गैंगरेप में पीड़िता की सहमति नामुमकिन: सुप्रीम कोर्ट

बिटिया खबर

पीड़िता पर मनो-सामाजिक समेत बहुआयामी बेहद दबाव

नई दिल्ली : गैंगरेप के मामले में किसी लड़की की सहमति नहीं हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी पीड़िता की सहमति के आधार पर अपना बचाव नहीं कर सकते।

शीर्ष अदालत के न्यायाधीश बीएस चौहान और एसए बोबदे की पीठ ने सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में आरोपियों की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पीड़ित की सहमति की बात कही गई थी। शीर्ष अदालत ने सत्र न्यायालय द्वारा आरोपियों को दी गई दस साल के कारावास की सजा को बरकरार रखा।

जून, 1999 में झारखंड में दो लड़कों ने पीड़िता को एक स्कूल में ले जाकर रेप किया। इसके बाद उनके कुछ अन्य साथियों ने भी उससे रेप किया। मामले में सत्र न्यायालय ने भारतीय साक्ष्य कानून, 1872 की धारा-114(ए) के प्रावधानों के तहत यह माना कि गैंगरेप के मामले में पीड़िता की सहमति नहीं हो सकती।

शीर्ष अदालत ने कहा कि रेप की घटना को यौन अपराध के साथ ही महिलाओं की शुद्धता के हनन के तौर पर भी लिया जाना चाहिए। पीड़िता को मनोवैज्ञानिक प्रताड़ना के साथ ही सामाजिक तौर पर भी बहुत कुछ बर्दाश्त करना पड़ता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *