भास्‍कर को हुई दिनौंधी। दिखा हरा पन्‍ना का शिवलिंग

बिटिया खबर

: समाज को भ्रमित कर पत्रकारिता का सत्‍यानाश किया दैनिक भास्‍कर ने : अगर वहां विशाल हरा-पन्‍ना का शिवलिंग था, उसको आक्रांताओं ने उसे हथियाने की कोशिश क्‍यों नहीं की : ज्ञानवापी में अफवाह फैलायी भास्‍कर के बकलोलों को : शिवलिंग टोडरमल ने स्‍थापित किया अथवा नारायण भट्ट ने :

कुमार सौवीर

लखनऊ : वाराणसी के ज्ञानवापी में जो शिवलिंग का दावा किया जा रहा है, उसमें पूरे हिन्‍दू समाज को उद्वेलित करने में दैनिक भास्‍कर ने तो झूठ ही परोस दिया। खबर के नाम पर केवल अफवाह फैलाने में तो पूरा मीडिया लंगोट कस कर मैदान में बैठा ही था। लेकिन अफवाहों और झूठों से ढंकी रतौंधी कितनी खतरनाक हो सकती है, इसका ताजा मरीज दिखा है दैनिक भास्‍कर की करतूतें। अपनी इस खबर पर दैनिक भास्‍कर ने झूठ और अफवाहों की श्रंखला तक लिख मारी। कहीं बताया कि हरा पन्‍ना से बना यह शिवलिंग टोडरमल ने स्‍थापित किया है, जबकि अगले ही पैराग्राफ में दैनिक भास्‍कर के रिपोर्टर हिमांशु अस्‍थाना ने इसकी स्‍थापना का श्रेय किसी और को थमा लिया। वह भी केवल सुनी-सुनायी बातों के आधार पर, जिसका मकसद केवल अफवाहें फैलाना ही था। भास्‍कर ने यह तो लिख दिया कि औरंगजेब ने उसको बर्बाद किया, लेकिन अब तक वह तथाकथित और भारीभरकम बेशकीमती पन्‍ना वहां सुरक्षित पड़ा रहा, इस पर सवाल उठाने की जरूरत नहीं समझी दैनिक भास्‍कर के रिपोर्टर ने, और न ही भास्‍कर के सम्‍पादकीय प्रभारी अथवा संपादक ने।
दरअसल, आंखों में एक रोग सामान्‍य तौर पर उभर जाता है। उसका नाम है रतौंधी। शाम होते ही इस रतौंधी का असर शुरू हो जाता है, जो सुबह के बाद तक ही बना रहता है। इस रोग में बीमार व्‍यक्ति को सामने वाले व्‍यक्ति, वस्‍तु अथवा किसी बिम्‍ब की आकृति समझ में ही नहीं आती है। होता कुछ है, जबकि दिखने या महसूस होना शुरू हो जाता है कुछ और। इलहामों का शिकार हो जाता है ऐसा बीमार व्‍यक्ति। लेकिन अब नया रोग उभर गया है। उसका नाम है दिनौंधी। शुरुआत में तो समाज में बुरी तरह पसरे अंधभक्‍त-समाज में इसका गम्‍भीर प्रकोप शुरू हुआ था, लेकिन अब तो इसका असर सीधे-सीधे मीडिया यानी पत्रकारों तक व्‍याप गया है। ऐसा संक्रमित पत्रकार सच के बजाय केवल भ्रम या अपनी मूर्खताओं से ग्रसित होकर लिखना या दिखाना शुरू कर देता है। जाहिर है कि ऐसी हालत में अर्थ का अनर्थ होने लगता है और अंतत: अपने पूरे पाठक-दर्शक समुदाय से होते हुए पूरे समाज तक को बुरी तरह भ्रमित और मूर्ख-जड़ता तक संक्रमित कर देता है।
इसका ताजा बीमार दिखा है दैनिक भास्‍कर। इस अखबार ने वाराणसी के ज्ञानवापी में हाल ही मिले शिवलिंग या फौव्‍वारा को पत्‍थर या सीमेंट के बजाय उसे सीधे एक बेशकीमती पदार्थ से बना करार दे दिया। भास्‍कर की अपनी एक खबर के मुताबिक यह शिवलिंग-फौव्‍वारा पन्‍ना का बना है। पन्‍ना ही नहीं, बल्कि यह हरे किस्‍म के पन्‍ना से बनाया गया है। अपनी यह अफवाह फैलाने के लिए इस अखबार ने एक ऐसे व्‍यक्ति के बयान का सहारा लिया है, जिसका किसी भी रत्‍न या रत्‍न-व्‍यवसाय से कोई भी लेना-देना ही नहीं है। भास्‍कर के हिमांशु अस्‍थाना ने यह खबर लिखी है। लेकिन जब दैनिक भास्‍कर को पता कि उसकी खबर पूरी तरह फर्जी है, तो उसने भूल-सुधार या क्षमा-याचना के, पूरी खबर ही गोल कर डाली। जाहिर है कि यह रिपोर्टर हिमांशु अस्‍थाना या तो अव्‍वल मूर्ख है, या फिर बेहद झूठा और षडयंत्रकारी। किसी बकलोल का बयान सुनने के पहले हिमांशु अस्‍थाना ने यह तक सोचने की जरूरत नहीं समझी कि किसी भी आक्रांता के झुंड या उसके बाद काबिज लोगों ने इस पन्‍ने को हथियाने की कोशिश क्‍यों नहीं की।
दैनिक भास्‍कर की इस करतूत को पहचानने के लिए दोलत्‍ती ने वाराणसी के एक बड़े ज्‍वेलर्स से पूछा कि अगर दैनिक भास्‍कर की बात तो सही मान लिया जाए कि ज्ञानवामी में मिला सवा तीन मीटर ऊंचा एक विशालकाय शिवलिंग हरा पन्‍ना का बना हुआ है, तो उसकी कीमत क्‍या होगी। इस ज्‍वेलर ने दोलत्‍ती को बताया कि ऐसी हालत में इसकी कीमत हजारों लाख करोड़ की होगी। आपको बता दें कि हरा पन्‍ना का बाजार मूल्‍य इस समय पचास हजार रुपया प्रति रत्‍ती चल रहा है।

