: कमाल उपचार नहीं, शंख और घंटा का : पहाड़ा-डीएम भी डब्ल्यूएचओ जाएगा : भूखे मुसहरों को घास खिलाने की सलाह छेड़ दिया :
कुमार सौवीर
लखनऊ : आप लोग भले ही इसे कर्मकांड, झाड़-फूंक और ताजीब-गंडा मान कर उसे खारिज करते रहें, लेकिन सच तो यही लगने लगा है कि पीलीभीत के डीए और कप्तान के जादुई कारनामों ने पीलीभीत की पीली-पीली भूमि को हरा-भरा कर दिया। खबर है कि पीलीभीत में पहचाने गये कोरोना के तीनों संक्रमित मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। इतना ही नहीं, बावजूद इसके कि पूर्वांचल के एक पहाड़ा-डीएम फिलहाल अपने जिले में कोरोना संक्रमण को सम्भाल पाने में पूरी तरह असमर्थ हुए हैं, लेकिन इस डीएम ने जिस तरह प्रशासन ने आम आदमी को ऐसे संकट के माहौल में सिर्फ पहाड़ा सुन-सुन कर संतुष्ट करने का जो अभिनव प्रयोग किया है, उससे पूरी दुनिया स्तब्ध है, उत्साहित है और गौरवान्वित भी है।
है न कमाल। तो बात करते हैं पीलीभीत की। यहां हुआ यह कमाल भी किसी सरकार, विज्ञान अथवा डॉक्टर-फॉक्टर का नहीं, बल्कि सीधे यहां के डीएम और एसपी के अथक परिश्रम का है। जिन्होंने ऐसा कारनामा कर डाला कि पूरी दुनिया का विज्ञान-जगत स्तब्ध हो चुका है। चीन से लेकर प्राचीन और सियाचीन से लेकर अर्वाचीन तथा चीनी से लेकर गुड़ तक के इलाके में अब केवल यहां के डीएम और एसपी के ऐसे अभिनव प्रयोगों की धूम चल रही है। ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया ही नहीं, देश और यूपी सरकार ने भी अपने नागरिकों को अपने घरों तक सिमट रह जाने, कारंटाइन कर लेने का सख्त हुक्म दिया हो, इस डीएम और एसपी ने अपने सैकड़ों अनुयाइयों को निजामुद्दीन मरकज और यूपी के विभिन्न मस्जिदों में एकजुट हुए जमातियों की शैली को अपनाया और आम आदमी को सड़क पर निकाल कर खड़ा कर उनका जुलूस निकलवाया। किसी सड़कछाप लौंडे-लफाड़ी की तरह डीएम ने घंटे पर हथौडी मार कर कोरोना को घायल किया, और एसपी ने पुलिसिया अंदाज में उचक-उचक कर कोरोना का कान फोड़ डाला। कोरोना ने तो कई बार पैंट में ही नीला-पीला हग मारा। उसे क्या पता था कि उसका सामना यूपी पुलिस के जांबाज पीलीभीत के कप्तान से है।
इतना ही नहीं, यूपी के एक बड़े प्रवासी जनपद के एक डीएम की भी धाक इस समय बेहिसाब चल रही है। दे ढमाढम। हालांकि इस समय कोरोना के भयावह संक्रमण का चल रहा है, और भारी संख्या में प्रवासी लोग अपने जिले में वापस लौट रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं कि पूरी आशंका है कि ऐसे वापस लौट रहे ऐसे लोगों में से कोरोना संक्रमित लोगों की तादात बेहिसाब बतायी जाती है। लेकिन डीएम साहब मस्त हैं। जो भी मिलता है, उससे समस्या नहीं बल्कि पहाड़ा सुनते हैं। और जो पहाड़ा नहीं सुना पाता है, उसे हिदायत देते हैं कि जल्दी ही पहाड़ा सीख लो, वरना कोरोना पकड़ लेगा। अपने इस अभियान में डीएम साहब अपने एक छिनरा-टाइप सीएमएस की भी सेवा तत्परता में लेते हैं। प्राइवेट प्रैक्टिस में कुख्यात यह डॉक्टर सरकारी अस्पताल से मरीज को अपने नर्सिंग में बुलाने में दुर्दांत है, और बात-बात पर एपेंडिक्स का ऑपरेशन कर देता है। इस डॉक्टर ने नाले के किनारे एक मेडिकल स्टोर के कोने पर एक मरीज को शहादत अता फरमा दिया। डायरेक्ट अल्ला के घर। जुर्माना पड़ा तीन लाख का। इतना ही नहीं, बताते हैं कि एक डीएम ने तो अपने मुसहरों और उनके नन्हें-मुन्ने लोगों को भोजन और दवा देने के बजाय उन्हें घास खाने की सलाह भी दी है। उसका कहना था कि घास में कोरोना विरोधी ओषिधि होती है जिससे आम आदमी स्वस्थ हो जाता है।
कहने की जरूरत नहीं कि इन डीएम और एसपी जैसे लोगों के ऐसे अथक प्रयासों के चलते कोरोना के खिलाफ जेहाद अब सफलता के सोपानों पर हनहनौवा चढता जा रहा है। हालत यह हुई कि कोरोना टेंशन में आ गया है। उसकी समझ में नहीं आ रहा है कि वह कोई बीमारी है या फिर खुशी का कारण। सबसे ज्यादा दिक्कत तो घंटा-घडि़याल और शंख फूंकने की प्रक्रिया से नहीं, बल्कि सिंगल-डीएनए वाले कोरोना को इस विषाणु को सबसे ज्यादा प्रॉब्लम तो इस बात पर है कि एक डीएम ने उससे कई बार पहाड़ा सुनने पर बाध्य किया। गुप्त सूत्र बताते हैं कि अब कोरोना की समय में ही नहीं आ रहा है कि वह यूपी में घंटा-घडि़याल और शंख फूंकते हुए पहाड़ा सुनाने की प्रैक्टिस करे या फिर अपनी बीमारी का विस्तार करे। नतीजा, यह कि कोरोना ने भारत छोड़ने का फैसला कर लिया है।
इस सफलता का अहसास दुनिया के विभिन्न देशों को हो गया है। उन्होंने अपने-अपने डेलीगेट भेज कर भारत सरकार से अनुरोध किया था कि वे पीलीभीत के डीएम और कप्तान को अपने यहां बुलवायें ताकि इन एसपी और डीएम के ऐसे चमत्कारिक प्रयोगों से मानव जाति लाभान्वित हो सके। हालांकि सूत्र बताते हैं कि इन देशों में मौजूद भारत के दूतावासों ने उस देशों के ऐसे प्रस्तावों को बडी विनम्रता से खारिज कर दिया है। वजह यह कि उनका कहना है कि एक अनार और सौ बीमार वाली हालत तें सारे देशों तक इन एसपी और डीएम को भेजा जा पाना मुमकिन नहीं होगा। लेकिन ऐसे प्रस्तावों के खारिज होने से नाराज या दुखी होने के बजाय इन देशों ने डब्ल्यूएचओ से अनुरोध किया है कि वे पीलीभीत के डीएम और एसपी के साथ ही साथ मुसहर-समर्थक और पहाड़ा-फुंकउव्वा डीएम को वीडियो कांफ्रेंसिंग से आमंत्रित करें, और अपने लाजवाब और गैर-वैज्ञानिक प्रयोगों की सफलताओं वाले चमत्कारिकता से पूरी दुनिया को लाभान्वित करें।