महान संपादकों ने निहाल किया, तो ओछे और छिछोरे भी मिले

: विनोद शुक्‍ला, घनश्‍याम पंकज, शशि शेखर और विश्‍वेश्‍वर कुमार जैसे घटिया संपादक भी मिले : मृणाल पांडेय, डॉ त्रिखा, मंगलेश डबराल, वीरेन डंगवाल, तडि़त कुमार, आनंद स्‍वरूप वर्मा, कमर वहीद नकवी, शेखर त्रिपाठी, अंशुमान त्रिपाठी और संतोष तिवारी ने मुझे नयी ऊंचाइयां दीं : कुमार सौवीर लखनऊ : कई दिग्‍गज और महान पत्रकारों से […]

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भास्‍कर को हुई दिनौंधी। दिखा हरा पन्‍ना का शिवलिंग

: समाज को भ्रमित कर पत्रकारिता का सत्‍यानाश किया दैनिक भास्‍कर ने : अगर वहां विशाल हरा-पन्‍ना का शिवलिंग था, उसको आक्रांताओं ने उसे हथियाने की कोशिश क्‍यों नहीं की : ज्ञानवापी में अफवाह फैलायी भास्‍कर के बकलोलों को : शिवलिंग टोडरमल ने स्‍थापित किया अथवा नारायण भट्ट ने : कुमार सौवीर लखनऊ : वाराणसी […]

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पत्रकारों ने जागरण को धुरचुक्‍क दिया, चार-चार हजार जुर्माना

: वाराणसी के श्रम न्‍यायालय ने लिया संज्ञान, बिलबिला पड़ेंगे जागरणवाले : विज्ञापन हड़पने में माहिर, लेकिन वेतन देने में छुच्‍छी निकल जाती है जागरण की : वाराणसी के श्रम न्‍यायालय ने लिया संज्ञान, वादी कर्मचारियों पर जुर्माना : 8 साल से डेढ़ सौ पत्रकार लड़ रहे मुकदमे : दोलत्‍ती संवाददाता वाराणसी : दैनिक जागरण के […]

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माना कि बलिया का डीएम चोर है। लेकिन तुम क्‍या हो पत्रकार जी ?

: हर जिले में पचास से ज्‍यादा सरकारी मास्‍टर करते हैं पत्रकारिता : बलिया का पत्रकार जेल में चक्‍की चला चुका, जबकि जौनपुर वाला डीएम को उंगलियों में नचाता है : सरेआम दलाली करते हैं ऐसे पत्रकार बने सरकारी मास्‍टर : एक मास्‍टर तो जिला पत्रकार संघ में महामंत्री तक है, 20 बरस से : […]

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कचेहरी में कहां जाएं महिलाएं व ट्रांसजेंडर ?

: नागरिक सुविधाओं की आवाज बना वाराणसी, दखल संगठन ने दिया ज्ञापन : कुछ कॉमन रूम हों जहाँ वे सहजता से कुछ समय विश्राम कर सकें अथवा धात्री महिलाएं बच्चे को स्तनपान करा सकें : बार एसोसियेशन भी इस मसले पर सामने आया : दोलत्‍ती संवाददाता वाराणसी : वाराणसी कचहरी परिसर में महिला और ट्रांसजेंडर […]

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खबरें सूंघता है यह जमीनी संपादक: ओम गौड़

: दैनिक भास्‍कर के नेशनल-एडीटर हैं ओमगौड़ : मैंने एक इवेंट विकसित शुरू किया, लखनऊ से दिल्‍ली राष्‍ट्रपति भवन तक स्‍केटिंग पर बच्‍चों को सड़क पर ले जाना : बातचीत हुई, ओम गौड़ कार खुद चला कर पाली-मारवाड़ ले गये : भास्‍कर डिजीटल की रीडरशिप अकेले नौ लाख हो चुकी है, वह भी अकेले यूपी […]

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बहुत खो कर कमाया है मैंने यह एटीट्यूड। इसे खोना नहीं चाहता

: आप अपना काम सम्‍भाले रहें, मैं अपने एटीट्यूड में मस्‍त हूं : 3-इडियट्स फिल्‍म देखिये, मुझे नंगा अघोरी-अवधूत मानते हैं : शेषनारायण सिंह ने मुझे कबीर, किसी ने फक्‍कड़-कबीर तो किसी ने केरारबीर का समकक्ष माना : थ्री-इडियट्स में देखें कि कुमार सौवीर में ऐसे एटीच्‍यूट का मतलब क्‍या है : लोग मुझे नापसंद […]

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मेरे दुख-सुख का भागीदार था कमाल खान

