भाजपा को अपना अंगवस्‍त्र मानते थे सिद्धू, आज उतार डाला

मेरा कोना

: नवजोत सिंह सिद्धू, अगड़म-गमड़म शायरी के बेताज शाहंशाह, फास्‍ट-फूड स्‍टाइल में :  नई रौशनी, यानी नवजोत ने जो भी काम सम्‍भाला, बेमिसाल बना दिया : कुल 13 हैं, गिन लीजिए, तेरहवीं में तेरह का बड़ा महत्‍व होता है न, इसलिए :

कुमार सौवीर

“क्या है नशा शराब का जो उतर जाए प्रभात, नाम खुमार नानका चढ़ी रहे दिन रात।”

जी हां। यह सूक्ति बनायी थी सिद्धू ने। नवजोत सिंह सिद्धू। अगड़म-गमड़म शायरी के बेताज शाहंशाह। फास्‍ट-फूड स्‍टाइल में। बस सत्‍तू की पोटली खोली, अंगौछा में उड़ेला और पानी डाल कर सान कर प्‍याज-मिर्च की चटनी के सहारे उदरस्‍थ कर लिया। डकार मारती रहा दर्शक, न ज्‍यादा समझा, और न कम।

कई बरस पहले अपने इसी अंदाज के चलते सिद्धू खासी बवाल में फंस चुके हैं। सिख जमात और गुरूद्वारा की खासी नाराजगी उन्‍होंने मोल लिया था। इसके पहले भी वे गुजरात के हालात पर उन्‍होंने बवाल लिया था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ भी गलत अल्फाज़ों का इस्तेमाल कर शातिर-क्रिकेटर सिद्धू पर खूब हंगामा छूटा। कुछ साल पहले सिद्धू रूद्र यज्ञ में जनेऊ पहनने की वजह से तनाज़े में आ गए थे। गौरतलब है कि सिख धर्म की परम्‍परा के अनुसार जनेऊ मान्‍य नहीं है।

लेकिन पाजी के तौर पर सिद्धू की शोहरत अब तक उनके हर क्षेत्र में रही है। चाहे वह क्रिकेट का मैदान हो या फिर राजनीति और या फिर हंसने-हंसाने का सीरियल। अपने गृह जनपद और शराब के सबसे बड़े पेग के नाम पर बने-बनाये गये पाटियाला की सड़क पर भी उनका दमखम दिख चुका है, जब एक बड़े झगड़े में उन्‍होंने एक व्‍यक्ति पर जानलेवा हमला किया था, जिसमें उसकी मौत हो गयी। पुलिस ने इसे गैर-इरादतन हत्‍या करार दिया था। इसमें तीन साल की सजा मिल चुकी है सिद्धू पर, मामला अब सर्वोच्‍च न्‍यायालय में है।

सिद्धू ने हर मैदान में अपना सिक्‍का जमाया। मशहूर सिद्धू बेलौस और शातिर हंसोड़ शख्सियत हैं। परम्‍पराओं से दूर सिद्धू का अंदाज पुरानी रौशनी के बल पर नहीं, बल्कि नये प्रकाश से है। शायद यह उनके नाम का असर है:- नवजोत, यानी नई रौशनी। सन-1963 की 20 अक्‍तूबर को जन्‍मे हैं जाबांज पाजी, जिसने पिछले साल अपनी एक बड़ी बीमारी को धता बता दिया। बीमारी थी नसों में चर्बी जमने की।

सिद्धू को कमाल करने में महारत है। तालियां पीट-पीट कर जुमले उछालने ही नहीं, वे चुनाव में बाउंसर भी खेल चुके हैं। उन्‍होंने अमृतसर से कांग्रेस के आरएल भाटिया को 90 हजार वोटों के बड़े अंतर से हराया था और आपको बता दें कि यह भाटिया वही नेता हैं, जो ऑपरेशल ब्लू स्टार के बाद भी कांग्रेस के टिकट पर अमृतसर से जीत का सेहरा बांध चुके थे।

