जवानी हरेक पर आती है। बहन-बेटी पर न आये ?

दोलत्ती

: लगातार बढ़ती जा रही हैं यौवन पर होते “लैंगिक-सुख” की वीडियो : बेटे पर जवानी तो मसें भींगने लगीं, बेटी-बहन पर चढ़े तो गरमा रही है : तुम्‍हारे लिए हलाल, पर बहन-बेटी के लिए हराम कैसे : नसर्गिक जवानी तो तुम्‍हारी मां और बहन पर भी चढ़ी थी। धिक्‍कार है तुम्‍हारी संस्‍कृति पर, थू है : यौवन-एक :
कुमार सौवीर
लखनऊ : मोबाइल पर घंटी बजी। फोन था मेरे एक पारिवारिक मित्र की बेटी का। बहुत परेशान-बेहाल लग रही थी। बदहवासी की हालत तक। मुझसे कुछ खास बात करना चाहती थी। मैंने कहा, बोलो। लेकिन उसका जवाब था कि बात आमने-सामने ही करेगी। वह मुझसे कुछ रास्‍ता सुझाने की गुजारिश कर रही थी। मैं दिल-दिमाग से खड़बड़ा गया, घबरा गया। कोई बच्‍ची मुझसे मदद मांगे तो यह तो हर्ष की बात है, लेकिन वह बच्‍ची बहुत घबरायी हुई हो, जाहिर है कि तब मामला वाकई परेशानी का सबब ही होगा। मैंने कहा कि मैं घर पर ही हूं, आ जाओ।
मैं प्रतीक्षा कर रहा था। करीब पौन घंटे बाद वह बच्‍ची मेरे घर पर आयी। मैंने उसे बिठाया, पानी पिलाया और आने की वजह पूछी। बोली:- अंकल। मैं बहुत परेशान हूं। इतनी परेशान हूं, कि चाहती हूं कि सुसाइड कर लूं।
मामला क्‍या है दुलुरूआ गुडि़या ? कुछ बताओ तो कि क्‍या हुआ है ?
मेरे साथ धोखा हुआ है। ऐसा धोखा, कि अब मैं किसी को अपना मुंह दिखाने लायक भी नहीं रही। मेरी जिन्‍दगी में अब कुछ भी नहीं बचा। क्‍या सोचा था भविष्‍य के बारे में मैंने, और क्‍या हो गया है। सब ओर सिर्फ अंधेरा ही दिख रहा है। मेरी समझ में ही नहीं आ रहा है कि मैं जहर खा लूं, या फिर कहीं ट्रेन या कुंए-नदी में कूद पड़ुं ?
उसके अंदाज, उसके शब्‍दों की पीड़ा, उसकी छटपटाहट और उसका नैराश्‍य मुझे समझ में आने लगा था। अब तक मैं थोड़ा-बहुत समझने लगा था कि यह मामला क्‍या हो सकता है।
मुझे फख्र हो रहा था कि एक बच्‍ची मुझ पर इतना यकीन रख कर मुझसे बातचीत कर रही है। एक पितातुल्‍य व्‍यक्ति के लिए इससे बेहतर खुशी की बात और क्‍या हो सकती है कि उसके साथ एक बच्‍ची अपनी किसी दिक्‍कत-परेशानी का खुलासा करने का हौसला दिखा रही हो। लेकिन यह मेरी जीत तो तब होनी थी, जब मैं उसकी दिक्‍कत, उसकी पीड़ा, उसकी परेशानी को समझ पाऊं, उसे दूर कर पाऊं।
बच्‍ची ने मुझ पर यकीन किया और अपनी वे निजी बातें शेयर करने की कोशिश की, जो अपनी मां, पिता या किसी और रिश्‍तेदार या परिचित से नहीं कर सकती थी।
उसने बताया कि उसका एक वीडियो वायरल हो रहा है। पता चला कि उसने बाथरूम में नहाने वक्‍त अपने मोबाइल पर वीडियो से अपने ब्‍वाय-फ्रेंड से कैम-चैटिंग की थी, जिसे उसके मित्र ने वीडियो पर सेव कर लिया। अब वही वीडियो उसकी जान का जंजाल बन चुका है। उसका डर, दर्द और चिंता यह है कि वह अब कैसे समाज के सामने अपना चेहरा दिखायेगी ?
एक बच्‍ची से बातचीत में उससे ज्‍यादा और क्‍या बात की जा सकती है ? इसलिए मैंने उसे दिलासा दिया। तय किया कि कुछ न कुछ करूंगा जरूर उसके लिए।
इतनी बातचीत के बाद मुझे उस वीडियो की कोई जरूरत ही नहीं थी। हां, अब मैं एक बड़े संजीदा पुलिस अफसर के साथ उसके साथ हुए हादसे का जिक्र करूंगा और देखूंगा कि उस बच्‍ची को न्‍याय मिल सके। हो सकता है कि वह पुलिस अफसर जांच के दौरान उस वीडियो की जरूरत समझे, तो मैंउसे बच्‍ची से कह कर उसे फॉरवर्ड करवा दूंगा।
बहरहाल, जो जानकारी मुझे उस बच्‍ची से मिल है, उसके हिसाब से तो वह बच्‍ची का कोई दोष ही नहीं है। उसने अपने मित्र के साथ वीडियो चैट किया। इतना ही नहीं, बाथरूम में उसके नहाने का वक्‍त उसने वीडियो पर शेयर किया। तो इसमें उसका कोई अपराध कैसे बनता है। दो लोगों के बीच हुई बातचीत अपराध कैसे हो सकती है, जब तक उसकी सूचनाओं का सार्वजनिक न हो जाए ?
खैर, उस बच्‍ची ने वह वीडियो मुझे फारवर्ड कर दिया। ( क्रमश:)

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