बेशर्म होती है यूपी की सरकारें। क्‍या योगी, क्‍या सपा-बसपा

दोलत्ती

: हाथरस कांड में 15 दिन बाद दम तोड़ा बलात्‍कार पीडि़त बिटिया ने : सवाल रेप कर रीढ़ तोड़ना व जुबान काटना नहीं, बिटिया से दरिंदगी की हिमाकत कैसे हुई : आठ दिनों तक रिपोर्ट दर्ज नहीं कर पायी थी योगी-पुलिस :

कुमार सौवीर

लखनऊ : हाथरस में जिस युवती के साथ पाशविक हादसा हुआ था, उसने आज दिल्‍ली में दम तोड़ दिया। यह दीगर बात है कि वहशियों ने हादसे के दौरान युवती की रीढ़ की हड्डी तोड़ना या उसकी जुबान भी काट डालना सवालों के घेरों में है। लेकिन असल सवाल तो यह है कि दरिंदगी हुई और बेशर्मी पर आमादा पुलिस ने करीब दस दिनों तक मामले को दबाये रखा। जाहिर है कि इस हादसे समेत कई घटनाओं ने ही नहीं, बल्कि पूरे यूपी पुलिस के चरित्र पर जितने छीटें पड़ी हैं, वह अभूतपर्व और भयावह है। खास तौर पर तब, जबकि योगी वाले भगवा-राज के नारे के नाम पर पूरे यूपी को ही अराजक और नृशंस अपराधियों ने कानून-व्‍यवस्‍था को ही मौत के घाट उतार देने के लिए कमर कस ली हो।

हाथरस की बिटिया के साथ हुए इस हादसे के बाद अखिलेश यादव और मायावती ने बिलकुल रट्टू तोतों की तरह बयान फेंके हैं। अखिलेश यादव ने बयान जारी कर अपना पल्‍ला झाड़ लिया कि योगी की सरकार दरअसल ‘असंवेदनशील सत्ता’ है और ऐसी हालत में ऐसी सरकार के साथ कोई ‘उम्मीद’ है।

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, ‘हाथरस की गैंग रेप एवं दरिंदगी की शिकार एक बेबस दलित बेटी ने आख़िरकार दम तोड़ दिया। नम आंखों से पुष्पांजलि! आज की असंवेदनशील सत्ता से अब कोई उम्मीद नहीं बची।’

उधर बहुजन समाज पार्टी की चीफ मायावती ने ट्वीट किया है कि ‘यूपी के हाथरस में गैंगरेप के बाद दलित पीड़िता की आज हुई मौत की खबर अति-दुःखद है। सरकार पीड़ित परिवार की हर संभव सहायता करे व फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाकर अपराधियों को जल्द सजा सुनिश्चित करे, बीएसपी की यह मांग है।’ जबकि कांग्रेस के प्रियंका ने सीधे मृत बिटिया के पिता से फोन पर बात कर ढांढस बंधाया। प्रियंका गांधी ने साफ कहा कि इस मामले ही नहीं, ऐसे हर मामले में कांग्रेस इस मामले को फैसलाकुन मोड़ तक पहुंचाने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ेगी।

इस मामले में योगी सरकार में प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा है कि, ‘घटना बेहद दुखद है। पूरी सरकार उस परिवार के साथ संवदेना प्रकट कर रही है। कानून के तहत कड़ी कार्रवाई करेगी। सरकार की तरफ से इसे मुआवजा नहीं कहना चाहिए, लेकिन पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये की मदद दी जा रही है। परिवार वाले चाहते हैं कि सरकार की तरफ से सफदरगंज अस्पताल से बॉडी जल्द दिलवा दें तो सरकार उस दिशा में काम कर रही है। सरकार अपनी तरफ से हर संभव मदद कर रही है। मामले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, मामले में कठोर कार्रवाई होगी।’

इन नेताओं ने किसी पेशेवर बयानवीर की तरह इस हादसे पर अपनी टिप्‍पणी देकर मामले को डिब्‍बा बंद कर देने की कोशिश की है। सच तो यही है कि इन कोरे बयान-बाजों की हरकतों ने इस मामले में कोई निर्णायक मलहम नहीं लगाया है। बल्कि यह क्रूर सचाई है कि इसके पहले सपा और बसपा की सरकारों में भी बलात्‍कार जैसे नृशंस हरकतें होती रही हैं, लेकिन हादसे लखनऊ में होने के बावजूद सपा और बसपा की सरकारों ने भी मामले को दबाने की साजिशें बुनी थीं। इतना ही नहीं, योगी-सरकार के दौरान भी महिलाओं पर हमलों की घटनाएं लगातार होती जा रही हैं।

इस मामले में हम आपको बताने जा रहे हैं कि समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव की सरकार में आम आदमी पर किस तरह बेहूदगी और आपराधिक हरकतें होती रही हैं। खासकर निर्वतमान अखिलेश यादव और उसके पहले मायावती के मुख्‍यमंत्री कार्यकाल में भी इन बड़े दिग्‍गजों ने आम आदमी के सम्‍मान और उनकी इज्‍जत का जनाजा ही निकाल दिया था।

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