ढाका हादसा पर मुझे रोने दो मेरे दोस्‍त, अब इस्‍लाम की नीतियां मत समझाओ

सैड सांग

: हो सकता है कि इस्‍लाम दुनिया का सर्वश्रेष्‍ठ धर्म हो, लेकिन आज मुझे नहीं लगता : हम से अलग दीखने के चक्‍कर में तुमने अपना हुलिया क्‍या बना डाला, तुम्‍हें कुछ पता भी है : शान्ति-दूत कहलाने वाले लोगों के हाथ में शैतानी छुरे-बंदूकें कैसे आयीं, मुझे बताओ : तुमसे तो बेहतर अमरीका और इजराइल है, कम से कम जहां यह सब तो नहीं होता :

कुमार सौवीर

लखनऊ : आज मुझे एक सज्जन ने फिर एक सन्देश ह्वाट्सअप पर भेजा, कि इस्लाम दुनिया का सबसे श्रेष्ठ धर्म और दर्शन है। उसमें यह है, वो है, ऐसा होता है, वैसा होता है, हैन होता है, तैन होता है। ढमाका होता है, फलाना होता है।

पिछले 22 दिन से लगातार आ रहे ऐसे संदेशों से मैं झुंझला गया। अजिज आकर मैंने भी जवाब दे दिया।

“इस्लाम को मेरा सलाम।

इस्लाम की नीतियों के चलते आज हुई ढाका में भी हुए ऐसे बेमिसाल खुशगवार माहौल और बने विश्व-बंधुत्व की मजबूती को मेरा सलाम। बावजूद इसके कि मैं बाकायदा पुख्ता काफ़िर और मुनकिर हूँ, लेकिन फिर भी आज आपके ऐसे इस्लाम को मेरा भी श्रद्धानुमा सिजदा।

लेकिन कृपया अब मुझे इन सब मूर्खताओं से मुक्त कर दीजिये।

इजाजत दीजिये, कि मैं आजादी की सांस लेने की कोशिश कर सकूं। जीवन को स्वतंत्र कर सकूँ।

बेहतर होगा कि आप खुद समझिये और खुद को ही समझाने की कोशिश कीजिये कि असल में इस्लाम क्या था और क्यों ऐसा हो चुका है। ऊट-पटांक वेशभाषा, खुद को बिलकुल अलहदा दिखाने का हठ, उठंगा पाजामा, बकरदाढ़ी, सिर्फ बकवादी, आग लगाती जुबान और ऊल-जुलूल अंदाज आपको बाकायदा जोकर बना रहे हैं। खुद को श्रेष्‍ठ दिखाने के चक्‍कर में तुम जमूरा बन चुके हों।

और आपको इसका अलहाम तक नहीं कि आपके शान्ति-दूत कहलाने वाले नारे लगाने वालों के हाथ में शैतानी छुरे-बंदूकें कैसे आ गयीं। खुद के गिरहबान में झाँकने के बजाय आप इजरायल और अमेरिका से दुश्मनी साधते-साधते कैसे बोको हराम, तुर्की, मिस्र, अफ़ग़ानिस्तान होते हुए अब ढ़ाका तक पहुंचने का किस्सा पढ़िए, समझिये और फिर खुद में तबदील की जरूरत समझने की जहमत फरमाइए।

मैं मानता हूं कि पटना वाला ध्रुव सिंह जब बोलता है तो बहुत ज्‍यादा बोल जाता है, लेकिन इसके बावजूद अक्‍सर सच बोल देता है। अब वह कहता है कि तुम जितना भी  मुमकिन था, मुसलमान तो खूब बन चुके हो, लेकिन अब इंसान बनने की कोशिश करके तो देखो।

अपने खोल से बाहर झांंकिए मियां। देखिये तो, कि दुनिया अब आपसे हजारों साल आगे निकल चुकी है। नकाब उठा कर देखिये और अपनी औरतों को भी देखने में मदद कीजिये कि आज की दुनिया बहुत खूबसूरत हो चुकी है।

लेकिन हैरत की बात है कि आप हैं कि अभी तक अपने जन्म का ढिंढोरा मचा रहे हैं।”

दोस्तों ! क्या मैंने कोई गलत जवाब दे दिया??????

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