डांस-बार पर फैसला तो दरअसल भड़वों की जीत है

मेरा कोना

लाइसेंस तो सीधे युवतियों पर हो, भड़वों को नहीं

: पिटीशनर्स भी वही दलाल थे, बस नाम आगे था बेबस युवतियों का : दशकों तक अश्लीलता का प्रतीक रहा है डांसबार : सोशल साइट्स पर शुरू हो गयी है इस प्रकरण पर बहस :

कुमार सौवीर

नई दिल्ली : महाराष्ट्र  और खासकर मुम्बंई के लिए दशकों तक अश्लीलता के प्रतीक रहे डांस-बार के फैसले से सोशल साइट्स में भी हड़कम्प मच गया है। आपको बता दें कि हाल ही सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में साफ कर दिया था कि पिछले आठ से बंद पड़े राज्य के साढ़े सात सौ से जयादा डांसबार को खोल दिया जाएगा। इन डांसबार में पूरे प्रदेश में कम से कम 75 हजार युवतियां काम करती हैं। सन-85 में राज्यो सरकार ने ऐसे बार को बंद करने का फैसला किया था।

कुछ भी हो, फेसबुक पर भी इस अदालती फैसले पर ऐतराज दर्ज होने की कवायदें शुरू हो गयी हैं। कोई इसी प्रकरण को बेशर्म फैसला बता रहा है तो कोई इसके पीछे लगे भड़वों की साजिश मानता है जिसे बेबस युवतियों को सामने खड़ा कर अपने काले धंधे को सफेद बनाने की कोशिश की है और जीत भी हासिल की है। कुछ की सलाह है कि अगर ऐसे डांस बार खुलने ही हों तो उनके लाइसेंस सीधे वहां की महिलाओं के नाम पर ही जारी किये जाने चाहिए, न कि वहां की डांसर-युवतियों के नाम पर पल रहे दलालों के नाम पर, जो उनके नाम पर अरबों-खरबों की कमाई करते हैं। पेश हैं, इसी विवाद पर उभरी चंद टिप्पणियां:-

सौरभ दीक्षित : sauvir sahab kya comment du kuch samagh nhi ata har trf yhi sb chal r h desh ki sanskrit cort , rajneet , manwa-adhikaar jaise shabdo ke pairo tle raondi ja rhi h

Prashant Singh : सर जी ये तो अभी शुरुवात है आगे अब सिर्फ तमाचे ही पडने है देखते रहिये . . .

Sheetal P Singh : भड़वों की जीत है । वही petitioner थे। नाम बेबस लड़कियों का लिया गया, लिया जायेगा

Sandeep Verma : बेरोजगारी के दौर में यह रोजगार भी चलने दो . ठीक ही है .

Sudha Shukla : kam se kam bar ki pahchan to pata rahti nahi to kis gli muhalle me chupa rozgar chalne lage police ka sardard aur kamai ka rasta dono hi to band honge vaise sarkar ko licence dancers ko dena chahiye bar maliko ko nahi tab asli jeet hogi

Sandeep Verma : जब तक महिलायों को अपने रिश्ते की शर्ते स्वयं तय करने का अधिकार और सम्मान नहीं दिया जाएगा ,तब तक भ्र्स्ताचारी और बेईमान ब्य्वाश्था उनका शोषण करती रहेगी . बार-बालायो के अधिकारों का सम्मान अधिक जरूरी है बनिस्बत होटल मालिको के .

Ashok Chaudhary : यह डांस गर्ल्स नही उनके बल पर मोटी कमाई करने वाले माफियाओं की जीत है। बेशर्म फैसला।

डांसबार से जुड़ी सारी खबरों को पढ़ने के लिए कृपया क्लिक करें:- शैतानी प्रेत-छाया में पलती हैं डांसबार की मेमने जैसी युवतियां

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