तनिक समझिये तो, कि कोई बिलख कर क्यूँ रोता है

दोलत्ती

: सबसे दर्दनाक है किसी महिला का चुपके से आंसू पोछना : विदीर्ण मनो-शारीरिक अक्षमता से जन्मा असहायता बोध आपके दिल-दिमाग में विस्फोट कर देगा : भविष्य में दूसरों के आंसू पोंछने के लिए क्या उद्यम करेंगे आप ? कोशिश कीजिये, ताकि ऐसा दर्दनाक मंजर आपके सामने न आये ? :

कुमार सौवीर

लखनऊ : यह हमारे च्यवनप्राश जी हैं। आजकल जब भी मैं उनके पास जाता हूँ, वे अक्सर चिड़चिड़े दिखते हैं। हल्ला करते हैं। हाथ-पांव पटकते हैं। आसपास का सामान फेंकते, मरोड़ते और तोड़ते हैं। मुझे यह साबित करने में खासी दिक्कत आती है कि मैं उन्हें समझाऊं कि मैं उनका कुमार सौवीर नाना हूँ।
खैर, क्या आपको अहसास है कि कोई मासूम बच्चा क्यों रोता है?

वजह होती है उसकी अक्षमता और असहायता। अपनी आवश्यकता पूरी न होने की असहायता, अपने को व्यक्त न कर पाने की असहायता, भाषा और बोली की पर्याप्त सुविधा न होने की असहायता, सटीक संकेतों के न होने की असहायता, अपने बल पर लक्ष्य को बींध न पाने की असहायता।

जाहिर है कि जब बच्चा अपने को कमजोर, असहाय और बेहाल महसूस करता है, तो उसकी असहायता उसकी दिल को विदीर्ण कर उसके गले में चीत्कार और आंखों में आंसू के तौर पर बाहर छलक पड़ती है। यानी जिसे आप उसकी बचपनी ज़िद समझते हैं, दरअसल उसकी जीर्ण-शीर्ण मनो-शारीरिक अक्षमता होती है।

अब इन हालातों और उनके कारणों के साथ ही साथ उन भयावह समस्याओं से जूझ रहे बच्चे की ऐसी दारुण और कारुणिक अवस्था को देख कर आपकी आंखों में खुद ही आंसू छलक पड़ेंगे।

और उससे भी ज्यादा दिल दहलाने वाला मंजर तब सामने आता है जब कोई महिला आपके सामने लेकिन घूंघट के भीतर चुपके से अपनी तर्जनी के सहारे अपनी आंख को पोंछने का उपक्रम करती है, और उसी बीच आपके सामने उठ जाती है। आपको बता दूं कि कोई भी महिला किसी के सामने झगड़ा तो कर सकती है, लेकिन असहायता बोध में आंसू नहीं बहा सकती।

फिर अपने गिरहबान में झांक कर बताइये तो किसी अनजान व्यक्ति, पड़ोसी, मित्र या संबंधी की आंखों में आये आंसुओं को आप पोछने की क्या तरकीबें अपनाएंगे आप?
आपके पास केवल एक ही रास्ता होगा। वह यह कि कैसे भी हो, सामने वाले की आंखों से आंसू न निकल जाए।

खुश रहिए, और दूसरे को भी खुश रखिये।

 

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