टंच-माल बनाम भेल, जिसका मतलब है गुदा

मेरा कोना

समझीं आप मीनाक्षीजी और दिग्गी राजा ?

: बेशर्म राजनीति के अग्रदूत बनते जा रहे हैं दिग्विजय सिंह : मंदसौर की भीड़ सुनारों की नहीं, आम जनता की थी : आजम खान भी अपनी सहयोगी जयाप्रदा को बाद में नचनिया बताते घूम चुके हैं :

कुमार सौवीर

( पहला अंक ) एक सौ का टंच-माल। भले ही यह अधकचरा शब्द-प्रयोग रहा है, लेकिन इसने भारतीय राजनीति और देसी दिल-दिमाग को दहला दिया है। समाज का हर-एक हिस्सा–कतरा दिग्विजय सिंह के बोल-वचन से खुद को नंगा महसूस कर रहा है, उधर दिग्गी ने अपनी त्वरा-‍बुद्धि से इस शब्द के प्रयोग के अर्थ को दूसरे ही मोड़ पर खड़ा कर दिया जहां ऐसे शब्द का अनर्थ प्रयोग का हल्ला बचाया जा सकता है। दिक्कत तो यह है राजनीति के बड़े लोग इन शब्दों पर मजा तो खूब लेते हैं, लेकिन जब इन शब्दों पर विवाद उठ जाता है तो पूरा ठीकरा मीडिया पर थोप कर उसके सारे कपड़े नोंच डाले जाते हैं। खुद नंगे हो चुके लोग पानी पी-पी कर गरिया देते हैं कि मीडिया तो बौरा गयी है। इस मामले में भी खासकर कांग्रेसियों ने तो मीडिया और विरोधी राजनीतिक दलों को आड़े हाथों लिया है। दिग्गी ने तो जहां मीडिया को मूर्ख और पागल बता दिया है, वहां मीनाक्षी नटराजन ने भी खुलेआम खुलासा कर दिया है कि दिग्गी ने उनकी तारीफ में यह जुमला इस्तेमाल किया था। मीनाक्षी ने तो यहां तक सवाल उठा लिया है कि उनकी तारीफ में कहे गये शब्द पर हल्ला क्यों  मच रहा है।

इस बवाल के भड़कने के बाद ही दिग्गी ने मीडिया को आड़े हाथों लिया और बोले कि उनका मकसद तो उस शब्द से था जो सुनार इस्तेामाल करते हैं जिसमें उन्हें एक सौ का टंच-माल यानी खरा सोना करार दिया जाता है। बिलकुल सही बात बोले थे दिग्गी। सुनार-समुदाय वाले टंच-माल जैसे शब्द का इस्तेमाल तो खरा सौदा को पहचानने के लिए इस्तेमाल करते हैं। हम मानते हैं कि सौ टके का टंच-माल जहां स्वर्ण-भौतिकता का शीर्ष-प्रतीक है, मगर उसका इस्तेमाल किसी इंसान और खासकर किसी महिला पर नहीं किया जाना चाहिए। मगर दिग्गी राजा अपनी इस श्रृंगाल-तर्क-बुद्धि की कसरत में इतना जरूर भूल गये कि एक सौ का टंच-माल नहीं, बल्कि 999 का टंच-माल होता है।

दिग्गी ने मीनाक्षी नटराजन को सौ टके वाला टंच-माल बता दिया, तो वह ठठाकर हंस पड़ीं। मैं दावा करता हूं कि मीनाक्षी दिग्गी के इस अर्थ को नहीं, बल्कि उनमें छिपे इशारे को खूब भांप चुकी होंगी। मेरा दावा है कि मेरी ही तरह मीनाक्षी भी खूब जानती होंगी कि दिग्गी राजा एक बहुत ढीठ और शातिर किस्म में शख्सनुमा राजनीति-कर्मचारी हैं। उन्हें खूब पता है कि कब, कहां, किसे, कितना, क्या बात करनी है। और बेशर्म राजनीति में दिग्गी ही कोई अकेले नहीं हैं। दिग्गी की ही तरह के यूपी के जोड़ीदार हैं आजम खान। बहुत शाइस्तगी से बोलते और कड़ा से कड़ा जुमला ठीक उसी तरह उगल देते हैं जैसे कोई दूध पीता बच्चा। कौन नहीं जानता है कि आजम खान अपने जुमलों से अपनी अब पुरानी मित्र से दुश्मन बन चुकीं जयाप्रदा को हंसाते रहते थे। और जब मौका आ गया तो उन्होंने उसी महिला नेता जयाप्रदा को गली-गली नाचने वाली नर्तकी करार दे दिया। कब यह हो जाए कि मीनाक्षी के बारे में दिग्गी का भाव भविष्य में उसी तरह हो जाए, जैसे जयप्रदा के बारे में आजम खान का था, कौन जाने। ( बाकी अगले अंक में )

टंच-माल पर भड़के विवाद के खबर की अंतिम कड़ी पढ़ने के लिए कृपया क्लिक करें:- मुझे तो हमेशा खूब ठोंकते रहे हैं पत्रकार: अंबिका सोनी

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