टाइटनिक: हादसा कभी भी मनोरंजन का सबब नहीं बन सकता

बिटिया खबर

: टाइटनिक का मलबा देखने गये दुनिया के पांच अरबपति समुद्र में डूब गये : रविवार की सुबह लंदन से ही रवाना हई थी पनडुब्‍बी, लापता : 91 बरस पहले लंदन से न्‍यूयॉर्क की ओर बढ़ा था टाइटनिक : 2223 लोगों में से केवल 1517 लोग समुद्र में समा गये : अरबपतियों की पनडुब्‍बी का अता-पता नहीं चल पा रहा :

दोलत्‍ती संवाददाता

लखनऊ : टाइटनिक: हादसा कभी भी मनोरंजन का सबब नहीं बन सकता है। लेकिन अपनी अकूत रकम पर इतराने वाले लोग मौत के मंजर को निहारने की ख्‍वाहिश में आज खुद मौत की आगोश में चले गये। लंदन से रविवार की सुबह टाइटनिक का मलबा निहारने की ख्‍वाहिश रखे दुनिया के पांच अरबपति लोग भारी भरकम टिकट लेकर इस यात्रा पर रवाना हुए, लेकिन जिस पनडुब्‍बी पर सवार हो गये थे यह पांचों लोग, उसका अता-पता ही नहीं चल पा रहा है।
टाइटनिक नाम का जहाज आज से करीब 91 बरस पहले समुद्र में डूबा था। यह जहाज दुनिया का तब तक बेमिसाल जहाज था, लेकिन डूब गया। उस हादसे को दुनिया भर में जबर्दस्‍त चर्चाएं हुईं, जो आज भी जारी हैं।
लेकिन दुनिया के पांच अरबपति लोगों ने इस जहाज को देखने के लिए समुद्र में डुबकी लगाने का फैसला किया। इसके लिए एक पनडुब्‍बी किराये पर ली गयी, जिसका किराया था दो करोड़ रुपया प्रति व्‍यक्ति। इनमें ब्रिटिश हमिश हार्डिंग, पाकिस्‍तानी दाऊद और उनका बेटा सुलेमान के साथ ओशनमेट के सीईओ स्‍टॉकटन रश भी सवार थे।
रविवार की सुबह अपने यात्रियों के साथ यह पनडुब्‍बी समुद्र की सतह से करीब चार किलोमीटर की गहराई में पड़े टाइटनिक को देखने रवाना हुई, लेकिन रवानगी के डेढ़ घंटे के बाद से ही उसका संपर्क दुनिया से टूट गया।
जाहिर है कि यह सभी लोग मनोरंजन के अलावा किसी अन्‍य मिशन पर समुद्र के भीतर नहीं गये थे।
आपको बता दें कि टाइटनिक नाम का यह जहाज दुनिया का सबसे बड़ा यात्री जहाज था, जो भाप से चलता था। साउथम्पटन, इंग्लैंड से अपनी प्रथम यात्रा पर 10 अप्रैल 1912 को रवाना हुआ। चार दिन की यात्रा के बाद, 14 अप्रैल 1912 को वह बर्फ के एक हिम-खंड से टकरा गया, जिसमें 1,517 लोगों की मृत्यु हो हुई। यह हादसा इतिहास की सबसे बड़ी समुद्री आपदाओं में से एक माना जाता है। दुनिया को चमत्‍कृत कर देने और जहाज व्‍यवसाय में अपना एकाधिकार स्‍थापित करने की होड़ में 2,223 यात्रिओ के साथ टाइटनिक अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर के लिए रवाना हुआ था। लेकिन शुरूआत से ही यह टाइटनिक अराजकता से घिर गया था। जहाज पर उस समय के सभी नियमों का पालन करने के बावजूद केवल 1,178 लोगों के लिए ही जीवनरक्षक नौका थी। जहाज होने के दौरान भगदड़ मची, लेकिन महिलाओं और बच्चों को पहले बचाने की कोशिश की गयी, इसके चलते इस हादसे में पुरुष ज्‍यादा संख्‍या में मारे गये।
