राम-सीता स्‍वयंवर में परशुराम न आते तो आपस में रक्‍तपात करते क्षत्रिय

: क्षत्रियों का समूल नाश करने वाला नहीं, राम का पिता-तुल्‍य परशुराम ही पूज्‍य : प्रो जीके सिंह के तर्क सुनिये, तो बुद्धि लहालोट हो जाएगी : लोटा-जनेऊ की टंकार कर मूंछ मरोड़ने वाला ब्राह्मण, या राम में सारी शक्तियां तिरोहित करने वाला क्षत्रिय महान है : कपोल-कल्पित गाथाओं को जमीन से कोसों ऊपर मानते […]

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न कोई प्रमाण, न कोई गवाह। मगर रेणुका व्यभिचारी करार दी गयी

सहस्राब्दियों पुराना मामला निपटाने को मैं गारा-ईंटा जुटाने में जुटा हूं

: अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष मेरा उपन्यास खण्ड-परशु : आइये, एक अनोखे नजरिये के साथ देखिये महिला की हालत (5) :

मैं समझता हूं कि प्रत्येक मानव ऐसे भीषण दण्ड का विरोधी होगा। तब तो और भी जब अभियुक्त सिरे से ही निर्दोष हो। रेणुका की हत्या मात्र इस शक पर कर दी गयी कि उसने व्यभिचार किया था। न कोई कोई प्रमाण और न कोई गवाह। बस सन्देह हुआ और फैसला हो गया।

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एक स्त्री के लिए तो यह कैपिटल पनिश्मेंट ही हुआ ना

पहले अपने पति-पत्नी के रिश्ते को निर्वस्त्र करके देखिये ना

: अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष मेरा उपन्यारस खण्ड-परशु : आइये, एक अनोखे नजरिये के साथ देखिये महिला की हालत (4) :

कुमार सौवीर

रेणुका का वध नहीं, वह हत्याकाण्ड ही था। रेणुका-हत्याकाण्ड प्रकरण-प्रहसन के पात्र भी यदि आज साक्षात उपस्थित होते तो वे भी इस पर अलग-अलग मत ही प्रकट करते। उनमें से कोई एक बार भी आज तक अपनी गलती स्वीकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। लेकिन हम हमेशा से ही निर्बलों की सुरक्षा-संरक्षा के हामी रहे हैं। हालांकि अतीत में इन दावों को प्रत्यक्ष रख कर उसकी आड़ में ठीक उसका उल्टा ही हुआ है। परन्तु अब आज और अभी से ही न्याय की शुरुआत कर लेने में आखिर क्या हर्ज है। देर आयद, दुरूस्त आयद।

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फिर तो हम पहले आसाराम, तेजपाल और गांगुली को बरी करें

हमारे हाड़-मांस, रक्त, संस्कृति, शास्त्र व भावनाओं में रचे-बसे हैं परशुराम

: अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष मेरा उपन्यास खण्ड-परशु : आइये, एक अनोखे नजरिये के साथ देखिये महिला की हालत (3) :

कुमार सौवीर

हैरत की बात यह है कि पत्नी हत्या का फरमान यमदग्नि सरीखे ज्ञानी ने जारी किया था। और तब वह व्यक्ति यह तथ्य कैसे भूल गया कि किसी भी दशा में पत्नी की हत्या करने का अधिकार पति को नहीं होता है और यह भी कि पत्नी की हत्या करना ब्रह्म हत्या और गोहत्या के तुल्य महापाप तथा अ-प्रायश्चित अपराध है।

मै जानता हूं कि कई लोग रेणुका-हत्याकाण्ड प्रकरण पर मेरी व्याख्या से सहमत होते हुए भी यही दलील प्रस्ततु करेंगे कि ‘अब इस विषय पर इससे अधिक चर्चा पांचवें सप्तर्षि महर्षि यमदग्नि के शेष जीवन के पुण्य कृत्यों और समाज को समर्पित उनके जीवन पर कीचड़ उछाल देगी। और यह भी तर्क देने लगेंगे कि जीवन की केवल एक घटना मात्र से ही पूरे जीवन की व्याख्या नहीं की जानी चाहिए।

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चलो, मान लिया कि रेणुका ने व्यभिचार किया। तो ?

आरोप लगाने से पहले बेहतर है हम अपने गांव-मोहल्ले को खंगालें

: अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष मेरा उपन्यास खण्ड-परशु : आइये, एक अनोखे नजरिये के साथ देखिये महिला की हालत (2) :

कुमार सौवीर

परशुराम को जानने के लिए पहले उनके पिता, पितामह, नाना, मामा, चाचा, भाई और इन सबसे बढ़ कर उनकी माता रेणुका को जानना-समझना मुझे अनिवार्य प्रतीत हुआ। आखिर प्रचलित मान्यता के अनुसार उन्होंने अपने पिता के आदेश पर माता रेणुका का शिरोच्छेद किया था। पिता को विश्वास था कि रेणुका ने व्यभिचार किया है।

चलिए, मान लिया कि रेणुका ने व्‍यभिचार किया था। मान लेने में वैसे तो कोई बुराई है नहीं। हमारे-आपके आसपास ऐसी घटनाएं रोजमर्रा की बात भी तो हैं।

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परशुराम की मां निष्पाप है, उसे अब रिहा कर दें

सामाजिक वकीलों से एक अपील, आओ कुछ नया सोचा-किया जाए

: अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष मेरा उपन्यास खण्ड-परशु : आइये, एक अनोखे नजरिये के साथ देखिये महिला की हालत (1) :

कुमार सौवीर

अपनी जिन्दगी में मैंने वह हर कार्य किया है जिसे सामान्य या असामान्य तौर पर कमोबेश हर कोई बेहद साहसी व्यक्ति कर सकता है। अक्सर तो बिलकुल अभिमन्यु की तरह मैं चक्रव्यूह में घुस गया। आप कुछ भी कहिये, लेकिन केवल अभिमन्यु के मजबूत जिगर का काम ही था यह साहस। यह जानते हुए भी कि मुझे सातवें चक्रव्यूह को बेधना नहीं आता। लेकिन बेधडक और बेहिचक। सो, कई मौकों पर मैं बुरी तरह फंसा।

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