राम-सीता स्‍वयंवर में परशुराम न आते तो आपस में रक्‍तपात करते क्षत्रिय

बिटिया खबर

: क्षत्रियों का समूल नाश करने वाला नहीं, राम का पिता-तुल्‍य परशुराम ही पूज्‍य : प्रो जीके सिंह के तर्क सुनिये, तो बुद्धि लहालोट हो जाएगी : लोटा-जनेऊ की टंकार कर मूंछ मरोड़ने वाला ब्राह्मण, या राम में सारी शक्तियां तिरोहित करने वाला क्षत्रिय महान है : कपोल-कल्पित गाथाओं को जमीन से कोसों ऊपर मानते हैं तार्किक ब्राह्मण :

कुमार सौवीर

लखनऊ : आज तो भगवान परशुराम का ही दिन है। है तो पूरे साल भर, लेकिन प्रतीक रूप से जन्‍मदिन के तौर पर परशुराम भगवान की जयजयकारा इसी दिन सबसे ज्‍यादा होता है, या फिर तब जब ब्राह्मणों की कोई सभा होनी वाली होती है। खास कर राजनीतिक ब्राह्मणों से संबंधित रैली टाइप आयोजन। ऐसे दिनों में परशुराम जी को भगवान होने जैसी स्‍थापित करने वाली कई घटनाएं सुनी और सुनायी जाती हैं। मसलन, पशुराम ने क्षत्रियों का 21 बार समूल नाश किया। उन्‍होंने पिता के आदेश पर अपनी माता की हत्‍या कर दी। यह भी कहा जाता है कि हत्‍या के बाद उन्‍होंने अपने पिता से अनुरोध करके अपनी माता रेणुका को जिन्‍दा भी कर दिया।

कौन परशुराम भगवान ? माता-हंता या राम में शक्तियां देने वाला

पौराणिक आस्‍थाओं पर जिन्‍दा ब्राह्म्‍ण-समुदाय को तो पौराणिक आस्‍थाएं-गाथाएं सुन-सुना कर उनकी रग-रग फड़कने लगती होती, कि वे कितने महान भगवान के वंशज हैं। वे वाकई यह दावा करते रहते होंगे कि परशुराम भगवान के वंशज जब भी चाहें, पूरे कायनात को बदल सकते हैं। परशुराम जी ने तो केवल 21 बार इस धरती को क्षत्रियों से समूल नष्‍ट कर दिया था। और वे जब भी चाहें तो परशुराज जी की ही तरह उससे भी ज्‍यादा बार तक क्षत्रियों को समूल रूप से समाप्‍त कर सकते हैं।
लेकिन ऐसी कहानियां एक ओर जहां आस्‍थावान ब्राह्मणों को लोटा-जनेऊ की टंकार देने के लिए अपनी मूंछ मरोड़ सकती है, लेकिन तार्किक ब्राह्मण-वर्ग ऐसे कहानियों को कपोल-कल्पित गाथाएं मानते हैं। वे मानते हैं कि इस तरह की कहानियां जमीन से कोसों ऊपर होती हैं, जिनमें सत्‍य का एक अंश तक नहीं बच पाता है। ऐसे बचकानी कहानी बुन, गढ़ और सुना कर आप पुराण-आश्रित ब्राह्मणों को श्रेष्‍ठ साबित करने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि आपके अतिरंजित किस्‍सों-कहानियों के चलते ब्राह्मणों के प्रति बाकी जातियों में घृणा का बैरोमीटर कितना ज्‍यादा भड़क जाता होगा।

आप का दावा है कि परशुराम जी के श्राप से लोग थर्रा पड़ते थे, लेकिन आज के ब्राह्मणों में वह दमखम क्‍यों नहीं है। क्‍या कारण है कि वे ब्राह्मणों के प्रति एक भयानक प्रति का भाव रखते हैं। आप भगवान परशुराम की कहानी सुन कर तालियां ठोंका करते हैं, जबकि बाकी जातियों के लोग आपको एक मसखरा, मजाकिया और जमूरा जैसा ही देखता और समझता है।
वजह यह कि आप में परशुराम भगवान जैसा गुण है ही नहीं। हो भी नहीं सकता। जिस परशुराम भगवान को आप गुस्‍सैल देवता के तौर पर देख रहे हैं, वह कितना ज्ञानी और तार्किक तथा समयानुसार रणनीति बनाने का दमखम रखता था, इसका अहसास भी आपको नहीं हो सकता। आप परशुराम जयंती को स्‍वर्ण के खरीद से जोड़ लेते हैं, जबकि वह परशुराम के जीवन से कोई रिश्‍ता ही नहीं रखता, बल्कि वह एक बाजारवादी और बनियों की बिक्री की रणनीति का अहम हिस्‍सा भर ही है। परशुराम भगवान की जयन्‍ती को राजस्‍थान में आक्‍खा-तिया के तौर पर देखा जाता है। उस दिन राजस्‍थान में नन्‍हें-मुन्‍ने बाल-बालिकाओं का विवाह करना पुण्‍य कर्म माना जाता है। अभी बनारस तक में यह परम्‍परा खूब फलती रहती थी। कई विवाह तो नवजात शिशुओं के भी हो जाते थे।
लेकिन तनिक भी सोचिये कि परशुराम ने कभी इस परम्‍परा को अंगीकार किया ? हरगिज नहीं। एक मूर्ख या कोई मूर्ख-समाज तो ऐसा कर सकता है, लेकिन भगवान जैसा व्‍यक्ति ऐसा कत्‍तई ऐसा नहीं कर सकता, जिसका नाम परशुराम कहा जाता है। अपनी माता को मार डालने का कृत्‍य करने वाला, और उस कृत्‍य के बाद मर चुकी माता को दोबारा जिन्‍दा करने के लिए हठ करने वाला क्‍या माना जाए, इस पर हम कोई भी चर्चा नहीं करना चाहते। हम तो उस परशुराम भगवान की आराधना करना चाहते हैं, जिसने अपने तार्किक व्‍यवहार से राम-सीता के स्‍वयंवर अवसर पर शिव का धनुष तोड़ने वाले कृत्‍य पर गुस्‍साये क्षत्रियों के आक्रोश को थामने का साहस दिखाया और राम के चरणों में अपनी सारी ताकत, क्षमता, दक्षता और समस्‍त प्राप्तियां अर्पित कर दीं।
लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कालेज में हड्डी विभाग के अध्‍यक्ष, पटना एम्‍स के संस्‍थापक निदेशक और आज इरा मेडिकल कालेज में विभागाध्‍यक्ष हैं प्रो जीके सिंह। प्रो सिंह का भगवान परशुराम के कृत्‍य और समाज में उनके योगदान पर जो सोच है, वह वाकई बड़े से बड़े ब्राह्मण को भी निहायत बौना साबित कर सकती है।

परशुराम भगवान के बारे में क्‍या नजरिया रखते हैं प्रो जीके सिंह, वह बेमिसाल है। आइये आप भी देखिये, और फिर तय कीजिए कि परशुराम भगवान किसके हैं और क्‍यों हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *