: इन्हीं सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों ने ही तो निजी ट्रेड यूनियन अभियान को तबाह किया : आज फिर किस मुंह से यह लोग अपने वेतन के सवाल पर हड़ताल की धमकी दे रहे : पहले तो यह अपनी आय का सार्वजनिक हिसाब दें, फिर वेतन पर बुक्का फाड़ें : राज्य सरकारकर्मियों की भी ऐसी चिल्ल-पों पर सख्त ऐतराज दर्ज करना वक्त की जरूरत :
कुमार सौवीर
लखनऊ : भारत सरकार में एक बड़ा मंत्रालय है। नाम है भारी उद्योग। इसकी हालत यह है कि एक भी बड़ा उद्योग यूपी में नहीं है। जगदीशपुर में एक स्टील प्लांट बनाया था निजी क्षेत्र से। मालविका स्टील्स के नाम से। लेकिन बनने से दो साल के भीतर ही उसकी सारी चूलें बिक गयीं। रिहायशी कालोनी के हर घर-फ्लैट के दरवाजे-खिड़की उखड़ कर कबाड़ी के घर पहुंच गये।
विदेश विभाग है। जिसकी हकीकत एनएसजी में खुल चुकी है। पूरी दुनिया में भारत के इस विभाग की छीछालेदर चल रही है। बावजूद इसके कि इसमें इस विभाग की कोई खास गलती नहीं है लेकिन हालत अब इस विभाग के नितांत प्रतिकूल हैं।
पर्यावरण, प्रदूषण, नदी, जल और वन विभाग सबसे बड़े विभाग हैं। लेकिन क्या आपको इनमें से किसी के बारे मे कोई भी जानकारी है। नहीं। यह सारे विभाग अल्लाह भरोसे हैं। ठीक उसी तरह जैसे गृह विभाग का खुफिया विभाग। मसलन आईबी और रॉ। जिसे पता ही नहीं कि वह क्या कर रहा है और उसे क्या करना चाहिए और क्या कर रहा है।
गृह विभाग की हालत एक शाखा है विशिष्ट और जन-सुरक्षा, मसलन औद्योगिक सुरक्षा, सीमा सुरक्षा। राजनाथ सिंह गृह मंत्री हैं और पिछले साल ही यह बयान दे चुके हैं कि उससे भी पहले के पिछले एक साल में अकेले बांग्लादेश में 17 लाख अवैध रूप से देश में घुस आ चुके हैं। उनका बेशर्म दावा है कि इस दौरान गौ-वंश की तस्करी करोड़ों इकाइयों तक पहुंच चुकी है।
ऐसे-ऐसे एक नहीं, हजार किस्से है। हजार विभाग हैं। जिसकी उपयोगिता और उपादेयता पर बातचीत करने की सख्त जरूरत है।
आइये, हम लोग आज इसी मसले पर बातचीत करते हैं।
हमारी बातचीत का विषय है कि महंगाई और वेतनमान
आप से गुजारिश है कि इस मामले में खुल कर बोलिये। आप न बोले तो आने वक्त आपसे जवाब तलब करेगा। आप वक्त के सवालों से बच नहीं सकते।
(क्रमश:)