बातों-बातों में ही खुल गयी पत्रकारिता की पाठशाला

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: अमर उजाला के समाचार संपादक प्रदीप मिश्र की सोशल-बैठकी में ही अनायास शुरू हुई चर्चा : अखबारों में सामान्‍य तौर ऐसे शब्‍द छपने शुरू हुए हैं, जो वाकई हैं असभ्‍य, अशिष्‍ट और व्‍याकरण के पैमाने पर अराजक और अनर्थकारी :

कुमार सौवीर

लखनऊ : आइये, एक नयी पाठशाला खोल दिया जाए। चलती-फिरती पाठशाला। इसके लिए कहीं आने-जाने की भी कोई जरूरत नहीं। बस, अपना मोबाइल ऑन कीजिए, फेसबुक या वाट्सऐप समूह में जुड़ कर वहां भाषा को लेकर हो रही गलती-गड़बडि़यों पर चर्चा शुरू कर दीजिए। बिना किसी संकोच, या फिर बिना किसी दुराग्रह के। आपका लहजा बस शांत, सौम्‍य और सहयोगी भाव में होना चाहिए। बाकी लोग खुद ब खुद आपके पास जुड़ने लगेंगे।

फेसबुक पर मैंने कल रात यही किया। अमर उजाला में वाराणसी के समाचार संपादक हैं प्रदीप मिश्र। आईआईएमसी यानी भारतीय जन संचार संस्‍थान के पढ़े-लिखे हैं। तीस साल हो चुके हैं पत्रकारिता करते हुए। लेकिन जैसे कोई परिंदा अपने पुराने घोंसले पर लौटता हो, जैसे कोई विवाहिता अपने लोगों का हालचाल लेने अपने मायके आती हो, प्रदीप भी आईआईएमसी पहुंचे। वहां की अपनी एक फोटो फेसबुक पर अपलोड की। फिर क्‍या था, कमेंट्स की बाढ़ आ गयी। सामान्‍य तौर पर वर्तनी की गड़बड़ होती है, तो मैं उसे सहज भाव में ले लेता हूं। लेकिन उसमें से एक कमेंट पर मेरी नजर पड़ी, गौर किया तो पाया कि यह पत्रकार हैं। मुझे लगा कि यह शख्‍स हमारे ही पत्रकारिता-परिवार का सदस्‍य है। इसलिए उसे मैंने समझाने के लिए मित्रतापूर्व परामर्श देना शुरू कर दिया।

आइये, उस कमेंट पर आया जाए, जिस पर बातचीत शुरू हो गयी। वह बातचीत बेहद शालीनता के साथ हुई। मैंने अपनी बात पूरी सहजता-सरलता के साथ कह दी, और उसने भी पूरी सौम्‍यता और शालीनता के साथ मेरे परामर्श को स्‍वीकार किया। कहीं भी किसी भी शख्‍स ने ऐसा नहीं किया जिससे किसी को बुरा लग सके। आइये, अब बातचीत को पढ़ने का कष्‍ट करें :-

Hemant Dubey कहा का है शीन है सर

Kumar Sauvir हेमंत जी। आपने जिस संदर्भ में शीन शब्द का प्रयोग किया है, वह सर्वथा भ्रमकारी, अशुद्ध और अनर्थकारी है। सही शब्द है सीन।और मैं समझता हूं कि यह सही समय है जब मैं इसी विषय पर पाठशाला प्रारम्भ कर दूं। अन्यथा मत लीजियेगा, लेकिन पत्रकारिता के गंभीर क्षेत्र में शब्द, वर्णमाला और व्याकरण सर्वथा अनिवार्य होते हैं।

जरा अब नोट करना शुरू कीजिए और अपने साथियों को भी इस बारे में जागरूक व सतर्क भी कीजियेगा।

सीन और शीन शब्द हिंदी अथवा अंग्रेजी में हैं ही नहीं।शीन तो उर्दू का अक्षर है, जिसका इस्तेमाल केवल श अक्षर को प्रयुक्त करने में किया जाता है। जबकि सीन अक्षर नहीं, बाकायदा एक शब्द होता है। अंग्रेजी में सीन का अर्थ है दृश्य, नजारा अथवा क्रिया में देखा जा चुका। जबकि उर्दू की वर्णमाला में शीन से श शब्द की उत्पत्ति होती है। आपको बता दूं कि उर्दू में शीन से पहले सीन शब्द आता है। सीन के बाद शीन, फिर स्वाद, फिर ज्वाद।

Pradeep Mishra पाठशाला अच्छी लगी।

Hemant Dubey छमा

Kumar Sauvir Hemant Dubey मेरे लाल। क्षमा के लिए नहीं, समझने की पाठशाला खोली है मैंने। सिर्फ सुधरो,सुधारो, और अक्षर-संधान कर ब्राह्मण और पंडित बनने के सेनानी बनो।

लेकिन पहले तो छमा नहीं, क्षमा शब्द का प्रयोग शुरू करो

Kumar Sauvir बेटा। मैं क्लास चला रहा हूँ, जिज्ञासा और उत्साह भाव रखो। यह जेल या हवालात नही, कि हम शर्मिंदा होते रहें

Hemant Dubey ओके सर

Kumar Sauvir जिज्ञासा, विचार, शब्द, भाव, विश्लेषण, लेखन, अभिव्यक्ति और सम्प्रेषण तुम ही न संभालोगे-सीखोगे, तो कौन करेगा?

उपसंहार:- हालांकि मैं जानता हूं कि ऐसी टोकाटाकी किसी को बुरी भी लग सकती है। लेकिन मुझे लगा कि ऐसा करना जरूरी है। हम पत्रकार लोग अपनी विश्‍वसनीयता और भाषागत अराजकता के बड़े खतरे से जूझ रहे हैं। इसलिए इस तरह की नुक्‍ताचीनी होनी ही चाहिए। और गर्व की बात है कि हेमंत दुबे ने मेरी हर बात पर सहमति व्‍य‍क्‍त की। अब आप सब लोग भी इस बारे में लोगों को जागरूक करें।

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