कचेहरी में कहां जाएं महिलाएं व ट्रांसजेंडर ?

बिटिया खबर

: नागरिक सुविधाओं की आवाज बना वाराणसी, दखल संगठन ने दिया ज्ञापन : कुछ कॉमन रूम हों जहाँ वे सहजता से कुछ समय विश्राम कर सकें अथवा धात्री महिलाएं बच्चे को स्तनपान करा सकें : बार एसोसियेशन भी इस मसले पर सामने आया :

दोलत्‍ती संवाददाता

वाराणसी : वाराणसी कचहरी परिसर में महिला और ट्रांसजेंडर नागरिकों की असुविधा को देखते हुए उठाई गयी शौचालय की मांग। शौचालय सहित महिलाओं के लिए अलग सिटिंग बेंच, कॉमन रूम और काउंसलिंग रूम आदि के लिए डीएम बनारस बार को सौंपा गया ज्ञापन पत्र।
महोदय , आज मंगलवार 26  अप्रैल 2022 को वाराणसी कचहरी परिसर में महिला और ट्रांसजेंडर नागरिकों की असुविधा को देखते हुए निःशुल्क शौचालय की मांग उठाई गयी। महिलाओं के लिए अलग सिटिंग बेंच, कॉमन रूम और काउंसलिंग रूम आदि के लिए दख़ल संगठन की ओर से डीएम को सम्बोधित ज्ञापन पत्र अपर जिला मजिस्ट्रेट प्रशासन को सौंपा गया। बनारस बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से मिलकर भी संगठन कार्यकर्त्रियों ने उपरोक्त माँगो के लिए आग्रह किया।
कचहरी परिसर बनारस में आज युवतियों के संगठन दख़ल की ओर से निःशुल्क शौचालय सहित महिलाओं और ट्रांस नागरिकों के बेहतरी के लिए डीएम वाराणसी को सम्बोधित ज्ञापन पत्र सौंपा गया। परिसर में महिला वकीलों, वादकारियों के बीच लैंगिक मुद्दों पर जरुरी बिन्दुओ पर ध्यान दिलाते हुए पर्चे का वितरण किया गया और हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया। परिसर में ट्रांसजेंडर नागरिकों और महिलाओं के लिए अलग सिटिंग बेंच, कॉमन रूम और काउंसलिंग रूम आदि के लिए डीएम वाराणसी को ज्ञापन पत्र सौंपा गया और परिसर में हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से जनजागरूकता फैलाते हुए समर्थन भी प्राप्त किया गया।  
दख़ल समूह की ओर से प्रतिनिधिमंडल की एक सदस्य महिला ने बताया कि , सार्वजनिक स्थानों पर प्रायः पाया गया है कि महिलाओं और ट्रांसजेंडर नागरिकों के लिए शौचालय, यूरिनल और प्रसाधन कक्ष आदि की व्यवस्था समुचित नही होती है। बनारस कचहरी में भी कई बार इस विषय को उठाने के बाद शुल्क देकर उपयोग किये जाने वाला पिंक टॉयलेट बनाया गया है। यह सरासर गलत है। दूर दराज से महिला वादकारी , महिला अधिवक्ता और कर्मचारी यंहा दिन भर रहते हैं। ऐसे में इस बेहद जरूरी सुविधा को निःशुल्क होना ही चाहिए। 
इतना बड़ा बनारस कचहरी परिसर जहा रोज़ाना बड़ी संख्या में महिलाओं की उपस्थिति रहती है। यंहा निःशुल्क सार्वजनिक महिला शौचालय की व्यवस्था करनी ही चाहिए। विभिन्न न्यायालयों, विभागों और अधिवक्ताओं की चौकी आदि पर महिला अधिवक्ता, कर्मचारी हों अथवा वादकारी उन्हें अक्सर असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है।
एक नारीवादी कार्यकर्त्री ने बताया कि, हम काशी की आधी आबादी की समस्याओं और उनकी सक्रिय सामाजिक राजनैतिक भागीदारी से सरोकार रखने वाले संगठन “दख़ल” की तरफ से डीएम और बनारस बार एसोशिएसन के जिम्मेदार पदाधिकारी महोदय से निवेदन किये हैं कि हमारे पर्चे में उठाये गए मांगों पर गंभीरता से विचार करें और ट्रांसजेंडर नागरिकों और महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जरुरी इंतजामात को पूरा करें। हम हस्ताक्षर अभियान, पर्चा वितरण और ज्ञापन कार्यक्रम के माध्यम से सरकार और जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकृष्ट कराके इस काम को प्राथमिकता पर करवाने का आग्रह करते हैं। यह शुरुआत कलेक्ट्रेट परिसर से हो और फिर विभिन्न स्तर तक बात आगे बढ़े जिससे कुछ सार्थक बदलाव आये और बनारस कचहरी एक नज़ीर बने : 
ज्ञापन पत्र और पर्चे में उल्लेखित मुख्य माँग इस प्रकार से हैं :-
1. कलेक्ट्रेट परिसर में महिलाओं  के लिए पर्याप्त संख्या में सुरक्षित, साफ-सुथरे टॉयलेट और यूरिनल बने जहाँ की व्यवस्था महिलाकर्मियों द्वारा ही की जाय।
2. परिसर में महिलाओं के लिए कुछ कॉमन रूम हों जहाँ वे सहजता से कुछ समय विश्राम कर सकें अथवा धात्री महिलाएं बच्चे को स्तनपान करा सकें।
3. न्यायालय के सामने अथवा परिसर में महिलाओं के बैठने के लिए कुछ बेंच या कुर्सियां आरक्षित रहें।
4. परिसर में सुलभ और सुविधाजनक स्थान पर सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन की स्थापना की जाए।
5. परिसर में महिलाओं की सुविधा के लिए की गयी व्यवस्था को प्रदर्शित करने के लिए कुछ स्थानो पर बोर्ड लगे हों।
6. ट्रांसजेंडर नागरिकों के लिए भी कचहरी परिसर में अलग शौचालय और कॉमन रूम की व्यवस्था हो।
7. महिलाओं के काउंसलिंग कमरे की अलग से व्यवस्था हो।
8. उक्त सभी व्यवस्था की देखरेख बार काउंसिल और प्रशासन की तरफ से नामित एक समिति करे जिसमें 66 % महिलाएं हों।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से विजेता सिंह, डॉ प्रियंका चतुर्वेदी, डॉ इन्दु पांडेय, जागृति राही, नीति, सतीश सिंह, नीतीश, प्रदीप सिंह, डॉ अनूप श्रमिक और धनञ्जय आदि शामिल रहे।

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