: बहराइच में दारू में बेहाल लेबर कमिश्नर का कर्रा अंट-शंट। जमकर हंगामा : जैसे प्रेमचंद के हल्कू की तैयार खेत में कोई मतवाली मोटी-ताजी भैंस प्रविष्ट : कार सड़क के किनारे लगा दो बड़ा पेग सोडा के साथ हींचा और भुने काजू को कूंचते-कूंचते, चुभलाते और पगुराया : जाना था ईरान, पहुंच गयीं तूरान, कार सड़क में भिड़ी :
कुमार सौवीर
लखनऊ : बताते हैं कि यह लेबर कमिश्नर हैं, देवी पाटन मंडल की प्रभारी हैं। नाम बताया जाता है रश्मि केसरवानी। विश्व श्रमिक दिवस का जश्न-उल्लास अपने सरकारी हौंक में मनाने के लिए निकली थीं गोंडा के लिए, लेकिन नशा ज्यादा बड़ा अपने गले में गटागट उड़ेल गयीं कि रास्ता ही भूल गयीं। प्रेमचंद वाले हल्कू के खेत में मस्तानी भैंस की तरह कार समेत घुस गयीं। लोगों ने मदद करने की कोशिश की, तो उसका गरियाना शुरू कर दिया। पुलिसवाले और पुलिसियाइन भी पहुंचे तो उनको भी अल्लू-बल्लू बोलना शुरू कर दिया। काफी देर तक मेन रोड पर यह हंगामा चला, और राहगीर लोग फ्री में मजा लेते रहे। बताते हैं कि इस उल्लास में पौन बोतल उदरस्थ कर चुकी थीं यह लेबर कमिश्नर।
भई अब कोई अपनी निजी कमाई या बाप की रकम तो थी नहीं कि घर में बिठा कर चुस्की लेकर पीतीं और ठंस कर भोजन करने के बाद बिस्तर-नशीं हो जातीं। उसके बाद आराम के साथ चिड़ियों की चहचहाहट के साथ नींद तोड़ देतीं। मुंह साफ करने के बाद गुनगुने पानी और नींबू के साथ शहद लेने के बाद दिशा-मैदान निबटाने के बाद योग अभ्यास करतीं। फिर स्प्राउट के साथ नाश्ता चुगने के बाद कपड़े बदलतीं, सेंट-तेल-फुलेल की फुर्री लेतीं। उसके बाद गोंडा जाने के लिए सड़क पर उतर जातीं।
लेकिन नहीं, फैक्ट्री और कारखानों में भले ही अब मजदूर नहीं, बल्कि उनका बिजूखा ही बचा रहा गया है और कानून इन फैक्ट्रियों के मालिकों की तिजोरियों में भरे ठोस कर तरह कर सरकारी अफसरों की बोतलों में प्रविष्ट होता जा रहा है, जैसे ब्रह्म के कमंडल से निकली वेगवती गंगा को थामने के लिए बनाये गये शिव-शम्भू की जूट-जटा में समाने वाली हों। अब यह दीगर बात है कि फैक्ट्रियों में मजदूर नहीं, बल्कि केवल कांट्रेक्ट लेबर ही बचे रह गये हैं। सरकारी अफसर पहले ही अपना हिस्सा फैक्ट्री वालों से खींच लेते थे, लेकिन उनकी करतूतों पर अंकुश लगाये रखते थे पत्रकार।
लेकिन अब तो पत्रकार लोग ही सीना तान कर दलाली करते हैं। वैसे भी अब पत्रकारों के बजाय अब वहां के अखबारों में सरकारी स्कूलों में मोटी तनख्वाह झटक कर पत्रकार बने लोग घुस आये हैं। वे कभी अपने स्कूल जाते ही नहीं, बल्कि वेतन वसूल लेते हैं सरकारी खजाने से। इसके बाद अखबारों के लिए विज्ञापन और अफसरों से दलाली कर अपना हिस्सा भी लकड़बग्घों की तरह झटक लेते हैं। ऐसे लोग पत्रकार संघों में घुसे हैं, और इसीलिए बड़े पत्रकार संघों के पदाधिकारी अपनी दलाली के लिए इन सरकारी मास्टरों के बल पर फर्जी पत्रकारों का झुंड बुना करते हैं। यही मास्टर शिक्षा विभाग के बेसिक से लेकर माध्यमिक शिक्षा विभागों के अफसरों और उनके मंत्रियों तक को धमकाते और खौंखियाया करते हैं। कुछ तो अफसरों और मंत्रियों का चरण चुम्बन भी करते हैं। तेल जाए सरकारी स्कूल और वहां के छात्र।
