बच्चियों ! तुम रौशन जैकब बनना। बी चंद्रकला, के धनलक्ष्मी, किंजल सिंह या चंद्रा निगम नहीं

दोलत्ती

: चारों लड़कियां एक साथ शीर्ष पर आईएएस पर पहुंचती हैं, तुम्हें अब देश में शीर्ष बन जाती है: ईंटों से लगीं कमीशन पर कमीशन बढ़ाना, जंगल की सेवा करना, वहां ऐयाशी मत करना : बाघिन अपने तीन नवजात शावकों के क्षेत्र में हुक्म देना : अधीस्थीथ को धमकाना, स‍पेंड करना नहीं, उनसे काम सम्‍मिलित है तुम्‍हें : शराब पीकर अर्द्ध-नग्‍न होना तुम्‍हारी ड्यूटी में नहीं :

कुमार सौवीर

लखनऊ : इन बच्चियों का हौसला देख दिल बाग-बाग हो गए
एक से लेकर सीधे चार तक चार बच्चे डायरेक्ट टॉप कर गए।
लेकिन श्रवण आशिता किशोर, गरिमा लोहिया, उमा हरीती और स्मृति मिश्रा !
अब तुम्हारी ही जिम्मेदारी है कि तुम आम आदमी को पूरी कानूनी सुरक्षा देना। राष्ट्र अब तुम जैसे बच्चों के ही हाथ में है। समाज को आदर्श, ईमानदारी, ईमानदारी, देयता, प्रमाणन और प्रमाणन विकास की आवश्यकता है, और यह काम आप ही कर सकते हैं। देश ने नौकरी नहीं, स्वर्णिम मौका दिया है।
अब तुमको ही तय करना है कि तुम देश को नेविगेट करते हैं, या फिर बीकला चंद्र, के धनलक्ष्मी, किंजल सिंह या चंद्रा निगम की तरह।
दागी है कि तुम बहल और आम आदमी का दुख, कश्त को जमीन पर देखोगे, उन्हें परख कर उन्हें तौलोगी और फिर इस तरह आम आदमी को त्राण दो पाओगी। तुम देखो कि जन-समस्याएं जैसी हैं, वे सरकारी प्रशासन और आपकी क्षमता आपकी शासकीय क्षमता में किस तरह का सुधार कर सकते हैं। तुम देखो कि तुम्‍हारे कार्यक्षेत्र में कोई जमीनी विवाद तो ऐसा नहीं है जो आने वाले वक्‍त में एक गमीर कानून व्‍यवस्‍था में तब्‍दिल हो संभावना की आशंका जताता है। तुम देखो कि तुम्‍हारे अधीरस्‍‍थों तुम्‍हारे कार्य-क्षेत्र की न्‍यायालयों में मुकदमों का स्‍तर क्‍या है, तुम लोक की समस्या-लाम-रिद्रसल की दिशा में कितनी राहों के साथ सामने सीना तान कर खड़ी हो सकती है। तुम देखो कि सरकारी जमीन पर कोई अवैध निर्माण तो नहीं हो रहा है, कहीं कोई सार्वजनिक स्थल पर कोई ऐसा धार्मिक कृत्य तो नहीं चल रहा है, जो बाद में सांप्रदायिक तनाव का मशीका बन जाए। तुम्हें यह भी दृश्य होगा कि तुम संवेदनशील क्षेत्रों में किस तरह अपनी गैर-जिम्मेदार पुलिस और मैजिसिट्रेट को नियंत्रित कर उनकी निरंतर निगरानी करती रह सकती है।
तुम्हें हमेशा याद रखना ही होगा कि तुम देश की श्रेष्टठ जंप सेवा की एक अधिकारी ही नहीं, बल्कि वह भी ज्यादा एक दायित्‍वपूर्ण और संवेदनशील व्‍यक्ति भी हो, जिसकी अपनी अधिकतम क्षमता का कुशल प्रदर्शन करने का हार्दिक दायित्व होगा। तुम से शंकर रखी जाएगी कि तुम नेता, जनप्रतिनिधियों की पूरी बात सुनोगी, लेकिन इस बात का तुमको हमेशा ध्‍यान रखना ही होगा कि जो भी बात नेता या जन प्रतिनिधि सब कुछ कह रहा है, उसका अर्थ और औचित्‍य क्‍या हो सकता है। जाहिर है कि तुम ही तय करोगी कि ऐसे किसी भी मामले में तुम्हारा हर कदम आम आदमी के प्रति ही समर्पित होगा।