: दोस्‍त के रुखसत हो जाने पर उसके दुर्गुणों और गुणों का बखान करना जरूरी : चाहे मुस्लिम सभासदों को भड़काने की साजिशें या फिर बेटी का विवाह, कमाल खान हमेशा साथ रहा : पिता सियाराम शरण त्रिपाठी, रिचा, मित्र वीपी पांडेय, मां, चाची और अतुल पांडेय के बाद अब कमाल खान एक अपूरणीय क्षति […]

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विधानसभा अध्‍यक्ष थे वासुदेव सिंह। कुइंचा भर थे। ताई ने घर से भगाया

: कुछ की फितरत होती है। क्‍या ब्राह्मण और क्‍या ठाकुर : ठीक से ब्राह्मण तो न बन पाये, लेकिन नौकरी और जिन्‍दगी में ठाकुर-धर्म ठसक के साथ निभाया : वाईपी सिंह जैसी बेहद आत्‍मीयतापूर्ण हंसी मैंने जीवन में बहुत कम ही देखी : कुमार सौवीर लखनऊ : प्रतापगढ़ में एक गांव है किलाइन। वाराणसी […]

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स्‍तब्‍ध करने वाली पदचाप व भंगिमा थमी, बिरजू जी नहीं रहे

: सबसे पहले मैंने साक्षात देखा था बिरजू महाराज जी का कथक नर्तन : गंगा महोत्‍सव का आयोजन था नदी पर बने विशाल मंच पर : कथक के लखनऊ घराने के मठाधीश थे महराज : दिल्‍ली में तड़के हुआ जर्बदस्‍त हार्ट अटैक, और फिर सब खत्‍म : कुमार सौवीर लखनऊ : यह सन-89 की बात […]

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जातीय उन्‍माद नहीं, निष्‍ठा पर जिंदा है पत्रकारिता: कमर वहीद नकवी

: आनंद स्‍वरूप वर्मा के अनुसार हिन्‍दी पत्रकारिता ब्राह्मणों नहीं, योद्धाओं के बल पर जिन्‍दा : अयोध्‍या ही नहीं, फैजाबाद के कमरे में एक-एक गुम्‍बद पर तीन-तीन पत्रकार चढ़े थे : संपादक से महाप्रबंधक तक का सफर राघवेंद्र चढ्ढा ने : एक राष्‍ट्रीय अंग्रेजी के कट्टर हिंदूवादी ब्‍यूरो चीफ अपने दामाद के भाई को एक […]

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मृणाल पाण्‍डेय न होतीं तो ढह जाती पत्रकारिता

: दायित्‍व-पत्रकारिता की इमारत में लसोढा हैं मृणाल पाण्‍डेय : ललई यादव ने पूरी गुंडई के साथ दो पत्रकारों का कैमरा पैरों से तोड़ा : निजी नहीं, पत्रकारिता के कुनबे को जोड़ने की अद्भुत शैली बनायी तडि़त कुमार और आनंदस्‍वरूप वर्मा ने : कुमार सौवीर लखनऊ : पत्रकारिता में अगर मैंने सबसे बेमिसाल अट्टालिका की […]

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उंगलियों में नचाते पेंसिल को तोड़ दिग्‍गज वकील बोला, लखनऊ हाईकोर्ट क्‍या है

: आसमान से जमीन तक टपकने का किस्‍सा हैं प्रिंस लेनिन : ख्‍वाहिशों के आसमान से जमीनी हकीकत का सफरनामा हैं प्रिंस लेनिन : बाप ने जातिवादी जहर धोने के लिए बेटे का नाम लेनिन कर दिया : एनआरएचएम महा-लूट के बड़े मगरमच्‍छ अभी तक अज्ञात, धेला नहीं मिला : जज नहीं बन पाये तो […]

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कानून-ची दुनिया: किसी में चुल्‍ल है, किसी का दायित्‍व, तो किसी का धर्म

: जिन्‍दगी को आम आदमी से जोड़ने में बेमिसाल हैं हाईकोर्ट के तीन वकील : कानून-चीं धंधे से अलग भी एक अनोखा जीवन जीने के लिए जरूरी है लसोढ़ा : व्‍यवसाय के साथ लेखन से डंका बजा रहे हैं वकालत-सेनानी : बातचीत रविशंकर पांडेय, चंद्रभूषण पांडेय और आईबी सिंह पर : कुमार सौवीर लखनऊ : […]

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तुम्‍हें न वकालत आती है, न मुंशीगिरी। जजी क्‍या करोगे: बोले वीरेंद्र भाटिया

: वकालत की दुनिया में अद्भुत शख्सियत थे वीरेंद्र भाटिया, लेकिन आखिरी वक्‍त में सब साथ छोड़ गये : दूसरों को जोड़ने और उनकी जरूरतों के चक्‍कर अपने ही लसोढ़ापन का शिकार बन गये वीरेंद्र भाटिया : बड़ा जिगर था रमेश पांडेय का। वे अपनी जरूरतों को भी बौना बना सकते थे : रमेश की […]

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