योगी जी! ​कोरोना पर सरकार की लुटिया डुबोएंगे यही लोग

दोलत्ती

: हा हा हा ! लालुप, काहिल, चरित्रहीन और बेईमानों की टोली ने थामा नेतत्व : जज साहब में भी उफनाया जवानी की सुनामी-2 :
कुमार सौवीर
लखनऊ : (गतांक से आगे) खुशखबरी खुशखबरी खुशखबरी। पता चला है कि यूपी में कोरोना के खिलाफ होने वाली जंग को प्रदेश के जिन स्वास्थ्य मंत्री और शासन के आला अफसरों के साथ ही साथ कई डीएम जैसे अफसरों और स्वास्थ्य विभाग के सीएमओ और सीएमएस के माहिर हाथों में थमा दिया गया है, उन्हें आपने कामधाम से काम भले कोई न आता हो, लेकिन सरकार की नाक कटवाने में वे बाकायदा माहिर हैं। ऐसी हालत में कोरोना के खिलाफ जंग में बस दिक्कत और जबर्दस्त आशंकाएं सिर्फ इतनी ही हैं कि कहीं ऐसे इंतजामों में यह सफलता आम आदमी के बजाय कहीं कोरोना के ही पक्ष में न चली जाए। वजह है ऐसे अफसरों की कार्यशैली, उनका स्वाद, उनकी लोलुपता, उनका छिछोरापन, उनकी काहिली, उनका झूठ और उनकी खतरनाक संवेदनहीनता।
जी हां, यह महज आरोप नहीं है, बल्कि यूपी में सरकार में शामिल जिम्मेदार मंत्रियों और अफसरशाही की असलियत यही है। ऐसे लोगों का चेहरा निहायत घटिया, नत्रशंस और अमानवीय है। अपनी कुर्सी, अपने भ्रष्टचार, अपनी बेईमानी, अपनी कमाई वगैरह के लिए वे ऐसे नेता और उनके अफसर किसी भी सीमा तक गिर सकते हैं। भले ही उनकी ऐसी करतूतों के चलते यूपी में जनस्वास्थ्य को कितना भी भयावह खतरा पैदा हो जाए। दोलत्ती संवाददाताओं की टीम ने इस मामले में कई मंत्रियों और अफसरों की करतूतों का खुलासा किया है। और ऐसे नतीजों से साफ दिख रहा है कि यह अफसर अपने दायित्वों के खिलाफ लगातार आपराधिक हरकतें ही कर रहे थे।
पहला नम्बर है यूपी के स्वास्थ्य, चिकित्सा और परिवार कल्याण विभाग के मुखिया मंत्री जय प्रताप सिंह का। करीब 12 दिन पहले लखनऊ की चार पार्टियों में मुख्य अतिथि बन कर लंदन से आयीं गायिका कनिका कपूर के साथ बडे-बडे नेताओं, जजों और अफसरों ने खूब ठुमके लगाये थे। ऐसे लोगों में स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह अव्वल नम्बर में बताये जाते हैं। उनकी यह हरकत तब हुई, जब योगी सरकार ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि कोरोना के चलते पार्टियों को बंद कर दिया जाए। लेकिन ऐसे लोगों का क्या किया जाए, जिनकी जुबान ही लगातार मौका मिलते ही लार टपकाने लगती है।
एक और जज साहब भी इस पार्टी में शामिल थे। रिटायर होने के बाद वे एक सांवैधानिक पद वाली कुर्सी पर जम गये हैं। वैसे यह जज साहब काफी शालीन माने जाते हैं, लेकिन बुढापे में जवानी माहौल देखते ही जोर मारना शुरू कर देता है। सो, यह जज साहब कनिका की पार्टी में सबसे पहले पहुंचे और सबसे आखिरी में तालियों पर ताल ठोंकते रहे। बीच-बीच में कनिका से हाथ भी मिलाया, और अपने जीवन को धन्य करते रहे। (क्रमश:)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *