कोरोना विरोधी अभियान से मुसलमान कटा रहा, क्यों

दोलत्ती

: कोरोना न कुरान की आयत है, न गीता का श्लोक : साक्षात मौत कोरोना से कोई न बचेगा : जश्न में 90 फीसदी से न मास्क पहना न पर्याप्त दूरी : 
कुमार सौवीर
लखनऊ : मोदी ने कोरोना को भगाने और उसे भगाने वालों के लिए घंटा-घंटी, थाली-लोटा, कलछुल-चम्मच और शंख-मजीरा तो खूब बजवा दिया।
आडवाणी, राजनाथ सिंह, आदित्यनाथ योगी, अमिताभ बच्चन, ऐश्वर्या, करन जौहर, कृति सेनन जैसे नेता, अभिनेता, पनेता के साथ-साथ देश के विभिन्न शहरों के मोहल्लों-कालोनियों में खूब जश्न मनाया गया। बच्चे तो दूर, जवान-जवानियाँ और बुजुर्ग-बुजुर्गिनियों ने खूब हल्ला-गुल्ला किया, सजधज कर फोटो खिंचवाई।
जोगी जी तो ऐसा घंटा बजा रहे रहे थे, मानो कथा बांचने के बाद अपनी पोथी संभालते पंडीजी के सहयोगी और पंजीरी-पंचामृत लूटने वाले लौंडे-लफ़ाड़ियों की लाइन लगाने की प्रेरणा देने वाले अति-उत्साहित चेले की तरह झक्कास घंटा पर हनहनउव्वा हथौड़ा पीट रहे हों।
लेकिन इन सभी नजारों में 90 फीसदी से ज्यादा लोगों ने न तो मास्क पहना था और न ही परस्पर सुरक्षा पर्याप्त दूरी ही बनाई थी।
एक बात है। जरूरी। वह यह कि इस जश्न में किस भी मुसलमान मोहल्ले का कोई भी नजारा नहीं दिखा। मुम्बई में अदनान सामी और देश की कुछेक कालोनियों के अलावा लखनऊ में पानदरीबा के एकमात्र मुस्लिम परिवार ने अपने पड़ोसियों के साथ थालियां बजायीं, लेकिन बाकी जगह तो बिल्कुल सन्नाटा ही रहा।
अब कई सवाल तो मीडिया के साथ ही साथ मुसलमानों पर भी आयद होते हैं। पहला तो सवाल मीडिया से, कि क्या उन्होंने जानबूझ कर मुसलमानों की इस राष्ट्रीय आपदा पर आयोजित ऐसे राष्ट्रीय अभियान पर मुस्लिमों की सहभागिता को इग्नोर किया?
दूसरा सवाल मुसलमानों से, उन्होंने ऐसी राष्ट्रीय अभियान पर उदासीनता क्यों दिखाई, जिसमे मकसद धर्म और इस्लाम ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों से जुड़े इंसानों के प्राणों की रक्षा का सवाल था? ऐसे पुनीत कार्य के लिए आयोजित विशालतम जन-जागरूकता से मुसलमानों ने इस डरावना और धार्मिक विद्वेषपूर्ण किनारा क्यों किया?
मेरी जान ! अब यह सफाई मत देना शुरू करना कि आप ने किया तो खूब, मगर गोदी-मीडिया ने उसे साजिशन नही दिखाया। वजह यह कि आप बाकी छोटी-छोटी छिंकनी-पदनी सी वारदात का भी वीडियो वायरल करने में खासे माहिर हैं। इस मामले में आप हमेशा ही बीजेपी की आईटी-सेल को बराबरी की पटखनी देते रहे हैं।
खैर,आपको बता दूं कि कोरोना वायरस कुरान की आयत अथवा गीता का श्लोक नहीं है, बल्कि साक्षात मौत है जो एकसाथ पूरी दुनिया तक को नेस्तनाबूत कर देने की ताकत रखती है। और जब कोरोना वाली मौत आएगी, तो बचेंगे आप भी नहीं।

3 thoughts on “कोरोना विरोधी अभियान से मुसलमान कटा रहा, क्यों

  1. सर जी

    सिर्फ लखनऊ से पूरे हिंदुस्तान के मुसलमानों का आंकलन कर लिया गया।

  2. Sare mulk ka beshtar musalman puri zimmedari ke saath mulk ki hi nahi balki sari insaniyat ke liye Allah ke saamne masjid aur gharon me jhuka aur haath failayae apne Rab ke aagey…. Aur kaam abhi pura nahi hai jaari hai Insha Allah hum ye jung apne mulk ke liye jitenge.Ameen

    1. आपके अल्‍लाह के सामने सिजदा करने या दुआ करने से अगर कोरोना का नाश हो जाता हो तो बेशक करते रहियेगा।
      लेकिन बराय-मेहरबानी अपने मुसलमान भाइयोें से इतनी गुजारिश कर लीजिए कि वे अपने घरों में ही रहें, गलियों-सड़कों में मजमा न लगायें।
      इस वक्‍त इंसानियत को आपकी दुआ या सिजदा की नहीं, बस अनुशासन लागू करने की है।
      कोरोना की निगाह में दुआ निहायत निरर्थक बात है। कोरोना के बजाय आप अपने आप के लिए दुआ कर लें, वही बहुत होगा।
      कुमार सौवीर
      लखनऊ

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