महिला सहकर्मी के जाते ही अफसर ने हरकारा लगाया:- का हो शुक्ला जी, ठीक थी?
: चमचई के भार से दबे मातहतों के समूह से दबी आवाज उभरी, “जी सर” : जहां तुम्हारे जैसे-जैसे महान “बुरे कैट (ब्यूरोक्रेट)” साहब लोग भरे हों वहां मैं खुद ही नहीं जानता कितने दिन टिकूंगा” : प्रेम कुमार बेेगू सराय : देवरिया में अपनी पहली पोस्टिंग की ज्वाइनिंग करने गये एक युवा की व्यथा, […]
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