औरत का मामला हो तो मर्दों की आंख में उगता है सुअर का बाल

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: औरत को अपनी औकात समझनी होगी, मर्दों से उम्‍मीद जरा कम ही रखना : जब मौका आता है तो मौका चूकने का मौका नहीं छोड़ते हैं मर्द : देखिये इस वीडियो को, सलाह सब दे रहे हैं, मदद किसी ने नहीं की : औरत की बदहाली पर मजाक तो सब उड़ायेंगे, हमदर्दी नहीं :

कुमार सौवीर

लखनऊ : बहुत बरस पहले की बात है। एक दिन मेरी एक मित्र महिला एक दिन बहुत परेशान-बेहाल और भावुक हो गयीं थीं। फोन पर बात करते-करते रो पडीं। हिचकियां लेनी लगीं। मेरी समझ में ही नहीं आया कि आखिरकार मैं अब उनसे क्‍या बात करूं।

काफी देर बाद जब हल्‍की शांत हुईं तो उन्‍होंने एक जुमला फेंका था। हिचकियों के साथ। कि:- हकीकत तो यही है कि मर्दों की आंख में सुअर का बाल होता है।

मैंने उस पर उनका प्रतिवाद किया। कहा, नहीं ऐसा हर्गिज नहीं है। जनरलाइज करना ठीक नहीं, बल्कि अन्‍याय ही है। हर मर्द को अगर आप एक ही तराजू के एक ही पलड़े पर रख देंगी, तो कैसे काम चलेगा।

इस पर उन्‍होंने एक संशोधन-प्रस्‍ताव रखा। बोलीं:- नहीं, सब में भले न हो, लेकिन ज्‍यादातर मर्द की आंख में शायद सुअर से भी ज्‍यादा तीखा बाल होता है। खास कर औरतों के मामले में। ऐसे में ऐसे मर्द यह भूल जाते हैं कि उसके सामने खड़ी औरत कोई इंसानी मूरत है।

उनकी इस राय से मैं सहमत हो गया। एक तो इस बारे में मेरा निजी अनुभव भी मेरे साथ रहा है, और दूसरी बात यह कि मुझे अब किन्‍हीं भी तरह शांत करना ही समीचीन लगा रहा था। इसका एक ही तरीका था कि मैं उनकी हां में हां मिला लूं। मेरी सहमति मिलने के बाद उनका रोना-धोना रफ्ता-रफ्ता खत्‍म होने लगा, और कोई आधे घंटे बाद वे बातचीत करके मोबाइल से चली गयीं।

बची रही मेरे अनुभव की, तो मैं भी उस महिला मित्र की बात से सहमत हूं। हालांकि ऐसा नहीं है कि ऐसा गुण-दुर्गुण केवल मर्द में ही होता है, स्‍त्री भी बहुत स्‍वार्थी और निहायत कर्कश हो जाती है। इतनी, कि बाज-वक्‍त तो मर्द चाहता है कि वह अपनी इस जिन्‍दगी बर्दाश्‍त करने के पहले खुदकुशी ही कर ले।

मुझे यह भी खूब अंदाज है कि औरत जब खुश होती है, तो उसके साथ सारे के सारे पुरूष मित्र उससे सटने-चिपकने की कोशिश करते हैं। हर शख्‍स की यही मंशा रहती है कि उस सफल और खुश महिला के साथ अपनी किस्‍मत आजमायी जाए। उसके साथ खड़ी सेल्‍फी लेकर वे अपनी हैसियत बढ़ाने की कोशिश करते हैं। उसके चेहरे का अंदाज, उसकी उसकी फेसबुक पोस्‍ट, कमेंट पर वाह-वाह, क्‍या बात है, लाजवाब, बेमिसाल और गजब कर दिया आपने, जैसे जुमने उछलते हैं।

लेकिन जब कोई महिला संकट में होती है, और अकेली होती है, ऐसे वक्‍त में मर्दों में से ज्‍यादातर का इरादा यही होता है कि कैसे भी हो, उसकी देहयष्टि को भोग ले। यहां मेरी मंशा यह साबित करने की नहीं है कि स्‍त्री-पुरूष के बीच शारीरिक रिश्‍ता या एक-दूसरे की देहयष्टि को भोगने में कोई हर्ज है या नहीं। लेकिन जब यह प्रयास किसी के संकट को देख कर उसे कपटपूर्ण तरीके से हासिल करने की साजिश के तौर पर हो तो यह शैतानी कृत्‍य होता है। लेकिन मर्द उस औरत की हर दिक्‍कत-मजबूरी को अपनी मंशा पूरी करने की सीढ़ी के पायदान के तौर पर देखना शुरू करता है। ज्‍यादातर मामले में पुरूष सफल हो जाता है। ( क्रमश: )

इस खबर से सम्‍बन्धित वीडियो अगले अंक में है।

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