: महिला अस्पताल के अधीक्षक थे रामसेवक सरोज, सुल्तानपुर में उनकी बेईमानी पर ग्रंथ है : अस्पताल को जातीय युद्ध और भ्रष्टाचार की एक डरावना युद्धक्षेत्र में तब्दील किया डॉ सरोज ने : संविदा-चार
दोलत्ती संवाददाता
लखनऊ : (गतांक से आगे) जिला महिला चिकित्सालय के अधीक्षक के पद पर 2017 में सुल्तानपुर से स्थानांतरित होकर आए डॉक्टर रामसेवक सरोज का भ्रष्टाचार तथा विवादों से पुराना नाता रहा है। सुल्तानपुर में जिला चिकित्सालय के कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की अपनी तैनाती के दौरान इन पर लाखों रुपए के भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। लेकिन चार बरस बीत जाने के बावजूद यह जांच अभी तक शासन नहीं कर पाया। वजह है बंदरबांट। वह भी तब, जब उक्त जांच में डॉक्टर सरोज को प्रथम दृष्टया दोषी भी पाया जा चुका है। सूत्र बताते हैं कि अस्पताल को मरीजों के इलाज के बजाय डॉ सरोज ने उसे धन उगाही का इकलौता अभियान क्षेत्र बना डाला।
2017 में जिला महिला चिकित्सालय में सी एम एस के पद पर कार्यभार ग्रहण करने के बाद भी डॉक्टर सरोज ने धन उगाही के अनेक तरीके अपनाये। राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी द्वारा लैब टेक्नीशियन के पद पर विगत 10 वर्षों से सेवा दे रहे अशोक चौरसिया ने बताया कि उनके पद के नवीनीकरण के लिए सीएमएस डॉ सरोज ने भारी मांग की। वह भी दो-चार हजार नहीं, बल्कि पचास हजार रुपया। एकमुश्त। आपको बता दें कि लैब टेक्नीशियन का नवीनीकरण सीएमएस तथा राज्य ऐड्स सोसायटी की रेटिंग के आधार पर होता है। और इस तरह के नवीनीकरण के लिए रेटिंग देने की एवज में डॉ सरोज ने यह रिश्वत मांगी थीा
लैब टेक्नीशियन चौरसिया ने बताया कि डॉ सरोज अच्छी रेटिंग देने के एवज में 50000 की मांग कर रहे थे। रुपए न मिलने पर उन्होंने कई बार धमकियां भी दीं कि वे रेटिंग तथा एसीआर को खराब-बर्बाद कर देंगे। रुपए ना देने पर सीएमएस डॉ सरोज द्वारा लैब टेक्नीशियन को खराब रेटिंग दिया गया, बावजूद इसके चौरसिया के कार्य से संतुष्ट राज्य एड्स सोसाइटी ने इनका नवीनीकरण कर दिया। उक्त सीएमएस द्वारा महिला चिकित्सालय में एचआईवी /ऐड्स के मरीजों को परामर्श देने के लिए नियुक्त सीमा सिंह से भी जांच के नाम पर धन उगाही का प्रयास किया गया। इतना ही नहीं, डॉ सरोज और उनके गिरोह ने एक षडयंत्र के तहत एक आशा कार्यकर्ती रंजना द्वारा झूठा आरोप लगवाया।
चूंकि यह बाकायदा के तहत ही षडयंत्र रचा जा रहा था, इसलिए आशा के निराधार आरोप पर सीमा सिंह के विरुद्ध जांच बैठा दी गयी। लेकिन यहां पांसा पलट गया। हुआ यह कि जांच अधिकारी डॉ संदीप ने सीमा सिंह को दोषी नहीं माना और रिपोर्ट सीएमएस को प्रस्तुत कर दिया। किंतु सीएमएस डॉ सरोज उक्त जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हुए और फिर एक नये षडयंत्र को बुनना शुरू कर दिया। अब इस नये दांव के तहत सीएमएस द्वारा पुनः उसी मामले की जांच के लिए डा. विनोद को जांच अधिकारी नियुक्त किया। विनोद द्वारा अभी कोई रिपोर्ट सीएमएस को प्रस्तुत नहीं की गई है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इसके बावजूद सीएमएस ने सीमा सिंह के विरुद्ध 2 अगस्त को अपने पद से कार्यमुक्त होते होते प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए अपने स्तर से पत्र जारी कर दिया। उक्त सभी प्रकरणों के संबंध में जब सीएमएस से वार्ता का प्रयास किया गया तो उन्होने स्पष्ट कहा कि मीडिया को किसी प्रकार की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जाएगी।
हैरत की बात तो यह है कि अपने पूरे कार्यकाल में डॉ रामसरोज लगातार जातीय और आर्थिक विवादों में घिरे रहे हैं। महिला अस्पताल को मरीजों के इलाज के बजाय अब यह डॉ सरोज के षडयंत्रों की रणभूमि के तौर पर पहचाने लगा। बहरहाल, अब हालत यह है कि फिलहाल निवर्तमान सीएमएस रामसेवक सरोज के कार्य मुक्त होने से आम लोगों में महिला चिकित्सालय परिसर में व्याप्त भ्रष्टाचार से निजात मिलने की आस जगी है निवर्तमान सीएमएस के ऊपर लगे आरोपों की गंभीरता से जांच होने पर कई बड़े घोटालों का खुलासा होने की संभावना है। खबर है कि डॉ एके अग्रवाल ने 2 अगस्त को महिला चिकित्सालय के सीएमएस के रूप में कार्यभार ग्रहण किया।