भास्कर के रिपोर्टर हिमांशु अस्‍थाना ने लिखा है कि, ‘यह वही शिवलिंग है, जिसे अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल ने 1585 में स्थापित कराया था। तब उनके साथ बनारस के पंडित नारायण भट्‌ट भी थे। शिवलिंग का ऊपरी कुछ हिस्सा औरंगजेब की तबाही में क्षतिग्रस्त हो गया था।’ लेकिन हिमांशु खामोश हैं कि औरंगजेब ने इतने बेशकीमती पत्‍थर को बर्बाद किया, तो आज वह कैसे मौजूद है। भास्‍कर का दावा है कि यह शिवलिंग बेशकीमती पन्ना पत्थर का है। रंग हरा है। हालांकि शिवलिंग के साइज को लेकर कई दावे सामने आए हैं। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि उनके परिवार के पंडित नारायण भट्ट ने पन्ना पत्थर का शिवलिंग स्थापित कराया था।’
लेकिन एक ही खबर में इसको स्‍थापित करने का क्रेडिट एक ओर तो टोडरमल को दिया है भास्‍कर ने, वहीं दूसरी ओर कुलपति तिवारी को तेल लगा दिया है। लेकिन यह सवाल नहीं उठाया है भास्‍कर ने कि, नारायण भट्ट के पास इतनी रकम कहां से आ गयी।

2 thoughts on “भास्‍कर को हुई दिनौंधी। दिखा हरा पन्‍ना का शिवलिंग

  1. संस्थान में ऐसे लोग भरे पड़े है और बेवकूफाना हरकत करते रहते है और तो और कुछ सीनियर लोग भी बैनर को तेज दौड़ाने के चक्कर में कुछ भी करने को तैयार है और कर भी रहे है जैसे उपरोक्त खबर

    1. आपके आसपास अगर ऐसी घटनाएं हों, तो मुझे तत्‍काल बताइयेगा जरूर।
      मेरा वाट्सऐप है 8840991189 और 9453029126

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