तो खैर, इन लेबर कमिश्नर का नाम है रश्मि केसरवानी। फिलहाल तो वे सहायक कमिश्नरी कर रही हैं, लेकिन बताते हैं कि वे पूरे देवी पाटन मंडल की मालिक-मुख्तार हैं। जैसे जिलों के डीएम और बीएसए और मंत्री लोग सरकारी मास्टर लोग स्कूल के बजाय पत्रकार होने के चलते थरथर कांपते हैं, ठीक उसी तरह लखनऊ के मंत्री-सचिव ही नहीं, बल्कि डीएम और कमिश्नर और डीएम भी रश्मि केसरवानी के नाम से फारिग होने के लिए सड़क की खंदक-खाई या पेड़ की आड़ में पानी की बोतल लेकर दौड़ जाते हैं।
तो साहब, आज श्रमिक दिवस के दिन केसरवानी जी ने देवीपाटन मंडल के जिलों में फैक्ट्री, दूकान और अंट-शंट इलाकों की जांच करने का कार्यक्रम तय किया, ताकि तय हो सके कि कौन कितना काम कर सकता है और उनके लिए क्या-क्या कर सकता है। इसके लिए रश्मि केसरवानी जी ने सुबह अपनी अंगड़ायी तोड़ने के ऐश्वर्या बच्चन के डांस का एक टुकड़ा अख्तियार किया और गटागट कई पेग उदरस्थ कर लिया। जैसे सन-04 में जौनपुर जिले के डीएम रहे जीतेंद्र कुमार ने अपने जिले में एक माडल-शॉप का उद्घाटन किया और उपहार में अपने लिए एक खैंचा भर महंगी दारू उपहारस्वरूप ले लिया था।
बहरहाल, देशप्रेम और श्रमिकों के विकास के लिए हमेशा ही कुछ न कुछ ठोस वसूलने के लिए जोश से लबरेज रहीं रश्मि केसरवानी ने अपनी कार निकाली और फैजाबाद रोड पर निकल गयीं। सफेदाबाद चौराहा पार करने के बाद, पता चला है कि, इन लेबर कमिश्नर जी ने अपने जोश को हाई करने के लिए कार सड़क के किराने लगायी। दो बड़ा पेग सोडा के साथ हींच लिया और भुने काजू को कूंचते-कूंचते, चुभलाते और पगुराते हुए लिए बाराबंकी होते हुए गोंडा का रास्ता पकड़ा। उसके बाद महादेवा धाम के आगे गनेशपुर की बाजार से पकौड़ी ली, वहीं पर कुछ उर्जावान पैग और भी उड़ेला। फिर निकल गयीं गोंडा की ओर। लेकिन यह क्या, अचानक ही सड़क का रास्ता गोंडा के बजाय बहराइच की डगर पकड़ ली इन श्रमिक विकास और उत्थान पर केंद्रित रश्मि-रथी ने।
मदिरा में अपने होश का पता तक था इन लेबर कमिश्नर साहिब को, और न ही तनिक ही कोई हवस ही रह गया था मोहतरमा को। रास्ते में डिवाइडर ही नहीं देख पाई थी। फिर क्या था, यूपी की लेबर कमिश्नर उस डिवाइडर पर ही हनहना कर चढ़ गयीं, जैसे जेठ महीने के दिन स्तब्ध दिनदहाड़े, जब आकाश से लेकर धरती तक धधकती लू-थपेड़ से बचने के लिए प्रेमचंद के हल्कू की तैयार खेत में कोई मतवाली मोटी-ताजा भैंस प्रविष्ट होकर नशे में घुर्राय रही हो।
जाहिर है कि इस टक्कर का नतीजा तो इस लेबर कमिश्नर की कीमती कार पर भी चोट आ गयी। राहगीरों से बचाया तो उसको भी अंग्रेजी में अल्लू-बल्लू टाइप गालियां देनी शुरू कर दीं। पुलिस आयी तो उसको भी देर तक झंझट और हाथापाई कर दी। वह तो बाद में उन्हें किसी तरह मौके से हटाया गया, यह तो पता नहीं चल पाया। लेकिन इस लेबर कमिश्नर ने यूपी सरकार के अफसरों की करतूतों की असलियत तो जाहिर ही कर दी।
गुरूवर। सादर साष्टांग दंडवत प्रणाम–
महिला कमीश्नर की मदिरा वेदना का उत्पीड़न
न करके स्वागत् है –पांचो अंगुली घी मे तो सिर कड़ाही मे –@माहौल खुशनमा रहा लेकिन ससुरी गाड़ी धोखा दे गयी –पूरे होशो हवास मे ई टूल्लू कानून साथ देता है लेकिन पटियाला सुर मे नाहीं –विकास की रफ्तार तेज है स्टेरिग डोलना
संभलकर चाहिए–@अकेले अके ले पेक लगाया संगत होनी चाहिए गिला शिकवा साला क्या करे ससुरा जो काम रिश्वत से न होत ऊ काम ई खंभे मे हो जात है –@शराब पीकर वाहन चलाने का जुल्म है- जुल्मी है सुरा ए सुन्दरी –चालान मे छूट जाई