एटा-हादसा: स्‍कूलों को कसाईबाड़ा नहीं, शिक्षा का मंदिर बनाना जरूरी

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: जीवन के हर पक्ष को मौद्रिक-मुनाफा का जरिया कैसे बनाया जा सकता है : हमें नैतिकता और विशुद्ध नफा-नुकसान का सीमांकन करना होगा : प्रख्‍यात अजीम हाशिम प्रेमजी के प्रयोगों को अपनाइये तो आपके नौनिहाल अकाल मौत से बच सकते हैं :

धनन्‍जय शुक्‍ल और रंजीत पाण्‍डेय

लखनऊ : देश में कई बड़ी घटनाओं के बीच एक जो सबसे बड़ी घटना सामने आई है और उस तरफ शायद ही किसी का ध्यान जाये और जिसका जाये भी वो कितनी गम्भीरता से ले रहा है ये कहना मुश्किल है। क्योंकि जिस तरह से शिक्षा को व्यवसाय बनाकर रख दिया गया है, उस सब से तो यही सब होना ही है। क्योंकि जब शिक्षा को व्यवसाय के रूप में इस्तेमाल किया जायेगा तो उसकी गुणवत्ता खत्म ही होनी है। फूड, क्लॉथ, शेल्टर, हेल्थ, एजुकेशन एंड एडवाइस कांसेप्ट पर मिनिमम चार्ज लगना चाहिए। कम से कम औधोगिक और तकनीकी विकास की इस दुनिया में। प्रोडक्ट ही ट्रेड का असली आधार होना चाहिए।

यूपी के एटा स्थित अलीगंज इलाके में एक स्‍कूल की बस में 25 से ज्‍यादा दुधमुंहे बच्‍चे काल के गाल पर समा चुके हैं। सच बात तो यह है कि यह हादसा हमारी शिक्षा व्‍यवस्‍था के खोखले का जीवन्‍त नजीर कही जा सकती है। फ़िलहाल एजुकेशन पर अजीम प्रेम जी फाउंडेशन पर विचार करने की जरूरत है। यदि आप को यानि ग्लोबल वर्ल्ड को एडुकेटेड नागरिक चाहिए तो उसमें व्यवसाय कहाँ से आता है वो तो आपकी सर्विस जुड़ा मामला है !

आइये अब बात करते हैं आज के शिक्षा व्यवस्था की, इस समय देश में शिक्षा संस्थानों की कमी नही बल्कि गुणवत्ता का आभाव हो गया है। जब शिक्षा गुरुकुल में दी जाती थी उस समय न तो शिक्षा कोई व्यवसाय था और ना ही अजीविकोपार्जन का कोई साधन। उस समय जो शिक्षार्थी थे वे अपनी व्यवस्था के संचालन के लिए भिक्षा मांगकर अपनी और गुरु की आवश्यकताओं को पूर्ण करते थे। लेकिन आज के शिक्षण संस्थानों में शिक्षा शुल्क के रूप में बड़ी मोटी रकम वसूल की जाती है और शिक्षण संस्थान देश के टॉप व्यवसायों में से एक है।

मगर इन सब से अलग इस समय अपने ही देश में अज़ीम प्रेमजी का फाउंडेशन जो शिक्षा के लिए काम कर रहा है वो सराहनीय है। उन्होंने शिक्षा को व्यवसाय न बनाकर केवल शिक्षित करने का ही काम किया है। उस शिक्षा व्यवस्था के लिए उन्होंने अपने अन्य व्यवसायों से प्राप्त इनकम का कुछ भाग शिक्षा की व्यवस्था करने का रास्ता निकाला है। और आज देश के कई राज्यो में उनका ये फाउंडेशन लोगों को शिक्षित कर रहा है। ये संस्थान न केवल बच्चों को बल्कि शिक्षकों को भी शिक्षित कर रहा है जिसकी सख्त आवश्यकता है।

लेकिन प्रश्न ये है कि हमारी सरकारें क्या कर रही है, जो आज शिक्षा में माफियागिरी है उसमें कौन लोग हैं, उन्हें कौन बढ़ावा दे रहा है। सरकार क्यों कुछ नही कर पा रही है। और ऐसी कोई व्यवस्था क्यों नही बना रही है कि शिक्षा को व्यवसाय न बनने दिया जाए।

इस सबके लिए हम लोगो का भी कुछ उत्तरदायित्व बनता है कि हम क्यों ऐसे लोगों को बढ़ावा दे रहे हैं जो हमे शिक्षा के नाम पर ठग रहे हैं, और अपनी सरकारों से क्यों नही उनकी ज़िम्मेदारी का अहसास करवा रहे हैं। अगर हम सभी लोग अपने अपने फायदे नुकसान त्यागकर अपने बच्चों और समाज के भविष्य के लिए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए कदम आगे बढ़ाने ही होंगे। ( क्रमश:)

यूपी में रोज-ब-रोज होने वाले ऐसे हादसों का विश्‍लेषण के लिए हम ऐसे हादसों के कारणों को खोजने की कोशिश कर रहे हैं। इसकी अगली कडि़यों के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:- हम खुद हैं ऐसे स्‍कूली बस हादसों में कातिल

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