झूठ सीएमओ का, शपथपत्र डीएम का

दोलत्ती

: योगी-कोप से बचने के लिए हरदोई प्रशासन झूठ पर आमादा : कोरोना से एक दिन तक नहीं मिली राहत, दम टूटा : सीएमओ बोले कि मौत पहले ही हो चुकी थी, फिर एम्‍बुलेंस क्‍यों भेजी गयी, सवाल अनुरुत्‍तरित :
दोलत्‍ती संवाददाता
हरदोई : बुधवार को एक 62 वर्षीय बुजुर्ग कोरोना संक्रमित हो गया। खबर देने के घंटों बाद पहुंची एम्बुलेंस मरीज को लेकर शाम छह बजे अस्‍पताल पहुंची। एक घंटे तक मरीज एम्‍बुलेंस पर ही पड़ा, उसके बाद ही मरीज को भर्ती किया गया। लेकिन साढ़े नौ बजे डॉक्‍टर उस मरीज को मृत घोषित कर देते हैं। इतना ही नहीं, अगले दिन सीएमओ ऑफिस के कंट्रोल-रूम से मृतक के आश्रितों के यहां फोन पर कहा जाता है कि वे मरीज से बात करना चाहते हैं।
यह हालत है हरदोई जिले का, जो वाकई अब हरि-द्रोही होता जा रहा है। शर्मनाक बात तो यह है कि इस बारे में पत्रकार जब डीएम से सवाल करते हैं, तो डीएम अविनाश कुमार का दावा होता है कि वह मरीज ब्रॉट डेड था। इसके बावजूद उनका कहना है कि वे इस मामले पर एसडीएम से आख्‍या मांगेंगे। जाहिर है कि जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में घोर और अक्ष्‍म्‍य लापरवाही बरती जा रही है। मृतक की बेटी ने स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मामले को मुख्‍यमंत्री और न्‍यायपालिका तक घसीटने की बात कही है।
घटनाक्रम के अनुसार कोतवाली शहर के मोहल्ला चीलपुरवा अशोक नगर के रहने वाले एक 62 वर्षीय बुजुर्ग डायबिटीज और अन्य बीमारियों से ग्रसित थे। परिजन उन्हें लेकर चिकित्सक के पास पहुंचे। जहां पर चिकित्सक ने कोविड 19 की जांच कराने के लिए कहा। परिवार के लोगों ने उनकी जांच कराई जिसकी रिपोर्ट बुधवार को पॉजिटिव आई। इसके बाद ऐंबुलेंस घर पहुंची और उनकी हालत को देखते हुए कोविड अस्पताल ले गई। जहां पर उनकी मौत हो गई।

मृतक की पुत्री ने आरोप लगाते हुए बताया कि पिता की हालत गंभीर थी, इसलिए भाई भी साथ में गया था। इसके पहले भी घर के बाहर भी एम्‍बुलेंस कई घंटों तक खड़ी ही रही थीं। बाद में एक घंटे तक एंबुलेंस अस्पताल के बाहर खड़ी रही, लेकिन कोई भी चिकित्सक या स्वास्थ्य कर्मी उन्हें देखने के लिए नहीं आया। इसके बाद सीएमओ और अन्य अधिकारियों से कहने के बाद चिकित्सक मौके पर पहुंचे और फिर उनकी मौत हो गई। परिजन ने स्वास्थ्यकर्मियों पर लापरवाही का आरोप लगाया है।

बुजुर्ग की मौत हो गई लेकिन कोरोना कंट्रोल रूम और तहसील से लेखपाल आदि के फोन उनकी सेहत के विषय मे जानकारी के लिए आते रहे। मृतक की बेटी ने सभी की बातों को सुना और फिर अपने पिता की मौत के बारे में बताते हुए सभी फोन करने वालों पर पिता की मौत का आरोप लगाया। मृतक की बेटी ने कहा कि वो चुप नहीं बैठेगी और मीडिया से लेकर कोर्ट तक स्वास्थ विभाग के जिम्मेदारों को कटघरे में खड़ा करेगी।

इस सम्बंध में सीएमओ डॉ सूर्यमणि त्रिपाठी का बयान तो वाकई बेशर्मी से सना है। त्रिपाठी का दावा है कि मरीज को हॉस्पिटल लाने से पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी। लेकिन इस बारे में त्रिपाठी कोई भी जवाब नहीं दे रहे हैं कि फिर एम्‍बुलेंस से मरीज को अस्‍पताल में भर्ती क्‍यों कराया गया। इतना ही नहीं, डीएम भी भोले-बबुआ की तरह सरकारी प्रेस-नोट रट कर बोल रहे हैं। मगर इस सवाल का जवाब कोई भी नहीं दे रहा है कि मरीज की मौत के अगले दिन भी मरीज के बारे में पूछतांछ करने वाले सरकारी कर्मचारियों के फोन क्‍यों आते रहे।

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