कितना दुर्भाग्य है कि यूपी में प्रमुख गृह-सचिव रहा शख्स झूठा निकला

मेरा कोना

: अयोध्या में सोमनाथ की तरह भव्य मन्दिर बनाने की तैयारी में थे आरएम श्रीवास्तव : बेशर्म नौकरशाही का चेहरा देखना हो तो सीधे यूपी पधारिये : बार-बार झूठे हलफनामे दायर में महारत हासिल है आरएम श्रीवास्ताव में : जी-भर मनमानी की, फंसने की नौबत बायी तो बिना-शर्त माफी मांग ली : सब को  पता था कि दुर्गा नागशक्ति का बवाल खनन माफिया से है, मगर मस्जिद पर फेंक दी गेंद : लो देख लो, यूपी में बड़े बाबुओं की करतूतें- छह :

कुमार सौवीर

लखनऊ : यूपी में न जाने कैसे-कैसे नमूने सरकार ने अहम और संवेदनशील पदों पर बिठा रखे हैं, उसकी फेहरिस्त अगर तैयार की जाए, तो नौकरशाही की चूलें ही हिल जाएंगी। वह तो यूपी सरकार का सौभाग्य है कि कई अहम मसलों पर सही वक्त में ही कई चीजें पकड़ में आ जाती रही हैं, वरना इस सरकार का ही बंटाधार हो चुका होता। कोई छह महीना पहले यूपी के के दिल-दिमाग समझे जाने वाले गृह विभाग के मुखिया ने जो हरकत की थी, उसने सरकार का तियां-पांचा तक कर डाला। गनीमत रही कि बात वक्त रहते खुल गयी और गृह विभाग के प्रमुख सचिव सचिव समेत सारे जिम्मेदार अफसरों को मुख्यमंत्री दफ्तर से निकाल बाहर कर दिया गया।

जी हां, यूपी की नौकरशाही का एक अहम हिस्सा था आरएम श्रीवास्तव। अपनी पूरी की पूरी नौकरी में श्रीवास्तव में केवल खुशामद जैसी जुगाड़-टेक्नालाजी के पेंच कस कर अपने राजनीतिक और प्रशासनिक आकाओं को मक्खन लगा कर केवल मलाई काटी। अपनी इसी कला के चलते आरएम श्रीवास्तव हमेशा एक सफल नौकरशाह बने रहे। लेकिन अपनी नौकरी के अंतिम वक्त में जब वे गृह विभाग में प्रमुख सचिव की कुर्सी पर बैठे तो उन्होंने जमकर मनमानियां कीं। इसी के चलते वे अपनी असल कामधाम को भूल गये। नतीजा यह हुआ कि अयोध्या में राममंदिर का निर्माण करने के लिए सीधे ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर की तर्ज बनाने की ऐसी योजना तैयार कर बैठे, जो उनके जीवन भर की कमाई को निरी मूर्खता टाइप भण्डाफोड़ साबित कर गया

नतीजा यह हुआ कि विश्व हिन्दू परिषद की इस योजना को यूपी की समाजवादी पार्टी की सरकार के कांधे पर रखने की कवायद जैसा संदेश फैल गया। प्रमुख गृह सचिव के हस्ताक्षर से राज्य शासन ने इस बारे में आदेश ही जारी कर दिया। इतना ही नहीं, इस आदेश में सभी सम्बन्धित सरकारी अफसरों को आदेशित किया गया कि वे यूपी में ऐतिहासिक सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर ही अयोध्या में प्रस्तावित राममन्दिर निर्माण की रणनीति तैयार करने के लिए एक बैठक में शामिल हुए।

अरे साहब, हंगामा हो गया। जो काम वीएचपी जैसे संगठन का मिशन था, उसे यूपी सरकार ने अपने सरकारी कागजों में ऐलान किया, तो अखिलेश को भनक मिल गयी। होश उड़ गये यूपी सरकार के। सीधे सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूछताछ कर डाली। जवाब कोई होता भी तो देते न आरएम श्रीवास्तव। हां, उन्होंने अपनी बला अपने सचिव सर्वेश कुमार मिश्र पर टाल दी। इसलिए राज्य सरकार ने सर्वेश मिश्र को तत्काल निलम्बित कर दिया। इतना ही नहीं, सम्बन्धित सेक्शन के अधिकारी को भी सस्पेंड कर दिया गया। जबकि आरएम श्रीवास्तव को केवल प्रमुख सचिव गृह के पद से हटा दिया गया। इस फैसले से आरएम श्रीवास्तव की खाल साफ-साफ बच गयी। चूंकि आरएम  श्रीवास्तव के बिल्लौ‍री-आंख यानी ब्यू-आईड ब्वाय माने जाते थे, इसलिए सरकार ने भी आरएम श्रीवास्तएव की खाल ज्यादा नहीं खींची। और बाद में उन्हें राज्य निर्वाचन आयोग में सलाहकार के तौर पर टिका दिया।

मगर कई बड़े नौकरशाह और अधीनस्थों का आरोप है कि जब सारी मूर्खता सीधे आरएम श्रीवास्तव की ही थी, तो फिर सरकार ने आरएम श्रीवास्तव को क्यों रिहा कर दिया? इससे प्रशासन-शासन में अराजकता और बदहालत का माहौल दिखायी पड़ा। सन-13 में एक बसपा को सुरक्षा के मामले में भी आरएम श्रीवास्तव ने साफ-साफ झूठ बरेल कर हाई कोर्ट के सामने झूठा हलफनामा दायर करा दिया। लेकिन जैसे ही यह मामला खुला और अदालत ने अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी दे डाली, तो आरएम श्रीवास्तव भागे-भागे हाईकोर्ट के चरणों में लम्बलेट हो गये। बोले:- माई बाप। अनजाने में अपराध हो गया सरकार। आइन्दा नहीं होगा। इस माफ कर दीजिए अन्नदाता।

आपको याद होगा दुर्गा शक्तिनाग का मामला। नोएडा में इस नयी नवेली बहादुर आईएएस अफसर को यह जानते हुए भी कि यह विवाद सीधा वहां खनन-माफियाओं का भड़का हुआ है, आरएम श्रीवास्तव में उस पर धूल डालने की ही कोशिश की। ऐन वक्त पर सचाई नहीं आयी और नतीजा दुर्गा को निलम्बित कर दिया गया।

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