अपना क्रिकेट की पारी सिद्धू ने 1983 से शुरू की और 1999 तक वे क्रिकेट को जीते ही रहे। क्रिकेट छोड़ने के बाद कमेंटरी, हंसायी और राजनीति का धंधा एकसाथ शुरू किया। भाजपा के बल पर वे 2004 में अमृतसर से सांसद बने।

बीवी का नाम भी नवजोत कौर है। वह पेशे से चिकित्सक-विधायक हैं, और पटियाला में ही रहती हैं। हां, वे सिद्धू की असल चेहरा हैं। जहां सिद्धू नहीं बोलना चाहते, वहां नवजोत बोल पड़ती हैं। पिछली पहली अप्रैल को सिद्धू के इशारे पर नवजोत ने भाजपा पर आड़े लेते हुए सिद्धू के भाजपा से अलग होने का ऐलान किया था। हालांकि इस पर जब बवाल उठा तो सिद्धू ने इसे अप्रैल-फूल करार दे दिया। लेकिन आज वही मजाक आज सिद्धू ने साकार कर साबित कर दिया कि राजनीति में दावों की कोई अहमियत नहीं होती है।

सिद्धू ने आज भले ही आप पार्टी का पाजामा पहन लिया हो, लेकिन इसके पहले वे भाजपा का अभिन्‍न अंगवस्‍त्र हुआ करते थे। बिलकुल लंगोट की तरह। लेकिन पिछले चुनाव में जेटली के चुनाव में सिद्धू ने अपनी हंसोड़ प्रवृत्ति पर ग्रहण लगा दिया और चले गये कोपभवन। अभी तीन महीना भी उन्‍होंने नरेंद्र मोदी और भाजपा की जमकर तारीफ की थी। यहां तक कह दिया था कि यह सब उनके पिता-तुल्‍य हैं। मोदी को मैंने पिछले 15 बरसों से खूब देखा-परखा है।

लेकिन, लेकिन, लेकिन तीन महीने में भी 15 साल का अनुभव दो-कौड़ी का कैसे हुआ, यह जवाब तो सिद्धू ही देंगे। फिलहाल तो आप सिद्धू के उनके हंसोडि़यों का आनन्‍द लीजिए।

1.एक गिरा हुआ प्रकाशस्तंभ किसी चट्टान से भी अधिक खतरनाक होता है।

2.उम्र तो जवानी के जोश को ठंडा करने में सबसे कारगर है।

3.समुद्र शांत हो तो कोई भी जहाज चला सकता है।

4.जो नंगा आदमी अपनी शर्ट दे उससे खबरदार रहिये।

5.अनुभव वो कंघी है जो ज़िन्दगी आपको तब देती है जब आप गंजे हो जाते हैं।

6.वह एक ज़हरीले सांप से लडेगा और और उसे दो बार डंसेगा भी।

7.सफलता के मार्ग पर कोई बिना एक-दो पंक्चर के नहीं चलता।

8.जो कभी पासा नहीं फेंकता वो कभी छक्का मारने की उम्मीद नहीं कर सकता।

9.दस्ताने पहनने वाली बिल्ली चूहे नहीं पकडती।

10.जब आप एक राक्षस के साथ भोजन कर रहे हों तो आपके पास एक बड़ा चम्मच होना चाहिए।

11. विकेट पत्नियों की तरह होते हैं । आप कभी नहीं जानते की उनसे क्या उम्मीद की जाये

12. आपको अपनी बेल्ट कसने या पैंट गंवाने में से एक को चुनना होगा।

13. सिर बड़े सरदारों के पैर बड़े गंवारों के।

गिन लीजिए। कुल तेरह के तेरह ही हैं। दरअसल, तेरहवीं में तेरह का बड़ा महत्‍व होता है न, इसीलिए।

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