कोरोना से बतियाओ बलम, जरा पास खांसो

: होली पर एक नया रंग उलीचना शुरू किया कुमार सौवीर ने : जमाना पूछ रहा है कि इस मेकअप कैसी हूं मैं :  कुमार सौवीर लखनऊ : जमाने पर फेंक दिया फेंचकुर। बलम, जरा पास खांसो। कोरोना से बतियाओ बलम, जरा पास खांसो। मेरे चना जोर गरम बलम, जरा पास खांसो। बोल कबीरा सारा […]

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तीन तिलंगे: जिन्‍दादिल और हरफनमौला थे शेखर

: नई दुनिया, भोपाल में स्‍थानीय सम्‍पादक सुदेश गौड़ बुरी तरह हिल गये शेखर त्रिपाठी की मौत से : तीस बरस पहले की फोटो दिखा कर सुदेश गौड़ ने मुझे फफक कर रूला दिया : सुदेश गौड़ भोपाल : यह तीन तिलंगे। लखनऊ जागरण दफ्तर का यह फोटो 1987 यानी आज से 30 साल पहले […]

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खबर का शाहंशाह शेखर त्रिपाठी, अब ऐसा संपादक कहां

: अपने प्रमुख संवाददाता को खलिहान में जुटाया, और स्‍वयंसहायता समूह की असलियतों को जमीनी खोजने का अभियान छेड़ दिया था इस सम्‍पादक ने : बुनकर से लेकर कृषि-संस्‍थानों तक पर जमकर खंगाला शेखर त्रिपाठी ने :  सत्‍येंद्र पीएस नई दिल्‍ली : हिंदुस्तान टाइम्स के प्रभारी प्रभु राजदान से मेरी अच्छी मित्रता थी। मित्रता क्या, […]

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“आओ, रिश्‍तों की खाद बनाया जाए”

“आओ, रिश्‍तों की खाद बनाया जाए” रिश्‍ते चाहे वह जैविक हों, या फिर भावनाएं औपचारिक हों, अथवा आत्‍मीय या घनिष्‍ठ थोपे हुए हों, या फिर जबरन चिपकाये गये हों। उन्‍हें तोड़ कर फेंकना अक्‍लमंदी नहीं। बेहतर होगा कि उनको बटोर कर अपने से दूर कर दें। किसी गड्ढे में उन्‍हें दफ्न कर दिया जाए। सिलसिलेवार […]

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कहानी, दोलत्‍ती के साथ अघोरी की

: काशी के श्‍मशानों तक के सारे के सारे भूत-जिन्‍नात ही भाग गये : अब तो दोलत्‍ती डॉट कॉम भी आपके साथ है। नये तेवर के साथ : कुमार सौवीर लखनऊ : मैं तो एक खुली और दिलचस्प किताब की तरह हूं। कोई भी चाहे, जहां से चाहे, पन्ना खोलकर कुछ भी पढना शुरू कर […]

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सोचता हूं कि अब इन्‍हें गोमती में प्रवाहित कर दूं

: मुझ में भी एक शरीर है, उसमें कुछ शरारतें हैं : किसी भी विषय पर उमड़ने को आतुर भाव हैं : कुछ वायदें हैं, कुछ रसीली बातें हैं, कुछ आग्रही चिट्ठियां हैं : खुद से बार-बार परास्‍त होती विजय की जद्दोजहद है : कुमार सौवीर लखनऊ : मैं कुमार सौवीर हूं। लेखक और पत्रकार हूं, और यदाकदा […]

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कुमार सौवीर का चिराग तो बहुत पहले ही बुत जाना चाहिए था

: नहीं, मैं आप लोगों से अपने लिए दुआ की गुजारिश नहीं कर रहा : मुझ जैसे शख्‍स के बाद रिसर्च कीजिए कि पूरी जिन्‍दगी निहायत प्रतिकूल हालातों के बावजूद मेरी कमबख्‍त उम्र इतनी लम्‍बी कैसे चलती रही : जीवन की जिजीविषा का मूल-मंत्र आपको शोध के नतीजों से ही मिलेगा : कुमार सौवीर लखनऊ […]

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टल्‍ली-संपादक की करतूत : असल चूतियानंदन तो हैं कुमार सौवीर

