पत्रिका ने भी उठा दी अपनी पूंछ। वेतन नहीं, दक्षिणा ले लो

बिटिया खबर

: हजारों कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर लाले : लखनऊ से भी निकाले गये करीब डेढ दर्जन पत्रकार :
कुमार सौवीर
लखनऊ : राजस्थान पत्रिका का नाम तो आपने सुना ही होगा। देश के हिन्दी भाषा-भाषी समाचारपत्र समूहों में प्रतिष्ठा के स्तर पर सबसे बडा नाम माना जाता है पत्रिका समूह। इस अखबार की प्रतिष्ठा केवल इसके समाचार से ही नहीं है, बल्कि सामाजिक दायित्वों और मानवीय आदर्शों को लेकर भी यह समूह सबसे विश्वसनीय माना जाता रहा है। लेकिन अब लगता है कि यह खबर समूह भी रेत की इमारत की ही तरह ढहने पर आमादा है। खबर है कि कोरोना वायरस के हमले से पूरी दुनिया में मचे हडकम्प से यह समूह भी काफी संकट में है और नतीजा यह कि इस समूह ने अपने पत्रकारों को बाकायदा किसी कुत्ता की तरह बना डाला है।
सूत्र बताते हैं कि राजस्थान पत्रिका ने किसी फेंके गए टुकड़े की तरह अपने हर एक पत्रकार के मुंह पर 15-15 हजार रूपयों की रकम फेंक दी है। लेकिन यह रकम पिछले महीने के वेतन की एवज में नहीं है। इस महीने पर वेतन का तो जिक्र ही नहीं कर रहे हैं पत्रिका के मैनेजर लोग। इतना ही नहीं, भविष्य में भी यह रकम 15 हजार प्रत्येक के हिसाब से मिलेगी भी या बिलकुल भी नहीं मिलेगी, इस बारे में भी खासा संशय बना हुआ है। संस्थान में इस बारे में बातचीत करना अब अपराध जैसा माना जा रहा है। नतीजा यह है कि कोई भी कर्मचारी इस बारे में कोई भी चर्चा अपने कार्यालय में नहीं कर रहा है।
दरअसल, राजस्थान पत्रिका का नाम केवल हिंदी जगत पत्रकारिता ही नहीं, बल्कि साहित्य जगत में भी अपने दखल को लेकर लब्धप्रतिष्ठ है। केवल राजस्थान ही नहीं, बल्कि देश भर में राजस्थान पत्रिका का नाम बेमिसाल है और स्वर्णिम अक्षरों से दर्ज है लेकिन पिछले महीने से एक हल्के झटके से यह पूरी की पूरी अट्टालिका रेत की इमारत की तरह ढहने की कगार पर पहुंच गयी। सूत्र बताते हैं कि इस संकट का नाम इस समूह ने कोरोना इफेक्ट बताया है। लेकिन इस संकट से निपटने के लिए इस विशाल पत्रकार समाचार पत्र ने अपने दिमाग का विशाल-द्वार तो खोल दिया है, लेकिन दिल को बुरी तरह कुचल डाला।
सूत्र बताते हैं कि इस बड़े अखबार समूह ने अपने 4000 से ज्यादा पत्रकारों को सिर्फ 15000 रूपया ही एकमुश्त दिया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं, विज्ञापन प्रभाग को छोड़कर बाकी सारे प्रभागों में इसी तरीके की जबरदस्त वेतन कटौती कर दी गई है। सूत्र बताते हैं कि प्रत्येक पत्रकार को केवल 15000 रूपया थमाया गया है। इतना ही नहीं, आशंकाएं तो इतनी भी सुनी जा रही हैं कि अगले महीने शायद पत्रकारों को फूटी कौड़ी भी न मिल पाए।
बताते हैं कि समूह में केवल वेतन ही नहीं, बल्कि पत्रकारों की संख्या में भी भारी कटौती की गयी है। लखनऊ ब्यूरो के वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि लखनऊ में करीब 26 पत्रकार तैनात थे जिनमें इस अखबार का ऑनलाइन एडिशन से जुड़े डॉट कॉम पत्रकार भी शामिल हैं। लेकिन अब इनकी संख्या में से 16 पत्रकारों का नामोनिशान संस्थान से खत्म कर दिया गया है। यानी अब करीब 10 ही पत्रकार अब बचे हैं। और जो बचे भी हैं वह भी अब अपनी अंतिम सांस हर क्षण टूटता महसूस कर रहे हैं।
सूत्र ने बताया कि मुंबई, दिल्ली और राजस्थान के सभी संस्करणों में यही हालत है। ऐसी हालत में ऐसे बड़े समूह का इस तरह भरभराते हुए गिरना देखना काफी दुखद अनुभव है। कई पत्रकारों ने दोलत्ती संवाददाता को बताया कि इस समस्या दरअसल कोरोना के बहाने पत्रकारों की औकात को जमीन तक लाने की साजिश की गई है।
सूत्र बताते हैं उन सभी वरिष्ठ पदों पर आसीन लोगों को इस महीने केवल 15000 का ही भुगतान हुआ है लेकिन जिन लोगों का वेतन 15000 अथवा उससे कम है उनकी कटौती नहीं की गई है। यानी जिन्हें 15000 से ऊपर का वेतन मिलता था वह अब सिर्फ 15000 ही पाएंगे। और बाकी लोगों की वेतन कटौती ऐसी तथाकथित आर्थिक संकट वाले हवनकुंड में भस्मीभूत कर दी जाएगी।
दोलत्ती संवाददाता ने राजस्थान पत्रिका के प्रबंधन से इस बारे में संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका है। हम प्रतीक्षा कर रहे हैं कि इस मसले पर राजस्थान पत्रिका प्रकाशन प्रबंधन अपना स्पष्टीकरण करेगा। हम पत्रिका प्रबंधन से आने वाली किसी भी स्पष्टीकरण को पूरा सम्मान देते हुए उसका अक्षरश: प्रकाशन करेंगे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *