परिवहन निगम: 38 करोड फंसा, कहानी सुना रहे हैं एमडी

दोलत्ती

: यस बैंक में घुसेड रखी थी अफसरों ने परिवहन निगम की किस्मत : अफसरों की साजिशें कि “चूहा-मूस” को हलाल करो तो समझो गंगा नहा लिया :
कुमार सौवीर
लखनऊ : रोडवेज के अफसरों ने उप्र परिवहन निगम की किस्मत भी सरकारी बसों की तरह खटारा कर डाली है। मकसद है लूट, झपटमारी और लूटपाट का माहौल। आला अफसरों को खूब पता है कि अगर मामला फंसा तो सबसे छोटे अफसर को फांसी पर लटकाने का मौका, रास्ता और सीढी बहुत है। इसीलिए करीब सवा चार सौ करोड रूपयों को बेहद निर्ममता के साथ इन अफसरों ने राष्ट्रीय बैंकों से निकाल कर निजी बैंकों को थमा दिया। और अब हालत यह है कि इनमें से 38 करोड रूपया यस बैंक में बुरी तरह फंस गया है। फिलहाल तो उसको वापस हासिल करने का कोई रास्ता ही नहीं दिख रहा है। मामला फंसते ही आला अफसरों ने चिरकुट अफसरों को फांसी के तख्ते तक पहुंचाने की साजिशें बुनना शुरू कर दिया है। दिलचस्प बात तो यह है कि इस मामले में अपना हाथपांव ठण्डा देखते ही निगम के एमडी राजशेखर ने इस शिकंजे से अपनी गर्दन छुडाने के लिए नयी-नयी कहानी सुनाना शुरू कर दिया है। मकसद सिर्फ इतना कि बाकी को बेईमान और खुद को सबसे बडा बेईमान साबित कर डाला जाए।
खबर कुछ यह है। हालांकि इस कहानी को निगम के लोग साजिश के तौर पर ही देख:सुन रहे हैं, जो मजाकिया होने के साथ ही साथ दिलचस्प कहानी भी है। कहानी के मुताबिक परिवहन के पास 423 करोड रूपया था, जो निगम प्रशासन ने राष्ट्रीय बैंकों में जमा कर रखा था। निगम के एमडी राजशेखर द्वारा सुनायी जा रही कहानी के अनुसार यह रकम निगम को मजबूत करने के लिए सुरक्षित की गयी थी, लेकिन अफसरों ने करीब दो बरस पहले निगम के कर्मचारियों खून-पसीने द्वारा निगम में जुटायी इतनी भारी-भरकम कमाई को लुटवाने की साजिशें बुनना शुरू कर दिया। हुआ यह कि जो 423 करोड रूपया राष्ट्रीय बैंकों में सुरक्षित रखा हुआ था, उसे घटिया फैसले, आर्थिक लूटपाट और षडयंत्र के तहत निजी बैंकों को थमा दिया।
नतीजा है इसमें से 38 करोड रूपया इस वक्त यस बैंक में फंस गया है, और उसकी वापसी की गुंजाइश फिलहाल अंधेरों में है।
राजशेखर की कहानी के अनुसार यह रकम निगम के अफसरों ने 1918 से 2020 के बीच राष्ट्रीय बैंकों से हटा कर निजी बैंकों में सौंप दिया था। राजशेखर सुनाते हैं कि इस बीच शेयर-बाजार में उथल-पुथल मची। मगर ​निगम के सतर्क अफसरों की निगाह उन पर खूब जमी थी। इसीलिए समय रहते ही ऐसे जागरूक अफसरों ने निगम का 385 करोड रूपया निजी बैंको से वापस ले लिया। और इस तरह परिवहन निगम को बडा धक्का होने की आशंकाएं निर्मूल कर दी गयीं।
उप्र परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक राजशेखर का मीडिया को इस पूरी साहसी, सजगता और निष्ठावान अफसरों की पीठ ठोंकने सुनाने का असल मकसद तो देखिये, तो आपके निगम की कार्यशैली और करतूतों पर शर्म आने लगेगी। राजशेखर का दावा है कि इसी बीच एक बेईमान अफसर ने आर्थिक लाभ के लिए यस बैंक में यह रकम फंसी डाली। अब हालत यह है कि तकनीकी गडबडी के चलते इस रकम को निकालने की गुंजाइश ही नहीं रह गयी है। हालांकि इसके बावजूद अपनी पीठ ठोंकने में बिजी राजशेखर का दावा है कि इस 38 करोड रूपयों की वापसी के लिए यस बैंक के अफसरों को पत्र लिखा गया है कि वे यह रकम परिवहन निगम को वापस कर दें। लेकिन मजाकिया हालत यह है कि राजशेखर खुद ही यह दावा करते हैं कि इस सावधि जमा की शर्तों के मुताबिक निर्धारित इस एफडी को तोडा नहीं जा सकता। ऐसी हालत में किस आधार पर निगम के एमडी ने यस बैंक से यह एफडी तोडने का अनुरोध किया है, यह समझ से परे है और उसे केवल एमडी राजशेखर ही ही समझ सकते हैं। हां, कई कर्मचारियों का दावा है कि राजशेखर यह कहानी सिर्फ इसलिए सुनाने में व्यस्त हैं, ताकि उन पर कोई लांछन न लग सके और वे अपने चेहरा पूरी तरह साफ करने में सफल हो जाएं। (क्रमश:)

उप्र सडक परिवहन निगम में हुई इस भारी धोखाधडी और उसके लेकर आला अफसरों की करतूतों पर दोलत्ती की कडी नजर है। हम जल्दी ही इस मामले को लगातार श्रंखलाबदध खबरें पेश करने जा रहे हैं। उससे जुडी खबरों को देखने के लिए कपया दोलत्ती डॉट कॉम पर क्लिक करते रहियेगा। और हां, आपको निगम की करतूतों से जुडी बाकी सूचनाएं हैं और आप हमसे किन्हीं मामलों पर खबरों को दोलत्ती डॉट कॉम के साथ शेयर करना चाहते हैं तो हमारा सम्पर्क फोन नम्बर:9453029126, 8840991189 है। अगर आप चाहेंगे तो हम आपका नाम, परिचय वगैरह पूरी तरह गुप्त ही रखेंगे।

कुमार सौवीर

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