ससुराल को तेल लगाने वाले को हाकिम बनाते हैं शशिशेखर

बिटिया खबर

: ताज्‍जुब नहीं कि एक दिन समूह संपादक के साथ पिता के बजाय गधे की फोटो छाप देंगे : जो काम में जुटा रहा, वह पचीस बरस से ढक्‍कन हैं, गधों को सल्‍तनत थमा दिया : जिसे लिखने नहीं, समझने तक की तमीज नहीं, उसको ओहदेदार बना डाला : कर्मठ अरविंद मिश्र इतना प्रताडि़त हुए कि हार्ट अटैक हो गया : अनुभवी लोगों को डाक पर भेज दिया हिन्‍दुस्‍तान अखबार के वैशाख-नंदनों ने :

कुमार सौवीर

वाराणसी : शोभना भरतिया ने जिसे अपने अखबार का समूह संपादक बनाया है, वह अब पूरे अखबार की छुच्‍छी खोले दे रहा है। खबर के तौर पर यहां मजाक चल ही रहा है, लेकिन अब तो फोटो में भी लबर-लबर करने लगे हैं शशि शेखर के बकलोल। ताजा खबर है कि अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर विकलांग निशानेबाज सुमेधा पाठक की जीत पर जिस शख्‍स की फोटो सुमेधा के पिता के तौर पर छापी है, वह सुमेधा का बाप है ही नहीं। अखबार की दुनिया में तो यह मजाक अब सारी अड़ी पर जड़ गयी है कि कल तो यहां के रिपोर्टर लोग शशि शेखर के पिता के साथ उनकी फोटो में उनके पिता के तौर पर किसी गधे की भी छाप दें, तो कोई ताज्‍जुब नहीं है।
यह हालत है बिड़ला जी के हिन्‍दुस्‍तान का। इसके आज के संस्‍करण में छपी एक खबर से पूरी बनारस चौंक पड़ी ओर लगी इस अखबार ओर उसके संपादक शशि शेखर की लानत-मलामत करने। वजह यह कि जिस सुमेधा की खबर के साथ जो फोटो छापी गयी है सुमेधा पाठक के साथ, वह व्‍यक्ति सुमेधा का पिता ब्रजेश चंद्र पाठक नहीं, बल्कि सुमेधा का एक प्रशंसक प्रवीण तिवारी है।
सुमेधा के साथ लोग उसके पिता ब्रजेश चंद्र पाठक को भी बखूबी जानते-पहचानते हैं। आपको बता दें कि सुमेधा अंतरराष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज है। सुमेधा की इस सफलता में पिता बृजेश पाठक की उतनी ही मेहनत है। आपको बता दें कि सुमेधा सामान्य बच्चों की तरह ही थीं। लेकिन सन-2013 में 10वीं में पढ़ाई के समय रीढ़ की हड्डी में इंफेक्शन से कमर के नीचे का शरीर का हिस्सा शून्य हो गया। वह व्हीलचेयर पर आ गईं। उन्हें आगे की जिंदगी शून्य जैसी नजर आ रही थी। तब पिता बृजेश चंद पाठक ने उन्हें हौसला दिया, आंखों में सपना भरा। सपनों को पूरा करने के लिए खुद पंख बने और आज सुमेधा की अलग पहचान बन चुकी है।
सन-16 में इंटर कॉमर्स में वह सीबीएसई की परीक्षा में दिव्यांग वर्ग की नेशनल टॉपर बनीं। पिता ने निशानेबाजी में कदम रखवाया। घर में 12 मीटर के शूटिंग रेंज में प्रैक्टिस शुरू कराई। स्टेट और फिर नेशनल चैंपियनशिप में कई पदक जीते। वह कोरिया के पैरा निशानेबाजी विश्वकप में 10 मीटर एयर पिस्टल में रजत पदक जीत चुकी हैं।
जबकि प्रवीण तिवारी सुमेधा की मेधा के प्रति बेहद स्‍नेह रहते हैं। इसीलिए बाबतपुर हवाई अड्डे पर जब सुमेधा आयीं, तो उनको गुलदस्‍ता देने प्रवीण भी चले गये। फोटो भी खींची, लेकिन जब उसे छापने का मौका आया तो पिता के बजाय प्रवीण की फोटो के साथ सुमेधा की फोटो छाप दी।
आपको बता दें कि आजकल वाराणसी के हिन्‍दुस्‍तान अखबार में गधत्‍व का ही प्रकोप चल रहा है। मेधा के बजाय अब यहां केवल गधों को ही तरजीह दी जा रही है, जिनकी पहुंच शशि शेखर की ससुराल तक है और जो नियम से शशि शेखर की ससुराल में मक्‍खनबाजी यानी तेल लगाते है। ऐसे ही लोगों में अव्‍वल है अमरीश, जिन्‍हें डाक के एक मामूली सब एडीटर से तीन साल में डीएनई जैसी अहम कुर्सी पर कब्‍जा किया। अमरीश को शशि शेखर की ससुराल का आशीर्वाद प्रसाद है। इसीलिए वे अब डीएनई के साथ ही सिटी के प्रमुख और चीफ रिपार्टर भी बने हुए हैं। उनका जब मन करता है तो वे स्‍पेशल रिपोर्टर भी बन जाते हैं।
तो एक तरफ गधे पंजीरी फांक रहे हैं, जबकि पचीस बरस से हिन्‍दुस्‍तान में खटते रहे आशुतोष पांडेय, अखिलेश मिश्र और अरविंद मिश्र जैसों को डाक पर पटक-फेंक दिया गया है। अरविंद मिश्र की पकड़ सांस्‍कृतिक रिपोर्टिंग की है, लेकिन उपेक्षा का आलम यह है कि वे आजकल हार्ट अटैक से ग्रसित होकर घर में पड़े हैं।

 

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