रंगीला कोतवाल शहर में, ईनाम रख दिया पुलिस ने

दोलत्ती

: जिस काम के लिए पूरा महकमा तैनात है, वह ईनाम देकर जनता से कराने का अभियान : अफसरों का लाडला है “भगोड़ा” कोतवाल : एलआईयू या गुप्‍तचर क्‍या घास चरने गये : शर्मनाक हादसा होता रहा, डीएम भी खर्राटे भरते रहे :
कुमार सौवीर
देवरिया : भटनी कोतवाली में अपनी समस्‍या बताने थाने पर गयी महिला के साथ अश्‍लीलतम व्‍यवहार के मामले में पुलिस ने अपनी खाल बचाने के लिए को भगोड़ा अपराधी के तौर पर पेश कर दिया है। पुलिस कप्‍तान ने ऐलान किया है कि यह कोतवाल फरार है, और उसको खोजने, पकड़ने, दबोचने या उसकी खबर देने लाने व्‍यक्ति को अब पचीस हजार रुपयों का ईनाम दिया जाएगा। चार दिन तक मामले को दबाये-ढांपने में जुटी रही देवरिया कप्‍तान की यह ताजा हरकत साबित करती है कि जिले का पुलिस प्रशासन बेहद नाकारा है।
कहने की जरूरत नहीं कि वह कोतवाल इस वक्‍त शहर में ही अफसरों के यहां अपनी पैरवी के लिए दौड़-भाग कर रहा है, लेकिन मुकदमा दर्ज होने के सात घंटों के भीतर ही पुलिस कप्‍तान ने आज सुबह चार बजे यह ऐलान कर दिया कि कोतवाल भगोड़ा है और उस पर पचीस हजार रुपयों का ईनाम रख दिया गया है। तरीका कुछ इस तरह है कि हम अब इस इंस्‍पेक्‍टर को नहीं खोज पा रहे हैं, इसलिए यह काम अबआम जनता को ही करना होगा। और अपराधी को दबोचने का काम करने के लिए जो पूरा पुलिस महकमा खड़ा किया है, उस काम को महज पचीस हजार रुपयों के बल पर जनता से कराना होगा।

दोलत्‍ती सूत्रों के अनुसार कोतवाल भीष्‍मपाल सिंह यादव जिले में ही है, लेकिन कागजी कार्रवाई पूरी करने के लिए उसको भगोड़ा बता कर उस पर पचीस हजार रुपयों का इनाम रख दिया गया।
दरअसल, यूपी पुलिस में एक नियम किसी अभेद्य परम्‍परा की तरह टांग फैलाये पसरा रहता है। वह यह कि जब यह नौबत आ जाए कि अपनी खाल ही खाल कोई खींचने लगे, तो फिर दूसरों की खाल खींचना शुरू कर दो। चाहे वह कितना भी बड़ा मुरीद हो, आशिक हो या फिर प्‍यारा-दुलारा कुत्‍ता ही क्‍यों न हो। भले ही खाल खींच कर भूसा न भरो, लेकिन पूरा माहौल ऐसा बना डालो कि तुम से ज्‍यादा सक्रिय, ड्यूटी-पाबंद और उसूलों से बंधा कोई नहीं। मारो मत, घिर्राओ ज्‍यादा। देवरिया में यही हुआ। यहां के घुग्‍घू जैसे प्रशासनिक अफसरों ने यहां के रंगीले कोतवाल के मामले में जो हरकतें की हैं, उसने प्रशासन के गंदे चरित्र को बेपर्दा कर दिया है।
दरअसल, यह साफ झूठ है कि चार दिनों तक यह हादसा जिम्‍मेदार अफसरों के सामने नहीं आया। दोलत्‍ती सूत्र बताते हैं कि पहले तो इस कोतवाल को ठीक से दुह लिया गया था। आश्‍वासन दिया गया था कि उस पर कोई आंच नहीं आयेगी। लेकिन दोलत्‍ती डॉट कॉम में यह खबर प्रमुखता के साथ प्रकाशित होने से से अफसरों की हो रही डील का सत्‍यानाश हो गया। रात नौ बज कर पांच मिनट पर एफआईआर दर्ज करने का ऐलान करने का साहस पुलिस अधीक्षक डॉ श्रीपति मिश्र नहीं जुटा पा रहे थे, इसलिए उन्‍होंने अपने बयान का वीडियो जारी कर इस मामले पर एफआईआर की घोषणा की। लेकिन तब तक दोलत्‍ती की खबर के चलते लखनऊ से दबाव ज्‍यादा पड़ने लगा, तो श्रीपति मिश्र ने सुबह चार बजे कोतवाल भीष्‍मपाल सिंह यादव को भगोड़ा करार देते हुए उस पर पचीस हजार रुपयों का ईनाम जारी कर दिया।
सूत्र बताते हैं कि किसी भी घटना की सूचना अगर किसी बड़े अफसर तक नहीं पहुंच सकी है, तो इसका अर्थ यह होता है कि वह अफसर पूरी तरह अक्षम है और उस में धेला भर भी प्रशासनिक समझ नहीं है। यह साबित हो गया है इस घटना से। खास तौर पर तब, जब यह इंस्‍पेक्‍टर अपने थाने पर आने वाली महिलाओं के साथ अक्‍सर यही हरकत किया करता था। इस महिला के साथ भी उसने पिछली तीन बार यही हरकत किया था। फिर कैसे हो सकता है कि इस जैसी गम्‍भीर घटना की भनक अधीनस्‍थों को नहीं हुई, जो पल-पल की खबरें अपने आला अफसरों तक पहुंचा कर अपनी चरित्र-पंजिका को मजबूत करने और खुद के लिए बढिया थाना-चौकी की जुगाड़ में जुटे रहते हैं।
सच बात तो यही है कि जिले में होने वाली पल-पल की खबर डीएम भी रखता है। केवल पुलिस ही नहीं, जिलाधिकारी भी अपने स्‍तर पर जिले में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखता है औरइसके लिए वह अलग-अलग गुप्‍तचर कार्रवाई करता रहता है। लेकिन इस मामले में डीएम का नजरिया क्‍या था, इसका पता अब तक नहीं चल पाया है। लेकिन आशंकाएं इस बात की तो चल ही रही है कि इस प्रकरण को दबाने में बड़े अफसरों का गंठजोड़ काफी सक्रिय रहा है। और इसी के चलते नतीजा कोतवाल लगातार बेलगाम होता जा रहा और आखिरकार यह हुआ कि इस महिला ने यह वीडियो तैयार करा लिया और इस इंस्‍पेक्‍टर की घेराबंदी कर ली।
मूलत: एटा जिले में पिलुआ थाना के भादौगढ़ी गांव का रहने वाले भीष्‍मपाल सिंह पाल यादव के पत्‍नी, एक बेटी और दो बेटे हैं। एक बेटी और एक बेटा मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है, जबकि तीसरा बेटा इंजीनियरिंग का छात्र बताया जाता है।

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