सोचता हूं कि अब इन्‍हें गोमती में प्रवाहित कर दूं

बिटिया खबर
: मुझ में भी एक शरीर है, उसमें कुछ शरारतें हैं : किसी भी विषय पर उमड़ने को आतुर भाव हैं : कुछ वायदें हैं, कुछ रसीली बातें हैं, कुछ आग्रही चिट्ठियां हैं : खुद से बार-बार परास्‍त होती विजय की जद्दोजहद है :

कुमार सौवीर
लखनऊ : मैं कुमार सौवीर हूं। लेखक और पत्रकार हूं, और यदाकदा कविता भी कर बैठता हूं। आज फिर यही हुआ। लीजिए, मेरी एक ताजा। पसंद न आये तो झटके में ही खारिज कर दीजिएगा। कविता को भी, और चाहे तो मुझ को भी:-
मेरे पास भी कुछ गहरी यादें हैं
सोचता हूं कि अब इन्‍हें गोमती में प्रवाहित कर दूं
1
मुझ में भी एक शरीर है, उसमें कुछ शरारतें हैं
कुछ बचपना है, कुछ जवानी है, जिसमें अल्‍हड़ता है
नसों में खौलता खून है, कुछ जुनून है, कुछ जोश है,
आकाश को मुट्ठी को भींचने का हौसला है
लड़ने-जूझने का माद्दा है
हां, तत्‍परता भी है
बाकी कुछ जज्‍बा है
सोचता हूं कि अब इन्‍हें गोमती में प्रवाहित कर दूं
2
किसी भी विषय पर उमड़ने को आतुर भाव हैं
उसे पूरी तरह व्‍यक्‍त करने के लिए सशक्‍त शब्‍द हैं,
उन शब्‍दों में भावार्थ है, उसके प्रयोग की तमीज है
शब्‍दों से निर्मित वाक्‍य और खंड और ग्रंथ है
शब्‍दों से बने तीर हैं
चलाने को पिनाक है
बाकी कुछ अस्‍त्र हैं
सोचता हूं कि अब इन्‍हें गोमती में प्रवाहित कर दूं
3
प्रेम है, उसकी धारा है और उसमें घना प्रवाह है
प्रेम का आधार है, प्रेम पर आश्रितता हैं, पवित्रता है
प्रेम की देह नदारत है, लेकिन प्रेम का मजबूत आवरण है
स्‍नेह पर निर्भरता का बिम्‍ब है, मगर निराकार है
आह्वान की क्षमता है
लेकिन स्‍वर शांत है
बाकी आतुर रिक्‍तता है
सोचता हूं कि अब इन्‍हें गोमती में प्रवाहित कर दूं
4
जड़ों तक पहुंच है, लेकिन शिखर तक आरोहण अक्षम है
सहयोग की प्रवृत्ति है, परन्‍तु अनुगूंज प्रतिउत्‍तर गायब है
शाखाओं को तोड़-बर्बाद चुके हैं, पत्‍तों का कलरव लापता है
पक्षियों की नीड़ बनाने का साधन नहीं है
वायु-प्रवाह खामोश है
प्राकृतिक सौंदर्य क्‍लांत है
बाकी कुछ आक्रोश हैं
सोचता हूं कि अब इन्‍हें गोमती में प्रवाहित कर दूं
5
विस्‍तृत गाथाओं की रणभूमि है, जिसमें ढेरों स्‍वप्न हैं,
सपनों को देखने के लिए आधार, समझ और अधमुंदी आंखें हैं
कल्‍पनाओं को साकार करने को नींव-ईंट-गारा-कारीगर मैं मौजूद हूं
अधबनी अट्टालिकाएं बन जाती हैं
फिर टूटन, फिर ठेस, फिर शून्‍य है
पहले निर्माण, फिर ध्वंस-विजय है
बाकी कुछ विनाश हैं
सोचता हूं कि अब इन्‍हें गोमती में प्रवाहित कर दूं
6
कुछ वायदें हैं, कुछ रसीली बातें हैं, कुछ आग्रही चिट्ठियां हैं
कुछ मुलाकातें हैं, कुछ आत्‍मीयता है, कुछ अमिट अहसास है
कुछ इनकार हैं, कुछ इकरार हैं। वाद भी है और विवाद भी है
पहले शांति-स्‍नेह, फिर अनावश्‍यक तनाव है
दुराव-अलगाव है
काल विश्रांति है
बाकी कुछ दुख हैं
सोचता हूं कि अब इन्‍हें गोमती में प्रवाहित कर दूं
7
मैं को हटा कर स्‍वयं को स्‍वतंत्र करने की कोशिश है
खुद से बार-बार परास्‍त होती विजय की जद्दोजहद है
शालीनता को ओढ़ना नियति है, अवश्‍यम्‍भावी भी है
शील पर थोपना भी एक समस्‍या है
आत्‍म-गौरव आवश्‍यक है
पर्वताकार होना अभीष्‍ट है
बाकी कुछ खुशियां हैं

बाकी कुछ खुशियां हैं

सोचता हूं कि अब इन्‍हें गोमती में प्रवाहित कर दूं

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