मासूम बोली: नाना नहीं, पापा के पास रहूंगी

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अदालत ने नहीं दी नाना को बच्ची की कस्टडी

नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने नाना को तीन साल की बच्ची की कस्टडी देने से मना कर दिया है। बच्ची के पिता व अन्य परिजनों के खिलाफ उसकी मा की अप्राकृतिक मौत का मामला चल रहा है। इसी आधार पर बच्ची के नाना ने उसकी अंतरिम कस्टडी दिए जाने की माग की थी। अदालत ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर बच्ची की अंतरिम कस्टडी नाना को नहीं दी जा सकती है कि उसके पिता व अन्य परिजनों के खिलाफ उसकी मां की अप्राकृतिक मौत का मामला चल रहा है।

अतिरिक्त जिला जज पीके मट्टू ने कहा कि बच्ची से चैंबर में बातचीत की गई है, जिसमें उसने अपने पिता के साथ रहने की इच्छा जाहिर की है। ऐसे में बच्ची के लिए यह अच्छा नहीं होगा कि उसकी कस्टडी उसके नाना को दी जाए। इससे बच्ची की पढ़ाई पर असर पड़ सकता है और बच्ची को मानसिक परेशानी हो सकती है। इतना ही नहीं, वह अपने पिता के प्यार से भी वंचित हो जाएगी। इससे उसके विकास पर प्रभाव पड़ सकता है।

बच्ची के नाना का कहना था कि बच्ची का पिता व उसके परिजन उसकी बेटी को अक्सर तंग करते थे। इसी कारण अप्रैल 2011 में उसकी मौत हो गई। वे बच्ची का पालन-पोषण भी ठीक से नहीं कर पाएंगे, क्योंकि उनके खिलाफ आपराधिक मामला चल रहा है।

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