मगरमच्छ ने चबाया, पर 3 को बचा ले गयी बहादुर बेटी

सक्सेस सांग

रायपुर में मौत से जूझती रही महिला, हालत गंभीर

रायपुर : राजधानी से 65 किलोमीटर बेमेतरा में सोमवार को सुबह 11 बजे महिला को मगरमच्छ का निवाला बनने से तीन महिलाओं ने बचा लिया। मगरमच्छ ने महिला के पांव पर अपने दांत गाड़ दिए थे। वहां मौजूद महिलाओं ने अद्भुत साहस दिखाया। भारीभरकम मगरमच्छ को देखकर वे जरा भी नहीं हड़बड़ाईं। उन्होंने महिला का हाथ पकड़कर खींचा। मगरमच्छ के मुंह से पांव छूटे, लेकिन उसने फिर दूसरे हिस्से में दांत गड़ा दिए। फिर भी महिलाएं विचलित नहीं हुईं और उसका हाथ नहीं छोड़ा। आखिरकार मगरमच्छ को वहां से भागना पड़ा। बाद में घायल महिला को इलाज के लिए रायपुर के आंबेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

घायल महिला कुमारी सारथी की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। बेमेतरा से पांच किलोमीटर दूर ग्राम बावा मोहतरा में कुमारी बाई सुबह करीब 11.30 बजे नहाने के लिए तालाब में उतरी। तट पर मौजूद मगरमच्छ ने कुमारी बाई के दाएं पैर को पकड़ लिया। उसने बचाने के लिए आवाज लगाई। आसपास नहा रही महिलाओं सुगन साहू, सौहद्रा बाई और एक अन्य महिला ने कुमारी बाई के हाथ को पकड़ खींचने की कोशिश की, लेकिन वह बाहर नहीं आ रही थी। महिलाओं ने तालाब में फटी मच्छरदानी को फेंका ताकि मगरमच्छ घबराए। ऐसा करने से मगरमच्छ कुछ पल के लिए चौंक गया, उसने दाएं पैर को छोड़कर बाएं पैर को जकड़ लिया। इसके बाद भी ने हिम्मत नहीं हारी। आखिरकार महिलाओं ने उसे तालाब से बाहर निकाल लिया।

केवल एक नर मगरमच्छ जीवित : ग्रामीणों के अनुसार यहां पहले 5-6 नर व मादा मगरमच्छ थे। कई बार तालाब में मगर के अंडे भी देखे गए। बाद में एक-एक कर मर गए। कुछ को मगरमच्छ ही खा गए। अभी सिर्फ एक ही मगरमच्छ जीवित है।

करीब 30-40 साल पहले मगरमच्छ तालाब से निकल कर दो किलोमीटर दूर ग्राम बहेरा के खेत में पहुंच गया था। गांव वालों ने उसे पकड़कर तालाब में छोड़ा था। उस दौरान मगरमच्छ का पूंछ लगने से रति बाजीगीर घायल हो गया और 6 माह बाद उसकी मौत हो गई। रघुनंदन साहू ने बताया कि तालाब के पास पुलिया में दो माह पहले मगरमच्छ का मुंह फंस गया था। बाद में लोगों ने निकालकर उसे तालाब में छोड़ा। (भास्कर)

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