उन्‍हें जन्नत वाली पारदर्शी हूरों की पिंडलियाँ नींदे हराम करने लगती हैं

: क्‍योंकि मैं अपने बच्‍चों को सैफुल्‍लाह बनने से रोकना चाहता हूं : यह दिनचर्या “प्राकृतिक” नहीं, मुझे इसमें बिमारी दिखती है : प्रकृति से प्यार करने के बजाय आप उसे “अल्लाह” से प्यार करना सिखा रहे : ताबिश सिद्दीकी लखनऊ : लखनऊ में जिस लड़के को ATS ने ISIS समर्थक कह कर मार गिराया […]

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दो कौड़ी के अपराधियों को आईएस का कारिन्‍दा बना दिया पत्रकारों ने

: मुंगेर की रद्दी पिस्‍तौलें बेचने वाले को आईएस का एजेंट करार दिया : हिन्‍दुस्‍तान ने शैलेंद्र को छापा, मगर बाकी ने परहेज किया : पत्रकारों से पूछिये कि उन्‍होंने क्‍यों गोल कर दिया शैलेंद्र का नाम : रिहाई मंच जैसे लोग भी लगे बंदरों की तरह खौखियाने : कुमार सौवीर लखनऊ : हद हो […]

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अखबारों की कारस्‍तानी: किसी ने ट्रेन, किसी ने दरगाह, तो किसी ने सीधे इंडिया ही उड़ा डाला

: निहायत गैर-जिम्‍मेदार पत्रकारिता का स्‍वाद चखना हो तो यूपी के अखबारों का नाड़ा खींचिये : बे-पर के उल्‍लू उड़ाने में महारत है जागरण, हिन्‍दुस्‍तान और अमर उजाला में : हैरत यह कि यही अखबार खुद को सर्वाधिक विश्‍वसनीय होने का दम भरते हैं : कुमार सौवीर लखनऊ : मध्‍य प्रदेश और यूपी में पिछले […]

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ढाका हादसा पर मुझे रोने दो मेरे दोस्‍त, अब इस्‍लाम की नीतियां मत समझाओ

: हो सकता है कि इस्‍लाम दुनिया का सर्वश्रेष्‍ठ धर्म हो, लेकिन आज मुझे नहीं लगता : हम से अलग दीखने के चक्‍कर में तुमने अपना हुलिया क्‍या बना डाला, तुम्‍हें कुछ पता भी है : शान्ति-दूत कहलाने वाले लोगों के हाथ में शैतानी छुरे-बंदूकें कैसे आयीं, मुझे बताओ : तुमसे तो बेहतर अमरीका और […]

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