जमालगोटा आया, तो विनोद शुक्‍ल स्‍मृतियां धड़धड़ा कर बाहर

दोलत्ती

: डॉ उपेंद्र पांडेय ने उगलीं दैनिक जागरण की कठोपनिषद वाली समस्‍याएं, मनो-कब्‍ज बाहर : विष्णु त्रिपाठी, रामेश्वर पाण्डेय काका, शेखर त्रिपाठी, जेके द्विवेदी, राजू मिश्र, अजय शुक्‍ल, आशुतोष शुक्ल, ब्रजेश शुक्ल, नदीम, सदगुरु अवस्‍थी और रमाशरण : कमलेश रघुवंशी, राघवेंद्र दुबे, सरोज अवस्थी, दिलीप शुक्ल तो बस टिप आफ आइसबर्ग : अनूठा औघड़ नाम कुमार सौवीर. अधिकांश के लिए अनप्रेडेक्टेबल अझेल :

डॉ उपेंद्र

लखनऊ : आज पुनः बहुत बहुत बहुतै याद आई रहे हैं पंडित विनोद शुक्ल. दैनिक जागरण का झंडा गृह प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गाड़ने वाले सुपर एडिटर महामहामहा से भी महा-प्रबंधक.

उनके खोजे नमूने अद्भुत अनुपम अद्वितीय और दुर्लभ दुर्दमनीय; “अकलन” आजकल जागरण के बौद्धिक प्रमुख विष्णु प्रकाश त्रिपाठी, प्रथम स्टेट एडिटर रामेश्वर पाण्डेय काका, शुक्ल जी की लखनऊ पीठ (गद्गदी के वसीयत दार) उत्तराधिकारी और जागरण. कॉम के संस्थापक संपादक शेखर त्रिपाठी, वर्तमान पीठाधीश्वर आशुतोष शुक्ल, हिंदुस्तान के पूर्व ब्यूरो चीफ ब्रजेश शुक्ल, नवभारतटाइम्स के डिप्टी एडिटर नदीम, सारी दुनिया के तमाम शीर्ष अखबारों मैगजीनों में क्लिक थर्ड कैमरे से खींची सती की फोटोज छपवाने वाले दुनिया के इकलौते पत्रकार और बला की खूबसूरत राइटिंग व उतने ही खूबसूरत दिलकश फीचर लेखन के धनी राजनारायण मिश्र “राजू”, राष्ट्रीय सहारा दिल्ली के संपादक रहे अजय पाण्डेय, लखनऊ दूरदर्शन के प्रखर समाचार वाचक व हिंदुस्तान के वरिष्ठ पत्रकार संतोष बाल्मीकि, अमर उजाला मेरठ के समाचार संपादक प्रदीप मिश्र, मध्य प्रदेश के मीडिया जगत के सितारे सुदेश गौड़, दिनेश मिश्र, संतशरण अवस्थी और आजकल नई दुनिया के संपादकीय प्रमुख सदगुरू शरण अवस्थी, इंडिया टीवी के एडिटर इन चीफ अजय शुक्ल, जागरण प्रकाशन लिमिटेड के निदेशक मंडल में शुमार प्रबंधन कला में दक्षशिष्य सतीश मिश्र , शैलेंद्र दीक्षित भैय्या, पंडित चंद्रकांत त्रिपाठी दद्दा, जेके द्विवेदी, दिनेश पाण्डेय, रमाशरण अवस्थी; “मसलन” शिरोमणि गणों में शिव बारातियों सरीखे कमलेश रघुवंशी, राघवेंद्र दुबे, सरोज अवस्थी, दिलीप शुक्ल तो बस टिप आफ आइसबर्ग हैं.

लिखने लगूं तो लेखनि सब वनराय….इन सबके बीच अनूठा औघड़ नाम हैं कुमार सौवीर. अधिकांश के लिए अनप्रेडेक्टेबल अझेल. नारियल की तरह भीतर से सरस पौष्टिक सात्विक मलाईदार किंतु इस मलाई का स्वाद लेना. दुष्कर. ऊपर से बेहद सख्त खुरदरे और राह चलते बालमखीरा फल की तरह. सर पर पड़ जाएं तो समझो कि समझ गुम्म. आजकल दोलत्ती झाड़ रहे हैं नेताओं अभिनेताओं मोछू नामर्दो और ब्यूरो से लेकर ब्यूरोक्रेसी /समाज/पुलिस/क्राइम जगत के माफियाओं पर.

आज की पोस्ट इन्हीं सौवीर जी की अद्भुत अनुपम अभूतपूर्व प्रयोगधर्मिता को देखकर उपजी, मेरे लिए प्रातः स्मरणीय पंडित विनोद शुक्ल की वह स्मित हास्य मुखमुद्रा याद हो आई जो कुमार सौवीर की खबरों के लिए स्वर्ण पदकीय शाब्बाशी सरीखी होती थी.

आप भी जरा देखें कि इस कलमकार ने अपने नाती के जन्म का सुसमाचार किस ढंग से सोशल. मीडिया पर. शेयर किया है….

कुमार सौवीर के छुटंके नाती जमाल-गोटा के जन्‍म पर दोलत्‍ती डॉट कॉम वाले कुमार सौवीर का लेख पढ़ने के लिए कृपया नीचे लिखे लिंक पर क्लिक कीजिए:-

लो, आ गया जमालगोटा

 

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