुद्ध एक शर्मनाक जमीन भी तैयार कर ली गयी है। और इसके कार्यकर्ता हैं ओके आसपास खलिहर घूमते बेरोजगार युवक, जिन्हें मनचाही जहरीली घुट्टी पिला कर मदमस्त कर दिया गया।
नतीजा यह हुआ कि परशुराम का वह व्यक्तित्व ही महा कथा और महाकाव्य से बाहर निकल फेंक गया है जो उन गाथाओं में एक महान तेजस्वी, शौर्यवान, सरलता, त्याग, न्याय और सहज भाव का प्रतीक थे।
खैर, आज हम विवेचना करेंगे परशुराम और भगवान परशुराम पर, ताकि समाज में गंदगी फैला लोगों को बेपर्दा किया जा सके। कम से कम चार एपिसोड तक हम परशुराम बनाम भगवान और चर्चा करेंगे।
अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम की जयंती भी सम्पन्न हो चुकी है। लेकिन इस पुनीत अवसर पर जो गंदगी फेंकी गई लोगों के मन मस्तिष्क पर, उस पर जवाब बहुत जरूरी है। मेरे एक मित्र दीपक कौसर श्रीवास्तव ने एक मैसेज ठीक ईद मौके पर उस वक्त भेजा, जब ईद की नमाज हो रही थी। आप भी वह मैसेज पढ़ लीजिये:-
Show me 5 Muslims who have sent you greetings for Akshaya Tritiya and the Parshuram Janmotsav.
I will show you 500 Hindus who have greeted on Eid…
The problem is not Muslims, they are strongly rooted in their religion. The PROBLEM is Hindus
Like it or not but this is the most ugly truth and the root of problem is PARENTING.
यह मैसेज पढ़ते ही मेरा खून खौल उठा। पहले तो खुद को संयत और शांत किया। फिर उन जघन्य अपराधियों को क्रमवार जवाब लिखने बैठा।
उन सब से पूछा कि परशुराम कौन हैं और किस परशुराम को तुम जानते हो, और क्यों? पूछा कि परशुराम तुम्हें किस स्रोत में मिले? तुमने परशुराम को इतिहास में पाया है या महाग्रन्थ अथवा महाकाव्य में।
जाहिर है कि इतिहास में तो परशुराम हैं ही नहीं, लेकिन तुम लोगों ने महाकाव्य और महाग्रंथ के रूपकों को इतिहास में तब्दील कर डाला। मनचाहे आकार, कृत्य, कुकृत्य, घृणा वगैरह-वगैरह। यानी जो भी तुम्हारे दिल-दिमाग में जहर सड़ रहा था तुमने उस महान महाग्रंथ के महान महापुरुष पर फेंक मारा। और लगे विध्वंसकारी कृत्य से अपनी विजय पर तालियां बजाने।
और यहीं करतूत ही सामाजिक तंतुओं का सर्वनाश कारण बनने लगी।
तो पहले मैं भगवान परशुराम भगवान के बजाय परशुराम के बारे में करीब दो दर्जन सवाल पूछने जा रहा हूँ। तुम पातकी और घटिया लोगों को इन सवालों में से एक भी जवाब देने की औकात जुटे, तो सामने आना:-
1-अक्षय तृतीया का महत्व और अर्थ क्या है?
2-अक्षय तृतीया के दिन आभूषण खरीदने का क्या औचित्य है?
3-आज का दिन त्योहार है या फिर बाजार चमकाने का कॉमर्शियल और बिजनेस मौका?
4-वाराणसी से लेकर सुदूर राजस्थान तक नन्हे-मुन्ने तथा दुधमुंहे बच्चियों और बच्चों के परस्पर विवाह की परंपरा का औचित्य क्या है?
5-क्या यह परम्परा आपराधिक, घृणित और शर्मनाक नहीं है?
6-कितना जानते हो परशुराम के बारे में?
7-परशुराम की मां का नाम क्या था?
8-किस बात पर परशुराम ने अपनी मां की गर्दन को एक ही फरसे से काट डाला था?
9-क्या दोष था उनकी माता का?
10-परशुराम ने क्षत्रियों को क्यों मारा?
11-क्या कारण यही था कि अर्जुनसहस्रबहु यमदग्नि ऋषि का बछड़ा-गाय को छीन ले गए थे?
12-क्या यह इतना बड़ा अपराध था कि एक गाय के लिए एक जाति-विशेष का ही विनाश कर डाला जाए?
13-कितनी बार उन्होंने क्षत्रियों का समूल विनाश किया?
14-जब एक बार क्षत्रियों का विनाश ही गया, तो फिर अगले कुल 21 बार तक परशुराम यह काम लगातार क्यों करते रहे?
15-कुल कितने क्षत्रियों को इन 21 विनाश अभियान में मारा होगा?
16-क्या वे सारे क्षत्रिय ही एक ही अपराध के दोषी थे?
17-परशुराम का क्या यह विनाश के मुकाबले सम्राट अशोक के कलिंजर युद्ध से कम था, जिसमे 10 लाख लोगों को मार डाला गया था?
18-इतने क्षत्रियों के समूल जाति की हत्या कर डालने वाले को हम भगवान मानें, या फिर नृशंस, जातीय-संहारी अथवा विकृत मनो-विकार ग्रस्त हत्यारा?
19-पिता ने पत्नी पर घृणित आरोप लगा कर परशुराम को आदेश दिया कि वे उनकी माता की हत्या कर दें, तो परशुराम ने वह अनैतिक कृत्य क्यों किया?
20-आप की नजर में आपकी मां का दर्जा ज्यादा महान है, या फिर सिर्फ आपके पिता का?
21-परशुराम ने यमदग्नि ऋषि के आदेश पर उसके सत्य-विवेचना की जरूरत क्यों नहीं समझा?
22–और आखिरी बात यह कि जब परशुराम ने विवाह ही नहीं किया तो वे ब्राह्मण जाति के पिता क्यों पूजे जाते हैं?
बाकी अगले अंक में
परशुराम: ग्रंथ का महानायक, या घृणित खलनायक

1 thought on “महाग्रंथ के महानायक थे परशुराम। चरित्र-हनन कर डाला

  1. Wah wah. Very logical. You are Real Journalist. Regards. Shailendra Srivastava, Journalist, Lucknow. ,😊😊😊👍👍👌👌👌

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