: छपास-प्रिय लोगों ने बढाया कोरोना संक्रमण का खतरा : बाप-बेटे बांट रहे हैं कोरोना की आशंका : दस-बीस मास्क बांटा, फोटो खिंचवायी, निकल लिए :
दोलत्ती संवाददाता
लखनऊ : कोरोना को महामारी फैलाने में जिन से सबसे ज्यादा उम्मीद रखी जाती है, उनमें से एक वर्ग है पत्रकारिता। लेकिन आजकल पत्रकारिता के नाम पर धंधा चला रहे लोग भी अपने चौंपतिया अखबार फैलाने की शैली में ही कोरोना वायरस भी फ्रीफण्ड में बांटने फैलाने के अभियान में जुट गये हैं।
जी हां, यह पत्रकार हैं संजय शर्मा। लखनऊ की सायंकालीन पत्रकारिता में खासे विवादास्पद। दो बरस पहले एक गरीब रेस्टोरेंट मालिक को मारपीट कर उसे जेल में भिजवाने की हालत तक पहुंचा दिया था संजय शर्मा ने। वह तो मामला गह सचिव और तब के पुलिस महानिदेशक ने इस पत्रकार को टाइट किया, वरना मामला ही गंभीर हो जाता। ऐसी कई कहानियों के प्रमुख अभिनेता रह चुके हैं संजय शर्मा।
बहरहाल, करीब आजकल अखबार बंद है, इसलिए खुद को चर्चा में बनाये रखने के लिए उन्होंने एक नया तरीका खोजा है। इसके तहत उन्होंने कोरोना को रोकने के लिए प्रशासन की कडाई के बावजूद आजकल सोशल डिस्टेंस के आदेश को ठेंगे पर रख दिया है। अब यह चौपतिया पत्रकार आसपास की झोंपडी में दो-दो कौड़ी के मास्क नन्हें-मुन्ने बच्चों को बांट रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं कि यह वे ऐसे मासूम बच्चे हैं जिन्हें न तो मास्क की जरूरत का अहसास है और न ही उसे लगाने की तमीज। वे तो फ्री में बांटे जा रहे नए खिलौने या टॉफी कंपट की तरह मास्क को लपक रहे हैं। दस-पांच लोग भी जुट जाएं, तो भी मास्क बांटते पत्रकार जी की फोटो उनका चेला झटाक से खींच लेता है और फिर से वाट़सऐप पर दे धकाधक।
पूरी आशंकाएं आसपास पसरी हुई हैं कोरोना को लेकर। कि कोरोना आओ, कोरोना आओ, संजय शर्मा जी आ गये। अब भीड लगायेंगे पत्रकार जी, और फिर…
एक रिटायर्ड आइएएस की करतूत का खुलासा आप हाल ही पढ़ चुके हैं जो कोरोना संक्रमित क्षेत्रों के तहत सील्ड किये गये इलाकों को सांप्रदायिक आधार पर पहचानने की घिनौनी साजिश कर रहे हैं। और इधर खुद को पत्रकार कहलाने वाले लोग भी सोशल डिस्टेंस को ठेंगे पर रख कर मास्क बांटने लगे हैं। अन्नदाता की तरह संजय शर्मा ने एक दिन चंद बच्चों को भोजन भी बंटवाया। यह जानते हुए भी कि प्रशासन इस बारे में सख्त हिदायत दे चुका है किसी भी सामाजिक संस्था को कोई भी खाद्य पदार्थ अथवा कोई अन्य सामग्री समाज में बांटने हो तो वह खुद कोशिश करने के बजाए सीधे सामान प्रशासन के माध्यम से बंटवा दे। लेकिन यह हिदायत इन पत्रकार जी के कान में नहीं घुसती। उनका दावा है कि सचिवालय में से लेकर जिले तक में उनकी हनक है इसलिए उनका कोई भी कुछ नहीं होगा। ऐसा नहीं है कि यह कोई एक घटना है। स्थानीय लोग बताते हैं कि दिन में कई-कई बार लोग यहां के गरीब झुग्गियां में आकर मास्क बंटवाते हैं और फोटो सेशन करवा कर रफूचक्कर हो जाते हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि ऐसी करतूतों में सोशल डिस्टेंस नियम का खुला उल्लंघन होता है। और यह पूरा इलाका कभी भी गम्भीर संकट में आ सकता है। लेकिन संजय शर्मा जैसे छपास-प्रिय लोगों की ऐसी करतूत से गोमती नगर विस्तार के कई कालोनियों में आतंक फैल गया है।