कई मित्रों की बातचीत और न्‍यूड-वीडियो भी तैयार किये है सलोनी

बिटिया खबर
: क्रिमिनल माइंडेड महिला या ममतामयी मां : सलोनी से जानकारियां उगलवाने में पुलिस के पसीने छूट रहे हैं : टे को लेकर जब उस पर इमोशनली दबाव डाला गया, तभी सलोनी टूटी : कलम में छिनरपन- दस :

दोलत्‍ती संवाददाता
इंदौर : (गतांक से आगे) सलोनी के मामले में एक कमाल की बात यह भी है कि वो न केवल सामान्य कॉल, बल्कि वॉटसऐप कॉल रिकॉर्ड करने, उन्हें तारीख के अनुसार हर दिन का फोल्डर बनाकर रखने और मन मुताबिक उनका इस्तेमाल करने के लिए एडिटिंग करने आदि में माहिर है। लेकिन इतनी टेक्नोफ्रेंडली होने के बाद भी वो फेसबुक पर नहीं है। उसने खुद को दुनिया से छिपाए रखने के लिए फेसबुक पर अकाउंट नहीं बनाया और न कभी सोशल मीडिया पर अपनी फोटो शेयर की।
उसने सोशल मीडिया से जुड़े रहने के लिए केवल टि्‌वटर को अपना सहारा बनाया। ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक ने पुलिस को दिए पत्र में जिक्र किया है कि सलोनी अरोड़ा आदतन ब्लैकमेलर लगती है और ये बात रिकॉर्डिंग्स सहेजकर रखने से लेकर धमकाने और दबाव डालने के तरीकों से साफ नजर भी आती है। ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक से पिछले सालों में की गई हर बातचीत का रिकॉर्ड रखने के अलावा उसने रिलायंस एंटरटेनमेंट के फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन्स हेड आदित्य चौकसे, पुणे में रहने वाले अपने एक अन्य मित्र श्याम सहित कई अन्य लोगों से बातचीत के रिकॉर्ड और शायद न्यूड विडियो भी सहेज रखे हैं। उसने अपने 15 साल के बेटे के भी कई तरह के विडियो बनाकर रखे हैं।
इन रिकॉर्डिंग्स को अच्छी तरह सहेजकर रखने का मकसद ब्लैकमेलिंग भी हो सकता है, साथ ही कुछ और भी। पुलिस के साथ बातचीत में अब तक उसने जो बताया है, उससे एक पक्ष यह भी सामने आता है कि वो अपने बेटे को लेकर बहुत संवेदनशील है और उससे बेतहाशा प्यार करती है। उसके गिरफ्तार होते ही यह बात सामने आई थी कि सलोनी पूछताछ में सहयोग नहीं कर रही है। शातिर दिमाग सलोनी से जानकारियां उगलवाने में पुलिस के पसीने छूट रहे हैं। बाद में पुलिस के आला अधिकारियों ने खुद इस केस को हैंडल किया और बेटे को लेकर जब उस पर इमोशनली दबाव डाला गया, तभी सलोनी टूटी और उसने धमकाने और ब्लैकमेल करने की बात कबूल की।
चौथी दुनिया इस मामले में खासी मेहनत कर रही है। उसने कई सवालों को खोजा और उनका जवाब खंगाला है। मसलन आखिर सलोनी अरोड़ा, ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक से क्या चाहती थी। वो क्या कारण थे, जिनके चलते उसने उनपर इस हद तक दबाव डाला? क्या इसमें किसी और के स्वार्थ भी शामिल थे या फिर इसके पीछे कोई रैकेट काम कर रहा था? इसमें और कौन-कौन लोग शामिल हैं और क्या इस क्रिमिनल माइंडेड महिला के चरित्र का कोई और पक्ष भी है? इसके अलावा ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक को पत्रकारिता में लाने वाले दैनिक भास्कर के पूर्व ग्रुप एडिटर श्रवण गर्ग, उनको कॉलेज के दिनों से जानने वाले उनके मित्र और वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेड़े, उनके साथ कई साल तक काम कर चुके इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा, अमर उजाला के पॉलिटिकल एडिटर शरद गुप्ता, और इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ग्रुप एडिटर कल्पेश याग्निक के बारे में क्या कहते हैं। (क्रमश:)

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