माना जाता है कि टाइटैनिक के डूबने का मुख्य कारण अत्यधिक गति से चलना था। टाइटैनिक के मालिक जे ब्रूस इस्मे ने जहाज के कप्तान को जहाज को अत्यधिक गति से चलाने के लिए कहा था। 12 अप्रैल 1912 को टाइटैनिक को 6 बर्फ की चट्टानों की चेतावनियां मिली थीं। कप्तान को लगा की बर्फ की चट्टान आने पर जहाज मुड जाएगा। परन्तु बद्किस्मती से जहाज बहुत बड़ा था और राडार छोटा था। बर्फ की चट्टान आने पर वह अधिक गति के कारण समय पर नहीं मुड पाया और चट्टान से जा टकराया। एक अनुमान के मुताबिक यह चट्टान करीब 10,000 साल पहले ग्रीनलैंड से अलग हुई थी। इस हादसे से जहाज के आगे के हिस्से में छेद हो गए और लगभग पौने तीन घंटों के भीतर ही वह पूरा समुद्र में समा गया। जिस सागर में वह डूबा था उसके जल का तापमान -2℃ था जिसमें किसी साधारण इंसान को 20 मिनट से ज़्यादा जिन्दा रहना नामुमकिन था।
टाइटैनिक उस समय के सबसे अनुभवी इंजीनियरों के द्वारा डिजाइन किया गया था और इसके निर्माण में उस समय में उपलब्ध सबसे उन्नत तकनीकी का इस्तेमाल किया गया था। यह कई लोगो के लिए एक बड़ा आघात था कि व्यापक सुरक्षा ओर सुविधाओं के बावजूद, टाइटैनिक डूब गया था। आवेश में आयी हुई मीडिया की ओर से टाइटैनिक के प्रसिद्ध आरोपी, जहाज के डूबने का उपाख्यान, समुद्री कानूनों का भंग ओर जहाज के मलबे की खोज ने लोगो की टाइटैनिक में रुचि जगाने में काफी योगदान दिया।
टाइटैनिक ने विलासिता और बहुतायत में उसके सभी प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ दिया था। प्रथम श्रेणी के खंड पर स्विमिंग पूल, एक व्यायामशाला, एक स्क्वैश कोर्ट, तुर्की स्नानगृह, इलेक्ट्रिक स्नानगृह और एक कैफे का बरामदा था। प्रथम श्रेणी के कमरो को अलंकृत लकड़ी के तख़्तो, महंगे फर्नीचर और अन्य सजावट से सजाया गया था। इसके अलावा, पारसी कैफे, प्रथम श्रेणी के यात्रियों के लिए सूर्य के उजास वाले, साजो सजावट से युक्त बरामदे में भोजन की पेशकश किया करते थे। वहाँ प्रथम और दूसरे दर्जे के विभागों में पुस्तकालयों और नाई की दुकानों की सहूलियत थी। तीसरे वर्ग के कमरे पाइन लकड़े के चोखटे और मज़बूत टीक के लकड़े से बना हुआ फर्नीचर से युक्त थे। जहाज की अवधि के लिए उसमे तकनीकी रूप से उन्नत सुविधाऐ शामिल की गयी थी। टाइटैनिक के प्रथम श्रेणी के खंडो में बिजली से चलने वाली तीन लिफ्ट और दूसरे वर्ग के खंड में एक लिफ्ट मौजूद थी। उसमे एक विस्तृत बिजली प्रणाली की सुविधा भी थी जो भाप चालित जनरेटर से युक्त थी और जहाज में फैले हुए बिजली के तार लाइटो में रोशनी और दो शक्तिशाली 1,500 वाट के मारकोनी रेडियो को बिजली पहुचाते थे जिसकी मदद से अलग अलग पाली में काम कर रहे ऑपरेटर यात्रिओ के संदेशों का प्रसारण और अन्य जहाजो से निरंतर संपर्क रख पाते थे। प्रथम श्रेणी के यात्रियों ने ऐसी सुविधाओं के लिए एक भारी शुल्क का भुगतान किया था। उसमे सबसे महंगे एक तरफी ट्रांस अटलांटिक पारित प्रवास के लिए 4350 अमरीकी डालर का भुगतान किया गया था। जिसकी आज की तुलना में कीमत 95860 अमरीकी डॉलर से भी ज्यादा होती।

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