मीडियाकर्मियों को भाषा-बोली सिखाएंगे भाषाविद

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: लखनऊ समेत यूपी के न्‍यूज चैनलों के रिपोर्टरों को सटीक शब्द सिखाने वाली कार्यशाला कल : ओसामा तलहा सोसाइटी ने छेड़ी कलमकारों में भाषा-सुधार वाली पहलकदमी : पत्रकारिता में शालीनता और सचाई के मसले भी अब उठाये जाएंगे :

मेरी बिटिया संवाददाता

लखनऊ : भाषा  और बोली को लेकर पत्रकारिता पिछले दो दशकों से बेहद बुरी  हालत से गुजर रही है। खास तौर पर न्यूज़ चैनल पर बोली जा रही भाषा की दुर्गति अब किसी से  छुपी नहीं है। अर्थ का अनर्थ  कर डालने वालों की  संख्या  टीवी चैनलों  पर लगातार बढ़ती ही जा रही है। ऐसी हालत में  अचानक एक किसी सुखद घटना  की तरह ही एक नई अनोखी पहल शुरू होने वाली है।

ओसामा तल्हा सोसाइटी की ओर से पत्रकार कुलसुम तल्हा पत्रकारों और खास कर न्‍यूज चैनल के पत्रकारों के लिए एक नई खुशखबरी लेकर आई है। अपनी इस पहल के तहत कुलसुम ने अपनी मां किश्वरी और पति ओसामा तल्हा की याद में एक कार्यशाला का आयोजन करेंगी, जहां प्रतिभागियों को बोलने और लिखने जाने वाले शब्दों को सुधारने और संवारने की दिशा दी जाएगी। कुलसुम बताती हैं यह कार्यशाला तलफ्फुज और मीडिया के विषय पर आयोजित होगी। तारीख है अगली 30 जुलाई की शाम। हालांकि इस संदर्भ-अभियान की पहली कोशिश के तहत यह कार्यशाला पहले 28 जुलाई को होनी थी। लेकिन प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के मद्देनजर इसे बदल कर 30 जुलाई कर दिया गया है। 

कुलसुम ने बताया कि इस कार्यशाला में प्रोफेसर लखनऊ विश्वविद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो अनीस अशफाक, प्रोफेसर साबरा हबीब, आयशा सिद्दीकी, करामत कॉलेज  की प्रिंसिपल रह चुकी साबिया अनवर, कमर खान आदि प्रतिभागियों को संबोधित करेंगे।

कुलसुम का कहना है कि वह भविष्य में भी ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन करती रहेंगी, जिससे न केवल टीवी पत्रकारिता बल्कि अखबार और अन्य मीडिया कर्मी भी लाभांवित हो सकेंगे। कुलसुम इस बात से दुखी हैं कि खास तौर पर टीवी चैनल के कुछ कार्यक्रमों में शालीनता और सत्य का प्रभाव लगातार कम होता जा रहा है। यह चिंता का विषय है। हम सच को पूरी शालीनता के साथ बेहतर तरीके से लोगों तक पहुंचा सकते हैं, बजाय इसके कि उन्हें आक्रमण की शैली में बेहूदगी के साथ पेश किया जाए।

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