महान संपादकों ने निहाल किया, तो ओछे और छिछोरे भी मिले

: विनोद शुक्‍ला, घनश्‍याम पंकज, शशि शेखर और विश्‍वेश्‍वर कुमार जैसे घटिया संपादक भी मिले : मृणाल पांडेय, डॉ त्रिखा, मंगलेश डबराल, वीरेन डंगवाल, तडि़त कुमार, आनंद स्‍वरूप वर्मा, कमर वहीद नकवी, शेखर त्रिपाठी, अंशुमान त्रिपाठी और संतोष तिवारी ने मुझे नयी ऊंचाइयां दीं : कुमार सौवीर लखनऊ : कई दिग्‍गज और महान पत्रकारों से […]

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जमालगोटा आया, तो विनोद शुक्‍ल स्‍मृतियां धड़धड़ा कर बाहर

: डॉ उपेंद्र पांडेय ने उगलीं दैनिक जागरण की कठोपनिषद वाली समस्‍याएं, मनो-कब्‍ज बाहर : विष्णु त्रिपाठी, रामेश्वर पाण्डेय काका, शेखर त्रिपाठी, जेके द्विवेदी, राजू मिश्र, अजय शुक्‍ल, आशुतोष शुक्ल, ब्रजेश शुक्ल, नदीम, सदगुरु अवस्‍थी और रमाशरण : कमलेश रघुवंशी, राघवेंद्र दुबे, सरोज अवस्थी, दिलीप शुक्ल तो बस टिप आफ आइसबर्ग : अनूठा औघड़ नाम […]

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तीन तिलंगे: जिन्‍दादिल और हरफनमौला थे शेखर

: नई दुनिया, भोपाल में स्‍थानीय सम्‍पादक सुदेश गौड़ बुरी तरह हिल गये शेखर त्रिपाठी की मौत से : तीस बरस पहले की फोटो दिखा कर सुदेश गौड़ ने मुझे फफक कर रूला दिया : सुदेश गौड़ भोपाल : यह तीन तिलंगे। लखनऊ जागरण दफ्तर का यह फोटो 1987 यानी आज से 30 साल पहले […]

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खबर का शाहंशाह शेखर त्रिपाठी, अब ऐसा संपादक कहां

: अपने प्रमुख संवाददाता को खलिहान में जुटाया, और स्‍वयंसहायता समूह की असलियतों को जमीनी खोजने का अभियान छेड़ दिया था इस सम्‍पादक ने : बुनकर से लेकर कृषि-संस्‍थानों तक पर जमकर खंगाला शेखर त्रिपाठी ने :  सत्‍येंद्र पीएस नई दिल्‍ली : हिंदुस्तान टाइम्स के प्रभारी प्रभु राजदान से मेरी अच्छी मित्रता थी। मित्रता क्या, […]

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यह फाइटर था। बचाव सहयोगियों का, तनाव खुद को

: बीते छह महीने से संपादकीय कारोबार से दूर रहने की लाचारी ने उन्हें तोड़ : चलते वक्‍त बोले थे कि डोंट वरी यार, मुझे कुछ नहीं होगा : इंसान और खबर की खूब पहचान थी शेखर में : डॉ उपेंद्र पाण्‍डेय चंडीगढ़ : शेखर भाई, तुमने यह अच्छा नहीं किया!!!! आखिर तुमने फेसबुक फेस […]

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जिसमें अपनों से भिड़ने का गूदा हो, उसका नाम रख दो शेखर त्रिपाठी

: संस्थान हित में वह दोष अपने ऊपर ले लिया जिसके लिए वे जिम्मेदार ही नहीं थे : बेलौस, बेखौफ गाड़ी लेकर रातभर घूमना, पहाड़ों की सैर करना, बाइकिंग उनकी आदत : लीक से हटकर मदद करने वाले पत्रकार बिड़ले ही मिलते हैं : सत्‍येंद्र पीएस नई दिल्‍ली : अपने अधीनस्तों के साथ हर हाल […]

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शेखर त्रिपाठी की सांस टूटती रही, पर जागरण-मालिक नहीं पहुंचे

: एक बरस में ही एक लाख तक पहुंच चुका था जागरण लखनऊ का सर्कुलेशन : महेंद्र मोहन ने शेखर की ओर झांका तक नहीं : सहज मानवीय, व्‍यावसायिक,  आत्‍मीय रिश्‍तों से जुड़े किसी भी एक दायित्व का निर्वहन नहीं : कुमार सौवीर लखनऊ : ( गतांक से आगे) शशांक शेखर त्रिपाठी के इस आश्वासन […]

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आज कहां हैं शेखर त्रिपाठी के दावेदार

: दो बरस पहले ही दुनिया को छोड़ दिया था शेखर ने : पहली बरसी के बाद अब कोई पूछने वाला नहीं दिख रहा : वक्‍त की सुइयां रिश्‍तों को भूलने लगती हैं, दावे हवा में उड़ कर धूल में मिल जाते हैं : कुमार सौवीर लखनऊ : शशांक शेखर त्रिपाठी को आप जानते हैं? […]

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