तुमको तुम्‍हारे दायित्‍व प्लगइन के लिए सभी सुविधाएं मिली हैं। अधिकारियों और कर्मचारियों का एक बड़ा हुजूम आपको हारे पास होगा, लेकिन केवल इस लिए ताकि आप अपने क्षेत्र की दिक्क्तों और लोगों का निदान कर सकें। तुम्‍हें कार मिलेगी, ड्राइवर मिलेगा, ताकि तुम जल्‍दी से जल्‍दी लोगों की शिकायतों को समझ सकें और उनका निदान करने के लिए जोखिम पर वक्‍त-बे-वक्‍त पहुंच सको। तुम्‍हें एक बड़ा बंगला दिया जाएगा, ताकि तुम ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों से सम्‍पर्क कर सको, और अपनी चित्‍त को शांत भी करते रहो।
टास्क बेहिसाब वादन कर रहे हैं, जिन्गें केवल तुम्हें ही पूरा करना होगा और हर कीमत पर करना होगा, अगर तुम देश की सबसे बड़ी सेवा की श्रेष्ट सदस्य बनना चाहोगे। और अगर ऐसा तुम चाहोगी, तो बस, एक रहने दो।
तुम्हें रोशन शहरों में ईंट से पत्थर से जकड़न का आरोप लगाना छह नहीं चाहता है, जिसके लिए तय किए गए फैसले का कमीशन तीन प्रतिशत से सीधा एक तय प्रतिशत हो गया है, और न ही के धनलक्ष्मी बनता है, जिन पर भी दांव फंसाने पर अपने घर को भी- जांच तक घुसने की इजाजत नहीं दी गई थी। तुम्‍हें किंजल सिंह भी नहीं बनते, जो लखीमपुर के डीएम के पद से दुधवा नेशनल पार्क में रात-बिरात अपने दोस्‍तों के साथ शराब की पार्टी करें और डीजे बजाकर जंगली जानवरों को परेशान करें। ऐसी पार्टी के दौरान एक अन्य संस्करण आईएएस भी मौजूद था। जरूरी तो बताएं, मैं उस अधिकारी का नाम भी बताता हूं। तुम को बता दूं कि जिस समय किंजल सिंह ने दुधवा में यह तय किया था, ठीक उसी के सौ मीटर की दूरी पर एक टाइगरिन अपने तीन नवजात शावकों के साथ थी। वह तब बेशर्म था, जब उसके मुख्य सचिव आलोक रंजन थे, जिसने वन विभाग के अधिकारियों को ही उल्टा कर दिया था।

तुम्हें चंद्रा निगम भी नहीं बनता है, जो आवास परिषद के सचिव होने के बावजूद और सरकारी ड्यूटी पर होने के बावजूद रात में ही सरकारी ड्राइवर के साथ शराब पीकर अपने घर दहाड़ गया और उसी रात कार में ही धुत्‍त भरी इलाहाबाद की ओर भी दी। इतना नशा चढ़ गया कि वह आधी-नंगी हालत में रास्‍ते के कारण थाने में चली गई और ड्राइवर के खिलाफ मुकदमा दायर करने की शिकायत की गई। उसने थानेदारों में निगम की हालत को देखा, तो उसे ही कार्यभार सौंप दिया-मलामत कर दिया।
याद रखना, कि तुम को ऐसी सूचना नहीं बनती है। उन्‍हें बनना तो डॉक्‍टर राजन जैकब की तरह है, जो रिकॉर्ड की उस सीमा तक है, जिस पर बहुत कम लोग ही पहुंच सकते हैं।

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