: हिंदी क्षेत्र में जो शिवाला है, वही है केरल का वाडकुनाथन मंदिर : केदार, विश्वनाथ, पशुपति, देवघर, महाकाल स्थान है यह मंदिर : द्वेष, घृणा, वैमनस्य, अविश्वास नहीं, स्नेह, दोस्ती, प्यार, अपनापन से फैलती है खुशबू :
कुमार सौवीर
लखनऊ : यह केरल का त्रिशूर मंदिर है। हिंदी भाषा-भाषी क्षेत्र के लोग जिसे शिव कहते हैं न! मसलन केदारनाथ, विश्वनाथ, पशुनाथ, देवघर, महाकाल होता है न, ठीक उसी तरह वाडकुनाथन भी शिव का मंदिर है।
इस मंदिर में रेहान और उनका पूरा परिवार भी बेधड़क दिखाई देता है। कोई झंझट नहीं, कोई बवाल भी नहीं। अब सोचिए कि हिंदी बेल्ट में किसी मंदिर में कोई मुस्लिम इस तरह दिखें तो क्या हो सकता है? रेहान तो सिद्दीक कप्पन की पत्नी हैं। रेहान, कप्पन और उनका पूरा परिवार नहीं, बल्कि क्षेत्रीय विभिन्न समुदायों के लोग भी इस मंदिर में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हुए नियमित रूप से आते हैं।
अब सहज हो न!
खैर, तो आज सिद्दीक कप्पन और उनके दोस्त-वकील दिलशाद आज मेरे आवास पर पधारे। कप्पन को तो आप जानते ही होंगे।हाथरस कांड की रिपोर्ट करने वाले थे कप्पन को पुलिस ने जेल में ठूंस दिया। बेहिसाब आरोप जड़ दिए गए थे पुलिस ने कप्पन पर। क्लोज क्लोज सुप्रीम कोर्ट ने कपन को जमानत दी। फिर बवाल बना कप्पन का जमानत कौन ले। इस पर डॉक्टर की रूपरेखा वर्मा और मेरे साथ अलीम पैर जमाने के लिए हैं। मैंने अपनी जमीन का दस्तावेज जिला जज को सौंपा था।
जमानत के बाद आज कप्पन अदालती पेशी पर कोर्ट में हाजिर हुए।
सुबह उन्हें दिल्ली वापस कर दिया गया। सहस्रारपूर्ण व्यवहार के लिए मैंने इन दोनों को आज शाम के भोजन के लिए आमंत्रित किया।
सच कहूं? इन लोगों से दिल खुश हो गए मिल कर। अब आप लोग भी तो अपने दिल को टटोलना और उनके स्नेह को इशारा करना शुरू कर दें।
जीवन द्वेष, द्वेष, वैमनस्य और परस्पर अविश्वास से नहीं, बल्कि स्नेह, मैत्री, प्रेम और अपनेपन से ही सुगबुगाहट हो सकती है।