: बेहतर था कि मैं उस टल्‍ली-संपादक की करतूत का खुलासा कर देता : कुमार विश्‍वास को हौंकने वाला टल्‍ली-संपादक मुझ पर खार खाये बैठा : विभिन्‍न समाचार संस्‍थानों ने अपने यहां उस सम्‍पादक की खोज शुरू की : कुमार सौवीर लखनऊ : चूतियापंथी की उपाधि राष्‍ट्रपति भवन से नहीं बंटती है। जो चाहे, उस […]

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मेरी ख्‍वाहिशों का भी इक जिस्‍म बना दे मौला

कुमार सौवीर चलो माना कि हम आफताब न बन पाये, ये भी माना, दहकते अंगार भी न हो पाये। मगर उनकी तपिश को क्‍या कहिये, उस साज-ओ-सोज को क्‍या कहिये। उनका क्‍या होगा जो माहताब में जिगर तपाये बैठे हैं, चीर कर सीने में उगाये बेमिसाल ख्‍वाब सुखाये बैठे हैं। ऐसे तलबगारों के गमों में […]

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दिल्‍ली में होगा कुमार सौवीर का सम्‍मान और पुरस्‍कार: भड़ास का जन्‍मदिन 11 को

: ब्रजभूषण दूबे और आशीष गुप्‍ता भी होंगे सम्‍मानित : 36 बरसों से पत्रकारिता कर रहे हैं चिर-युवा कुमार सौवीर : जमीनी मांगों का समाधान जमीन पर करने वाले का नाम है ब्रजभूषण दूबे : पत्रकारिता छोड कर एक नया दिशा खोजने वाले का नाम है आशीष गुप्‍ता : लखनऊ : पत्रकारिता के क्षेत्र में […]

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कुमार सौवीर बने आत्‍मनिर्भर, पका डाली अनोखी दाल-मिक्‍सी

: आइये, महान शेफ कुमार सौवीर से सीखिये भोजन बनाने की तमीज : बरसात में निमोना का स्‍वाद न मिला तो पैसा वसूल कर लेना : आज सीख लिया कि कैसी बनती है अनोखी दाल-मिक्‍सी : दलिया के साथ खूब दोस्‍ती गांठ लेगी यह दिव्‍य दाल-मिक्‍सी : कुमार सौवीर लखनऊ : अरे कब तक हम […]

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मुख्‍तार अंसारी ने भी काशी में ताल ठोंकी

अब कांग्रेस और सपा की चौपालें उजड़ जाएंगी कुमार सौवीर वाराणसी: अपराधी और बरसों-बरस से जेल की सलाखों में बन्‍द मुख्‍तार अंसारी को अब काशी की मुख्‍तारी का फिर चस्‍का चर्राया है। ऐलान हुआ है कि मुख्‍तार वाराणसी से चुनाव लड़ेगा। तो पहले आपको मैं मुख्‍तार अंसारी के बारे में से थोड़ी बे-लौस जानकारियां दे […]

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अरे काफ्का क्या बोलेगा ? पापा के बारे में मुझसे पूछिये ना

: मेरे बाप के बारे में मेरे अनुभव और तथ्य, फ्रांक्ज काफ्का के मुकाबले कहीं ज्यादा मजबूत हैं : पत्थर थे काफ्का के पिता, जबकि मेरे पिता नारियल :  कुमार सौवीर हाजीपुर : मेरे बाप के बारे में मेरे अनुभव और तथ्य, फ्रांक्ज काफ्का के मुकाबले कहीं ज्यादा मजबूत हैं। मेरे गले, फेफड़े और दिल […]

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मुझे तो खूब ठोंकते रहे हैं पत्रकार: अंबिका सोनी

टंच-माल का मतलब सुनार समझते होंगे, जनता नहीं : वेश्या, रांड और भेल का मतलब इनके इलाकों में बताइये : आखिर कब सुनारी पर पीएचडी कर चुके हैं बड़बोले बकवादी दिग्गी राजा : दरअसल नेताओं ने ही जनता को अपना टंच-माल समझ लिया है : कुमार सौवीर ( दूसरी और अंतिम किश्त ) तो आइये […]

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टंच-माल बनाम भेल, जिसका मतलब है गुदा

समझीं आप मीनाक्षीजी और दिग्गी राजा ? : बेशर्म राजनीति के अग्रदूत बनते जा रहे हैं दिग्विजय सिंह : मंदसौर की भीड़ सुनारों की नहीं, आम जनता की थी : आजम खान भी अपनी सहयोगी जयाप्रदा को बाद में नचनिया बताते घूम चुके हैं : कुमार सौवीर ( पहला अंक ) एक सौ का टंच-माल। […]

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