लेवाना अग्निकांड: दोषियों पर दियासलाई बनेगा रौशन जैकब का कदम

बिटिया खबर

: सिर्फ इंजीनियर ही पूरी तरह जिम्‍मेदार थे, तो आला अफसर क्‍या करते रहे : रौशन जैकब ने जमीनी सवाल उठाये हैं, यानी मामला बहुत आसानी से दबेगा नहीं : मामला खुला तो कई बड़े सफेदपोश अफसर नंग-धड़ंग दिखेंगे : चारबाग वाले विराट होटल अग्निकांड में फंसे 46 अफसरों पर कार्रवाई क्‍या हुई :

कुमार सौवीर

लखनऊ : कोई खूंख्‍वार कातिल या उनका गिरोह जब शिकंजे में फंस जाता है, तो वह घिघियाते हुए अपने दूध के दांतों का वास्‍ता देना शुरू कर देता है। मकसद यह कि वह पूरी तरह निर्दोष साबित हो सके। उसके साथी-संगी भी उसकी पैरवी में यह और ऐसे तर्क-दलीलें पेश करना शुरू कर देते हैं। लखनऊ में चार लोगों को झुलसा कर मौत दिलाने वाले लेवाना होटल के दर्दनाक कांड में यही चल रहा है। इन मौतों के असली गुनहगारों पर कार्रवाई करने के बजाय असली हत्‍यारे अफसरों ने कहानी ही बदलते हुए पूरे कांड में इंजीनियरों पर लुटेरा, हत्‍यारा और साजिश करने वाला अपराधी मान लिया। वह तो गनीमत थी कि लखनऊ की मंडलायुक्‍त डॉ रौशन जैकब ने अपने ही अधीनस्‍थ बड़े अफसरों की साजिश का तख्‍ता-पलट करते हुए एलडीए प्रशासन को ही आड़े हाथों ले लिया है।
आपको बता दें कि चार बरस पहले चारबाग के विराट होटल में हुई आगजनी में सात लोगों की झुलस कर मौत हुई थी। उस पर एलडीए ने 46 इंजीनियरों को अपराधी मान कर कार्रवाई करने का प्रस्‍ताव रखा था, लेकिन दो-चार दिनों तक अफसरों ने खूब फूं-फां करते हुए अपने आप को सबसे ज्‍यादा सतर्क, सक्रिय और आक्रामक दिखाने की कोशिश की, लेकिन उसके बाद से ही उस विराट कांड पर लीपापोती हो गयी। मामला फाइल-दफ्तर हो गया। लेकिन इसका खतरनाक नतीजा यह हुआ कि विराट होटल अग्निकांड के चार बरस बाद अब लेवाना होटल कांड ने चार लोगों को भस्‍म कर दिया। ऐसे हादसों पर अपनी खाल बचाने में माहिर एलडीए के अफसरों ने आनन-फानन अपना पल्‍ला झाड़ते हुए लेवाना के ताजा कांड में 22 इंजीनियरों पर आनुशासनिक कार्रवाई का प्रस्‍ताव शासन को भेज दिया।
अपनी इस लिस्‍ट में एलडीए के उपाध्‍यक्ष ने इस अग्निकांड और उसमें हुई चार लोगों की मौत के लिए रिटायर हो चुके दो अफसरों समेत 22 लोगों को जिम्‍मेदार माना है। इनमें अरूण कुमार सिंह और ओपी मिश्र मुख्‍य अभियंता के पद से रिटायर हो चुके हैं। बाकी लोगों में जहीरूद्दीन अधीक्षण अभियंता, कमलजीत सिंह (मुख्य अभियंता ), ओपी गुप्ता सहायक अभियंता, राकेश मोहन सहायक अभियंता, राधेश्याम सिंह सहायक अभियंता, विनोद कुमार गुप्ता सहायक अभियंता, अमर कुमार मिश्रा सहायक अभियंता, नागेंद्र सिंह सहायक अभियंता, इस्माइल खान सहायक अभियंता, राजीव कुमार श्रीवास्तव अवर अभियंता, जेएन दुबे अवर अभियंता, जीडी सिंह अवर अभियंता, रवींद्र श्रीवास्तव अवर अभियंता, उदयवीर सिंह अवर अभियंता, मो. इस्माइल खान अवर अभियंता, अनिल मिश्र अवर अभियंता, पीके गुप्ता अवर अभियंता, सुशील कुमार वर्मा अवर अभियंता, अम्बरीश शर्मा अवर अभियंता और रंगनाथ सिंह अवर अभियंता शामिल हैं।
लेकिन सच बात तो यही है कि एलडीए के उपाध्‍यक्ष ने इस लिस्‍ट में 22 लोगों पर ठीकरा फोड़ने की साजिश की है। लेकिन एलडीए की अध्‍यक्ष और लखनऊ की मंडलायुक्‍त रौशन जैकब ने एलडीए के रवैये को पकड़ कर उसे आड़े हाथों ले लिया। रौशन जैकब का यह कदम अभूतपूर्व है। क्‍यों कि इसके पहले एलडीए के अफसरों के किसी भी कदम, प्रयास या रणनीति पर एलडीए के अध्‍यक्ष के तौर पर अध्‍यक्ष बने लखनऊ के मंडलायुक्‍त हमेशा हां पर हां मिलाते रहे हैं। लेकिन पहली बार ऐसा हुआ जब मंडलायुक्‍त ने एलडीए प्रशासन पर ऐसे सवाल उठा दिये गये हैं, जिनसे अफसरों की खाल तक उतरने की नौबत आ गयी है। अच्‍छी बात तो यह भी है कि शासन के आवास विभाग ने भी रौशन जैकब के सवालों से सहमति जताते हुए कई सवाल भी उठा दिये हैं। यानी मामला अब बहुत आसानी से नहीं दबाया जा सकेगा। और जब भी मामला खुलेगा, तो कई बड़े सफेदपोश अफसर बिलकुल नंगे दिखायी पड़ेंगे।

( क्रमश:)

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