: जुर्माना तो निषेधाज्ञा पर वसूला जाता है, टैक्स जैसे दीगर राजस्व की तरह उनका ढोल कैसे बजाया जा सकता : झोला, साइकिल, कपड़े, मोबाइल या पास में जो भी होगा, ज़ब्त कर लिए जाते हैं :
आमिर किरमानी
हरदोई : लोगों की समझ में नहीं आ रहा है कि कोरोना को नियंत्रित करने की कोशिश के तहत की गयी पुलिस की कार्रवाई खबर तो बन सकती है, लेकिन गरीब लोगों से मास्क न पहनने के अपराध के तौर पर जुर्माना में जुटायी गयी रकम को पुलिस अपनी उपलब्धि की तरह कैसे पेश कर सकती है। जुर्माना का प्राविधान किसी निषेधाज्ञा को लेकर वसूला जाता है, टैक्स या दीगर अन्य राजस्व की तरह उनका ढोल कैसे बजाया जा सकता है। 28 सितम्बर की रात हरदोई के पुलिस कप्तान की ओर से जो प्रेसनोट जारी हुआ है, वह वाकई शर्मनाक है। इस प्रेसनोट में साफ लिखा है कि इस दिन 438 लोगों पर मास्क न पहनने और थूक देने के आरोप में दो लाख अट्ठारह हजार एक सौ रुपयों का चालान वसूला गया।
लेकिन हरदोई ज़िले में यही चल रहा है। मास्क चेकिंग के नाम पर आजकल गरीब जनता का भयावह शोषण हो रहा है। गरीब, मजदूर और किसानों की जेब में भले ही 50 रुपए न हों, लेकिन मास्क न लगने पर पांच सौ रुपए वसूले जा रहे हैं। वरना झोला, साइकिल, कपड़े, मोबाइल या पास में जो भी होगा, ज़ब्त कर लिए जाते हैं।
पुलिस वाले भी मजबूर हैं, साहब का हुक्म और दबाव है तो टारगेट पूरा करना ही है। चाहे उनकी अंतरात्मा भले ही ऐसा करने से रोक रही हो। वसूली वालों को लोग पानी पी पीकर गालियां दे रहे हैं। साथ ही प्रदेश सरकार को भी बेशुमार लानतें मिल रही हैं। खासतौर से हरदोई जिले में जब से नए एसपी अनुराग वत्स आए हैं, तबसे थानाध्यक्षों पर बहुत प्रेशर है। मास्क के नाम पर न केवल जनता का बल्कि पुलिस वालों का भी शोषण हो रहा है। हर थानेदार, दरोगा, सिपाही को टारगेट दिया गया है किसी को 50 चालान प्रतिदिन, किसी को 20, किसी को 10 का टारगेट दिया गया है।
ज़रा सोचिए, जो गरीब आदमी दिनभर में बमुश्किल तमाम 100/200 रुपए कमा पाता है, शाम को 50 रुपये लेकर निकलता है आटा, तेल, सब्जी लेकर घर जा रहा है उसका 500 का चालान करना कहां तक जायज है ? पुलिस वाले भाई बंधु तो अनुशासन से बंधे हैं, साहब बहादुर का हुकुम है तो बजाना ही पड़ेगा।भले ही उनका ज़मीर अंदर से गवारा न कर रहा हो, इन दिनों पूरा ज़िला परेशान है।
एक दिन मैंने एसपी से भी कहा लेकिन उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का दबाव है कि ज्यादा से ज्यादा चालान करें।
भला ये भी कोई बात हुई। पुलिस की यह अवैध वसूली बंद कराएं, वरना विद्रोह की स्थिति उत्पन्न होने वाली है। कभी किसी पुलिस वाले के साथ चौराहे पर 10 मिनट खड़े होकर देखिये, कितना तरस आता है, लोगों की मजबूरी पर उन्हें गिड़गिड़ाते देखकर। मैं यह नहीं कहता कि मास्क न लगाएं, जनता को भी जागरूक होना चाहिए मास्क लगाकर सार्वजनिक स्थानों पर निकलना चाहिए, लेकिन अगर असावधानी या भूलवश किसी ने मास्क नहीं लगाया है, तो कम से कम गरीब आदमी को तो छोड़ दो, अमीर से भले ही वसूल लो जुर्माना।